Connect with us

Hindi

What Is Constitutionally Wrong If Cm Advises Guv On Election Of Maha Assembly Speaker? Hc Asks Bjp Mla – महाराष्ट्र: हाई कोर्ट का भाजपा विधायक से सवाल, स्पीकर के चुनाव में सीएम का राज्यपाल को सलाह देना गलत क्यों?

Published

on


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: Amit Mandal
Updated Fri, 04 Mar 2022 05:43 PM IST

सार

महाराष्ट्र विधानसभा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए विधायक नियमों के नियम 6 और 7 में पिछले साल दिसंबर में किए गए संशोधनों को जनहित याचिका द्वारा चुनौती दी गई है।

ख़बर सुनें

ख़बर सुनें

बंबई हाई कोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा विधायक गिरीश महाजन और एक अन्य याचिकाकर्ता से पूछा कि वे बताएं कि क्या संवैधानिक रूप से यह गलत है कि राज्य के नियमों में मुख्यमंत्री को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के संबंध में राज्यपाल को सलाह देने का प्रावधान है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता महाजन और जनक व्यास, जिन्होंने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की हैं, उन्हें यह बताना चाहिए कि इस तरह की प्रक्रिया ने संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन कैसे किया। पीठ ने याचिकाकर्ताओं से यह भी पूछा कि अदालत को विधायी प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए।

मुख्यमंत्री द्वारा ऐसी सलाह देने में क्या गलत है?
अदालत ने कहा, क्या संविधान मुख्यमंत्री को कैबिनेट की सहायता के बिना राज्यपाल को सलाह देने से रोकता है? मुख्यमंत्री द्वारा ऐसी सलाह देने में क्या गलत है? आखिरकार, मुख्यमंत्री की सिफारिशों पर कैबिनेट भी गठित की जाती है। जब व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बात आती है तो हम निश्चित रूप से नागरिकों के अधिकारों के संरक्षक होंगे। लेकिन हमें विधायी मामलों में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए जब तक कि कोई गंभीर उल्लंघन न हो? यह एक अच्छा संदेश नहीं देता है। स्पीकर के चयन का तरीका क्या होना चाहिए, क्या यह अदालत को तय करना चाहिए? 

महाजन और व्यास द्वारा अधिवक्ता महेश जेठमलानी और अभिनव चंद्रचूड़ के माध्यम से दायर जनहित याचिका, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए विधायक नियमों के नियम 6 और 7 में पिछले साल दिसंबर में किए गए संशोधनों को चुनौती देती है। जनहित याचिकाओं में दावा किया गया है कि ये संशोधन ऐसे चुनावों पर राज्यपाल को सलाह देने के लिए अकेले मुख्यमंत्री को शक्ति देते हैं। चंद्रचूड़ ने अदालत को सूचित किया कि देश के कई राज्य कैबिनेट और मुख्यमंत्री को इन पदों के लिए राज्यपाल को सलाह देने का प्रावधान करते हैं। 

जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि महाराष्ट्र द्वारा लाए गए संशोधन मनमाने और असंवैधानिक है। चंद्रचूड़ ने कहा कि मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना एक व्यक्ति स्वयं कार्य नहीं कर सकता है। एक व्यक्ति के पास एकमात्र अधिकार नहीं हो सकता है। राज्य के वकील महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने दोनों जनहित याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि वे विचारणीय नहीं हैं। कुंभकोनी ने तर्क दिया कि यदि विधायक महाजन व्यक्तिगत रूप से संशोधनों से व्यथित हैं, तो उन्हें एक रिट याचिका दायर करनी चाहिए थी न कि एक जनहित याचिका।
 

विस्तार

बंबई हाई कोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा विधायक गिरीश महाजन और एक अन्य याचिकाकर्ता से पूछा कि वे बताएं कि क्या संवैधानिक रूप से यह गलत है कि राज्य के नियमों में मुख्यमंत्री को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के संबंध में राज्यपाल को सलाह देने का प्रावधान है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता महाजन और जनक व्यास, जिन्होंने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की हैं, उन्हें यह बताना चाहिए कि इस तरह की प्रक्रिया ने संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन कैसे किया। पीठ ने याचिकाकर्ताओं से यह भी पूछा कि अदालत को विधायी प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए।

मुख्यमंत्री द्वारा ऐसी सलाह देने में क्या गलत है?

अदालत ने कहा, क्या संविधान मुख्यमंत्री को कैबिनेट की सहायता के बिना राज्यपाल को सलाह देने से रोकता है? मुख्यमंत्री द्वारा ऐसी सलाह देने में क्या गलत है? आखिरकार, मुख्यमंत्री की सिफारिशों पर कैबिनेट भी गठित की जाती है। जब व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बात आती है तो हम निश्चित रूप से नागरिकों के अधिकारों के संरक्षक होंगे। लेकिन हमें विधायी मामलों में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए जब तक कि कोई गंभीर उल्लंघन न हो? यह एक अच्छा संदेश नहीं देता है। स्पीकर के चयन का तरीका क्या होना चाहिए, क्या यह अदालत को तय करना चाहिए? 

महाजन और व्यास द्वारा अधिवक्ता महेश जेठमलानी और अभिनव चंद्रचूड़ के माध्यम से दायर जनहित याचिका, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए विधायक नियमों के नियम 6 और 7 में पिछले साल दिसंबर में किए गए संशोधनों को चुनौती देती है। जनहित याचिकाओं में दावा किया गया है कि ये संशोधन ऐसे चुनावों पर राज्यपाल को सलाह देने के लिए अकेले मुख्यमंत्री को शक्ति देते हैं। चंद्रचूड़ ने अदालत को सूचित किया कि देश के कई राज्य कैबिनेट और मुख्यमंत्री को इन पदों के लिए राज्यपाल को सलाह देने का प्रावधान करते हैं। 

जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि महाराष्ट्र द्वारा लाए गए संशोधन मनमाने और असंवैधानिक है। चंद्रचूड़ ने कहा कि मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना एक व्यक्ति स्वयं कार्य नहीं कर सकता है। एक व्यक्ति के पास एकमात्र अधिकार नहीं हो सकता है। राज्य के वकील महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने दोनों जनहित याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि वे विचारणीय नहीं हैं। कुंभकोनी ने तर्क दिया कि यदि विधायक महाजन व्यक्तिगत रूप से संशोधनों से व्यथित हैं, तो उन्हें एक रिट याचिका दायर करनी चाहिए थी न कि एक जनहित याचिका।

 



Source link

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Categories