मेरठ शहर की पॉश कालोनी पल्लवपुरम के फेज दो में शुक्रवार की सुबह साढ़े सात बजे एमआईटी स्कूल के पास शिक्षिका आभा शर्मा के घर में तेंदुआ घुसने से दहशत फैल गई। करीब दो घंटे बाद वन विभाग के जाल में फंसा तेंदुआ निकलकर कॉलोनी की सड़कों पर दौड़ने लगा। खौफ में भगदड़ मच गई। इसके बाद तेंदुआ एक खाली प्लॉट की झाड़ियों में घुस गया तो चारों तरफ जाल लगाकर घेराबंदी की गई। शाम को पांच बजे मैन लिफ्ट की मदद लेकर ट्रैंकुलाइजर गन चलाकर तेंदुए को बेहोश कर पिंजरे में बंद कर लिया गया।
पल्लवपुरम निवासी डॉ. राजकुमार चौधरी ने सुबह करीब 7.30 बजे क्यू पॉकेट में तेंदुए को देख शोर मचाया। तेंदुआ उनकी नजरों से ओझल हो गया और आभा शर्मा के मकान नंबर क्यू 72 में घुस गया। इसके बाद सुबह से शाम तक करीब 10 घंटे तक लोगों में दहशत बनी रही।
आभा के इंजीनियर बेटे स्वप्निल शर्मा को खिड़की से तेंदुए की पूंछ दिखी। इस दौरान परिवार घर में ही कैद हो गया और लोगों ने वन विभाग और पुलिस को सूचना दी। वन विभाग ने घर के दरवाजे पर जाल लगा दिया। तेंदुआ इसमें फंसा लेकिन, कुछ ही पलों में निकलकर सड़क पर दौड़ने लगा।
वहीं तेंदुए को देख दहशत में आए लोग दौड़ने लगे। तेंदुआ खाली प्लॉट की झाड़ियों में घुसा तो वन विभाग की टीम ने चारों ओर जाल लगा दिया। तेंदुए को बेहोश करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम दिल्ली से भी बुलाई गई।
दिल्ली से मंगाई ट्रैंकुलाइजर गन, रैपिड रेल की लिफ्ट आई काम
डीएफओ राजेश कुमार और एसडीओ राजेश चौधरी ने रैपिड रेल का काम कर रही कंपनी से दो मैन लिफ्ट और दो जाल मंगाए। वन विभाग की टीम लिफ्ट के जरिए खाली प्लॉट के ऊपर गई और ट्रैंकुलाइजर गन का इस्तेमाल कर तेंदुए को बेहोश कर दिया और पिंजरे में बंद कर ले गई।
बताया गया कि इस ऑपरेशन में कुल पांच टीमें लगाई गई थीं। एक ट्रैंकुलाइजर गन दिल्ली से मंगाई गई, जबकि एक मेरठ के पास पहले से ही थी।