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China Warns Us Of Heavy Price For Backing Taiwan Independence – ‘भारी कीमत चुकानी पड़ेगी’: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिकी दल ताइवान पहुंचा, भड़के चीन ने दी धमकी

वर्ल्ड न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Tue, 01 Mar 2022 07:37 PM IST
सार
अमेरिकी अधिकारियों के ताइवान पहुंचने पर चीन ने नाराजगी जताई है। चीन ने इसे लेकर अमेरिका को कड़ी चेतावनी भी दी है। चीन ने कहा है कि अगर ताइवान की स्वतंत्रता को लेकर अमेरिका ताइवान का समर्थन करेगा तो उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
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ताइवानी मीडिया के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ के पूर्व अमेरिकी चेयरमैन माइक एडमिरल मुलैन के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने स्वागत किया था।
चीन ने बीते कुछ महीनों में अपनी सैन्य तैयारियों को तेज कर दिया है। उसने ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में अपने सैकड़ों जेट भेजे हैं। ताइवान और अमेरिका के अधिकारियों का कहना है कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने बाद ताइवान पर चीन की जबरन कब्जे की धमकी ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है।
इससे पहले अमेरिका में चीन के राजदूत ने चेतावनी देते हुए कहा था कि वाशिंगटन अगर ताइवान की आजादी की आकांक्षा का समर्थन करता रहा तो दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
रूस व यूक्रेन के बीच सैन्य तकरार के बढ़ते खतरे के बीच अमेरिका ने चीन को चेताया था। अमेरिका ने चीन को आगाह किया था कि वह इस मौके का फायदा ताइवान में अपना दखल बढ़ाने के तौर पर न उठाए। अमेरिका ने चीन की पहले ही घेराबंदी कर रखी है। अमेरिका ने परमाणु हथियारों से लैस दो युद्धपोत एक फिलीपींस के समुद्र में तो एक अन्य जापान के योकोसूका में तैनात कर दिया था। इसके जरिए उसने चीन को सख्त संदेश दिया है कि वह ताइवान से दूर रहे।
गौरतलब है कि चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है। जबकि बीते कई दशकों से ताइवान स्वतंत्र है। वहां एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार काम करती है। अमेरिका में चीनी राजदूत ने कहा था कि अगर अमेरिका ताइवान के अधिकारियों को उकसाता रहा और वहां की सड़कों पर आजादी के लिए विरोध होते रहे तो दोनों देशों के बीच युद्ध हो सकता है।
विस्तार
ताइवानी मीडिया के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ के पूर्व अमेरिकी चेयरमैन माइक एडमिरल मुलैन के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने स्वागत किया था।
चीन ने बीते कुछ महीनों में अपनी सैन्य तैयारियों को तेज कर दिया है। उसने ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में अपने सैकड़ों जेट भेजे हैं। ताइवान और अमेरिका के अधिकारियों का कहना है कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने बाद ताइवान पर चीन की जबरन कब्जे की धमकी ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है।
इससे पहले अमेरिका में चीन के राजदूत ने चेतावनी देते हुए कहा था कि वाशिंगटन अगर ताइवान की आजादी की आकांक्षा का समर्थन करता रहा तो दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
रूस व यूक्रेन के बीच सैन्य तकरार के बढ़ते खतरे के बीच अमेरिका ने चीन को चेताया था। अमेरिका ने चीन को आगाह किया था कि वह इस मौके का फायदा ताइवान में अपना दखल बढ़ाने के तौर पर न उठाए। अमेरिका ने चीन की पहले ही घेराबंदी कर रखी है। अमेरिका ने परमाणु हथियारों से लैस दो युद्धपोत एक फिलीपींस के समुद्र में तो एक अन्य जापान के योकोसूका में तैनात कर दिया था। इसके जरिए उसने चीन को सख्त संदेश दिया है कि वह ताइवान से दूर रहे।
गौरतलब है कि चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है। जबकि बीते कई दशकों से ताइवान स्वतंत्र है। वहां एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार काम करती है। अमेरिका में चीनी राजदूत ने कहा था कि अगर अमेरिका ताइवान के अधिकारियों को उकसाता रहा और वहां की सड़कों पर आजादी के लिए विरोध होते रहे तो दोनों देशों के बीच युद्ध हो सकता है।