सार
अमर उजाला को विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि फिलहाल दोनों राज्यों के बीच यह मुद्दा जटिल है। अगर छत्तीसगढ़ इजाजत देता है तो उस इलाके में सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा और अगर इजाजत नहीं मिलती है तो उसे पावर सेक्टर में नुकसान होगा। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को दोनों राज्यों के सीएम से मुलाकात की थी…
छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकार में चल रहा कोयला खदान आवंटन का मसला अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दरबार तक पहुंच गया है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने इस मसले को लेकर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के साथ बातचीत की है। हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद से अब राजस्थान सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही इस मसले पर कोई हल निकल सकेगा। दरअसल, गहलोत सरकार छत्तीसगढ़ की परसा कोयला खदान को शुरू करने के लिए दबाव बना रही है। उनका तर्क है कि इस खदान के चालू नहीं होने से राज्य के बिजली घरों में कोयला संकट हो गया है।
अमर उजाला को विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि फिलहाल दोनों राज्यों के बीच यह मुद्दा जटिल है। अगर छत्तीसगढ़ इजाजत देता है तो उस इलाके में सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा और अगर इजाजत नहीं मिलती है तो उसे पावर सेक्टर में नुकसान होगा। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को दोनों राज्यों के सीएम से मुलाकात की थी। सूत्र ने आगे बताया कि बैठक में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ में परसा कोयला खदान आवंटन का मुद्दा उठाया और इस संबंध में सीएम को कई बार पत्र लिखने की बात भी रखी। जबकि छत्तीसगढ़ के सीएम बघेल ने केंद्र सरकार से कुछ मामलों में मंजूरी नहीं मिलने, जमीन अधिग्रहण सहित आदिवासी समाज और पर्यावरणविदों के बढ़ते विरोध की जानकारी दोनों नेताओं के सामने रखी। इसके बाद राहुल गांधी ने दोनो नेताओं को आश्वस्त किया कि जल्द ही कांग्रेस पार्टी इस मसले पर आंतरिक कमेटी बनाएगी जो राजस्थान सरकार को छत्तीसगढ़ में आवंटित कोयला खदान के संबंध में जायजा लेगी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही इस मसले पर कोई फैसला होगा।
छत्तीसगढ़ सरकार को यहां हो रही दिक्कत
दरअसल, उत्तर छत्तीसगढ़ के समृद्ध वन क्षेत्र हसदेव अरण्य में परसा कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित है। इस खदान की क्षमता सालाना पांच लाख मीट्रिक टन की है। वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ कोयला मंत्रालय भी इसे क्लीयरेंस दे चुका है, लेकिन यह खदान शुरू नहीं हो पाई है। स्थानीय आदिवासी और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोग इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी विवादित है। वहीं परियोजना को एनओसी जारी करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने ग्राम सभाओं के जिस सहमति प्रस्ताव को आधार बनाया है, उन पर फर्जी होने के आरोप हैं। ग्रामीणों ने कलेक्टर से लेकर राज्यपाल तक इसकी शिकायत कर जांच की मांग कर रखी है। इसकी वजह से छत्तीसगढ़ सरकार कोल ब्लॉक को क्लीयरेंस नहीं दे रही है।
सोनिया को भी गहलोत लिख चुके हैं पत्र
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस कोयला खदान को क्लीयरेंस देने के लिए कई बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिख चुके हैं। समाधान नहीं होने पर उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हस्तक्षेप का आग्रह किया था। बताया जा रहा है, उन्होंने सोनिया गांधी को अब तक तीन पत्र लिखे हैं। इसी मुद्दे पर अब सोनिया गांधी ने दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को बुलाया था ताकि कोई समाधान निकल सके। गहलोत ने एक दिसंबर 2021 को सोनिया गांधी को पहला पत्र लिखा था। इसके बाद उन्होंने 10 फरवरी को दूसरा पत्र लिखा। तीसरे पत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीधे-सीधे चेतावनी दी है कि अगर छत्तीसगढ़ जल्दी से कोयला आपूर्ति शुरू नहीं करता है तो राजस्थान में बिजली संकट पैदा हो सकता है।
सीएम गहलोत ने पत्र में लिखा था कि यदि नई खदानों में देरी होती है और मौजूदा खदानों में कोयले की कमी हो जाती है, तो राजस्थान में शुल्क दरों में और वृद्धि होगी। क्योंकि कोयला या बिजली अथवा दोनों बहुत अधिक लागत पर बाहरी स्रोत से लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसका नकारात्मक राजनीतिक असर हो सकता है क्योंकि हाल ही में बिजली दरों में 33 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई थी। इस वृद्धि से राज्य में बिजली महंगी हो गई है।
विस्तार
छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकार में चल रहा कोयला खदान आवंटन का मसला अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दरबार तक पहुंच गया है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने इस मसले को लेकर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के साथ बातचीत की है। हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद से अब राजस्थान सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही इस मसले पर कोई हल निकल सकेगा। दरअसल, गहलोत सरकार छत्तीसगढ़ की परसा कोयला खदान को शुरू करने के लिए दबाव बना रही है। उनका तर्क है कि इस खदान के चालू नहीं होने से राज्य के बिजली घरों में कोयला संकट हो गया है।
अमर उजाला को विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि फिलहाल दोनों राज्यों के बीच यह मुद्दा जटिल है। अगर छत्तीसगढ़ इजाजत देता है तो उस इलाके में सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा और अगर इजाजत नहीं मिलती है तो उसे पावर सेक्टर में नुकसान होगा। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को दोनों राज्यों के सीएम से मुलाकात की थी। सूत्र ने आगे बताया कि बैठक में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ में परसा कोयला खदान आवंटन का मुद्दा उठाया और इस संबंध में सीएम को कई बार पत्र लिखने की बात भी रखी। जबकि छत्तीसगढ़ के सीएम बघेल ने केंद्र सरकार से कुछ मामलों में मंजूरी नहीं मिलने, जमीन अधिग्रहण सहित आदिवासी समाज और पर्यावरणविदों के बढ़ते विरोध की जानकारी दोनों नेताओं के सामने रखी। इसके बाद राहुल गांधी ने दोनो नेताओं को आश्वस्त किया कि जल्द ही कांग्रेस पार्टी इस मसले पर आंतरिक कमेटी बनाएगी जो राजस्थान सरकार को छत्तीसगढ़ में आवंटित कोयला खदान के संबंध में जायजा लेगी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही इस मसले पर कोई फैसला होगा।
छत्तीसगढ़ सरकार को यहां हो रही दिक्कत
दरअसल, उत्तर छत्तीसगढ़ के समृद्ध वन क्षेत्र हसदेव अरण्य में परसा कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित है। इस खदान की क्षमता सालाना पांच लाख मीट्रिक टन की है। वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ कोयला मंत्रालय भी इसे क्लीयरेंस दे चुका है, लेकिन यह खदान शुरू नहीं हो पाई है। स्थानीय आदिवासी और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोग इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी विवादित है। वहीं परियोजना को एनओसी जारी करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने ग्राम सभाओं के जिस सहमति प्रस्ताव को आधार बनाया है, उन पर फर्जी होने के आरोप हैं। ग्रामीणों ने कलेक्टर से लेकर राज्यपाल तक इसकी शिकायत कर जांच की मांग कर रखी है। इसकी वजह से छत्तीसगढ़ सरकार कोल ब्लॉक को क्लीयरेंस नहीं दे रही है।
सोनिया को भी गहलोत लिख चुके हैं पत्र
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस कोयला खदान को क्लीयरेंस देने के लिए कई बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिख चुके हैं। समाधान नहीं होने पर उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हस्तक्षेप का आग्रह किया था। बताया जा रहा है, उन्होंने सोनिया गांधी को अब तक तीन पत्र लिखे हैं। इसी मुद्दे पर अब सोनिया गांधी ने दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को बुलाया था ताकि कोई समाधान निकल सके। गहलोत ने एक दिसंबर 2021 को सोनिया गांधी को पहला पत्र लिखा था। इसके बाद उन्होंने 10 फरवरी को दूसरा पत्र लिखा। तीसरे पत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीधे-सीधे चेतावनी दी है कि अगर छत्तीसगढ़ जल्दी से कोयला आपूर्ति शुरू नहीं करता है तो राजस्थान में बिजली संकट पैदा हो सकता है।
सीएम गहलोत ने पत्र में लिखा था कि यदि नई खदानों में देरी होती है और मौजूदा खदानों में कोयले की कमी हो जाती है, तो राजस्थान में शुल्क दरों में और वृद्धि होगी। क्योंकि कोयला या बिजली अथवा दोनों बहुत अधिक लागत पर बाहरी स्रोत से लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसका नकारात्मक राजनीतिक असर हो सकता है क्योंकि हाल ही में बिजली दरों में 33 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई थी। इस वृद्धि से राज्य में बिजली महंगी हो गई है।
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