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Those Who Misbehave With A Child Cannot Demand Mercy By Pleading To Be A Child Themselves – हाईकोर्ट की दो टूक : बच्चे से कुकर्म करने वाले खुद बच्चा होने की दलील देकर नहीं कर सकते रहम की मांग

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विवेक शर्मा, चंडीगढ़
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sun, 06 Mar 2022 04:16 AM IST

सार

आठ साल के नाबालिग से कुकर्म करने के दोषियों को राहत से हाईकोर्ट का इनकार। कहा, छोटे बच्चों के प्रति अपराध करने वालों के प्रति रहम किया तो पॉक्सो एक्ट होगा अर्थहीन।

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आठ साल के मासूम से कुकर्म करने के दोषियों की सजा के खिलाफ अपील को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया। इस दौरान दोषियों ने कहा कि वे छोटे बच्चे हैं ऐसे में उनके प्रति सहानुभूति दिखाई जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि इस दलील से रहम की उम्मीद न रखें, क्योंकि यदि रहम किया तो पॉक्सो एक्ट अर्थहीन हो जाएगा। 

मामला सोनीपत का है, जहां पर आठ साल के मासूम बच्चे के पिता की शिकायत पर पुलिस ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कुकर्म और पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज किया था। इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने मार्च 2021 को तीनों याचिकाकर्ताओं को दोषी करार देकर सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील की गई, लेकिन सेशन कोर्ट ने भी अपील को खारिज कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट की शरण ली।

हाईकोर्ट ने कहा कि बाल अपराधों के प्रति यदि रहम किया गया तो इस एक्ट के उद्देश्य को पूरा नहीं किया जा सकेगा जिससे यह अर्थहीन हो जाएगा। साथ ही इसी बीच दोषी बच्चों की छोटी आयु की दलील देते हुए रहम करने की हाईकोर्ट से अपील की गई। 

हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में 8 साल के बच्चे से क्रूरता के साथ कुकर्म किया गया है जिससे उसकी गरिमा का उल्लंघन हुआ है। तीनों याचिकाकर्ता उम्र में पीड़ित बच्चे से काफी बडे़ थे। ऐसे में वह चाह कर भी उनका विरोध नहीं कर पाया।

इस प्रकार का कृत्य करके छोटी उम्र की दलील देने वाले दोषी रहम के  हकदार नहीं हैं। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने सोनीपत की निचली अदालत के आदेश पर मुहर लगाते हुए तीनों दोषियों की याचिका को सिरे से खारिज कर दिया।

विस्तार

आठ साल के मासूम से कुकर्म करने के दोषियों की सजा के खिलाफ अपील को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया। इस दौरान दोषियों ने कहा कि वे छोटे बच्चे हैं ऐसे में उनके प्रति सहानुभूति दिखाई जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि इस दलील से रहम की उम्मीद न रखें, क्योंकि यदि रहम किया तो पॉक्सो एक्ट अर्थहीन हो जाएगा। 

मामला सोनीपत का है, जहां पर आठ साल के मासूम बच्चे के पिता की शिकायत पर पुलिस ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कुकर्म और पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज किया था। इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने मार्च 2021 को तीनों याचिकाकर्ताओं को दोषी करार देकर सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील की गई, लेकिन सेशन कोर्ट ने भी अपील को खारिज कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट की शरण ली।

हाईकोर्ट ने कहा कि बाल अपराधों के प्रति यदि रहम किया गया तो इस एक्ट के उद्देश्य को पूरा नहीं किया जा सकेगा जिससे यह अर्थहीन हो जाएगा। साथ ही इसी बीच दोषी बच्चों की छोटी आयु की दलील देते हुए रहम करने की हाईकोर्ट से अपील की गई। 

हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में 8 साल के बच्चे से क्रूरता के साथ कुकर्म किया गया है जिससे उसकी गरिमा का उल्लंघन हुआ है। तीनों याचिकाकर्ता उम्र में पीड़ित बच्चे से काफी बडे़ थे। ऐसे में वह चाह कर भी उनका विरोध नहीं कर पाया।

इस प्रकार का कृत्य करके छोटी उम्र की दलील देने वाले दोषी रहम के  हकदार नहीं हैं। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने सोनीपत की निचली अदालत के आदेश पर मुहर लगाते हुए तीनों दोषियों की याचिका को सिरे से खारिज कर दिया।

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