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Unsc Voting On Russia Attack On Ukraine Discussion At Un General Assembly India Decides Us Vladimir Putin Nato Eu News And Updates – Unga: यूक्रेन पर हो रहे हमलों को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में चर्चा होगी या नहीं, इस पर Unsc में वोटिंग, फिर से दोराहे पर भारत

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वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 28 Feb 2022 12:10 AM IST

सार

इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की और अपने देश के खिलाफ रूस के सैन्य हमले को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत से राजनीतिक समर्थन मांगा।

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रूस की तरफ से यूक्रेन में जारी हमलों के बीच भारतीय समयानुसार रविवार देर रात 1.30 बजे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में वोटिंग के जरिए यह फैसला होगा कि यूक्रेन संकट के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की आपात बैठक बुलाई जाए या नहीं। गौरतलब है कि यूएनएससी के विशेष सत्र में पांच स्थायी सदस्यों के साथ 10 अस्थायी सदस्य भी शामिल होंगे। इससे दो दिन पहले मास्को ने कीव पर हमले पर एक प्रस्ताव को रोकने के लिए वीटो का इस्तेमाल किया था।

1950 से अब तक महासभा के ऐसे केवल 10 सत्र आहूत किए गए हैं। सत्र आहूत करने के लिए मतदान प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद को जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 49वें नियमित सत्र में शामिल होना था लेकिन उन्होंने ‘यूक्रेन की वर्तमान स्थिति और सुरक्षा परिषद में होने वाले घटनाक्रम के चलते’ यात्रा रद्द कर दी है। उन्होंने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत सर्जेई किसलितस्या से भी मुलाकात की।

भारत के लिए फिर दुविधा की स्थिति
गौरतलब है कि यूएनएससी में यूक्रेन पर रूस के हमलों के खिलाफ पश्चिमी देशों की तरफ से एक निंदा प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव का 11 देशों ने समर्थन किया था, जबकि भारत समेत तीन देश इस प्रस्ताव पर वोटिंग से गायब रहे। लेकिन युद्ध से हो रही मौतों के बीच भारत ने पहली बार अपने वोट न करने के फैसले पर सफाई जारी की और खेद जताया था। भारत ने साफ कर दिया था कि वह यूक्रेन में हुई तबाही से बेहद चिंतित है और उसे अफसोस है कि कूटनीति का रास्ता काफी जल्दी छोड़ दिया गया। 

भारत की तरफ से वोटिंग न करने के बाद ऐसा बयान जारी करना रूस के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने से जोड़कर देखा जा रहा था। हालांकि, रूस को नाराज न करने के मद्देनजर अमेरिका ने भी भारत की स्थिति को समझने की बात कही थी। अब एक बार फिर भारत के सामने वही चुनौती खड़ी हो गई है। यूएनएससी में आज होने वाली बैठक में भारत को फिर से वोटिंग में एक पक्ष लेने या इसमें हिस्सा न लेने पर फैसला करना होगा। माना जा रहा है कि भारत अपने पिछले रुख पर कायम रहते हुए रूस के खिलाफ नहीं जाएगा, लेकिन उसकी तरफ से जंग और इससे हो रही मौतों को लेकर निंदा किए जाने की संभावना है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति मोदी से मांग चुके हैं समर्थन
इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की और अपने देश के खिलाफ रूस के सैन्य हमले को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत से राजनीतिक समर्थन मांगा। इस दौरान, भारत ने दोनों देशों के बीच शांति बहाली के प्रयासों में किसी भी तरह से योगदान करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने वहां जारी संघर्ष की वजह से जान व माल को हुए नुकसान पर गहरी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने भारतीय नागरिकों को जल्द और सुरक्षित निकालने के लिए यूक्रेन के अधिकारियों से उपयुक्त कदम उठाने का भी अनुरोध किया।

वहीं, यूक्रेन के विदेश मंत्री कुलेबा ने एक ट्वीट में कहा था कि उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह रूस के साथ संबंधों में अपने प्रभाव के जरिये यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को समाप्त करने का प्रयास करे। उन्होंने कहा था, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत से आग्रह किया कि वह यूक्रेन में शांति बहाल करने के लिए आज के मसौदा प्रस्ताव का समर्थन करे।”

विस्तार

रूस की तरफ से यूक्रेन में जारी हमलों के बीच भारतीय समयानुसार रविवार देर रात 1.30 बजे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में वोटिंग के जरिए यह फैसला होगा कि यूक्रेन संकट के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की आपात बैठक बुलाई जाए या नहीं। गौरतलब है कि यूएनएससी के विशेष सत्र में पांच स्थायी सदस्यों के साथ 10 अस्थायी सदस्य भी शामिल होंगे। इससे दो दिन पहले मास्को ने कीव पर हमले पर एक प्रस्ताव को रोकने के लिए वीटो का इस्तेमाल किया था।

1950 से अब तक महासभा के ऐसे केवल 10 सत्र आहूत किए गए हैं। सत्र आहूत करने के लिए मतदान प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद को जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 49वें नियमित सत्र में शामिल होना था लेकिन उन्होंने ‘यूक्रेन की वर्तमान स्थिति और सुरक्षा परिषद में होने वाले घटनाक्रम के चलते’ यात्रा रद्द कर दी है। उन्होंने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत सर्जेई किसलितस्या से भी मुलाकात की।

भारत के लिए फिर दुविधा की स्थिति

गौरतलब है कि यूएनएससी में यूक्रेन पर रूस के हमलों के खिलाफ पश्चिमी देशों की तरफ से एक निंदा प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव का 11 देशों ने समर्थन किया था, जबकि भारत समेत तीन देश इस प्रस्ताव पर वोटिंग से गायब रहे। लेकिन युद्ध से हो रही मौतों के बीच भारत ने पहली बार अपने वोट न करने के फैसले पर सफाई जारी की और खेद जताया था। भारत ने साफ कर दिया था कि वह यूक्रेन में हुई तबाही से बेहद चिंतित है और उसे अफसोस है कि कूटनीति का रास्ता काफी जल्दी छोड़ दिया गया। 

भारत की तरफ से वोटिंग न करने के बाद ऐसा बयान जारी करना रूस के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने से जोड़कर देखा जा रहा था। हालांकि, रूस को नाराज न करने के मद्देनजर अमेरिका ने भी भारत की स्थिति को समझने की बात कही थी। अब एक बार फिर भारत के सामने वही चुनौती खड़ी हो गई है। यूएनएससी में आज होने वाली बैठक में भारत को फिर से वोटिंग में एक पक्ष लेने या इसमें हिस्सा न लेने पर फैसला करना होगा। माना जा रहा है कि भारत अपने पिछले रुख पर कायम रहते हुए रूस के खिलाफ नहीं जाएगा, लेकिन उसकी तरफ से जंग और इससे हो रही मौतों को लेकर निंदा किए जाने की संभावना है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति मोदी से मांग चुके हैं समर्थन

इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की और अपने देश के खिलाफ रूस के सैन्य हमले को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत से राजनीतिक समर्थन मांगा। इस दौरान, भारत ने दोनों देशों के बीच शांति बहाली के प्रयासों में किसी भी तरह से योगदान करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने वहां जारी संघर्ष की वजह से जान व माल को हुए नुकसान पर गहरी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने भारतीय नागरिकों को जल्द और सुरक्षित निकालने के लिए यूक्रेन के अधिकारियों से उपयुक्त कदम उठाने का भी अनुरोध किया।

वहीं, यूक्रेन के विदेश मंत्री कुलेबा ने एक ट्वीट में कहा था कि उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह रूस के साथ संबंधों में अपने प्रभाव के जरिये यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को समाप्त करने का प्रयास करे। उन्होंने कहा था, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत से आग्रह किया कि वह यूक्रेन में शांति बहाल करने के लिए आज के मसौदा प्रस्ताव का समर्थन करे।”



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