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Amid Western Countries Us Eu Uk Sanctions On Russia For Attacking Ukraine Know How India Is Set To Lose In Its Trade News And Updates – पश्चिमी देशों के प्रतिबंध: क्या भारत के लिए ईरान की तरह ही अनुपयोगी हो जाएगा रूस, देश को मिलने वाले रक्षा उत्पादों का क्या होगा, जानें
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वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Wed, 02 Mar 2022 08:39 PM IST
सार
गौरतलब है कि अमेरिका, ईयू और ब्रिटेन के नेतृत्व वाले देशों के समूह ने रूस के कई बैंकों को इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलिकम्युनिकेशन सेवा या स्विफ्ट से हटा दिया है।
भारत पर कैसे पड़ेगा रूस पर लगे प्रतिबंधों का असर।
– फोटो : Social Media
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विस्तार
रूस को यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़े अब एक हफ्ता पूरा हो चुका है। हालांकि, उसे अब तक कोई खास सफलता नहीं मिली है। उल्टा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सरकार को ही इसका नुकसान उठाना पड़ा है। अब तक अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा और जी7 संगठनों के देश रूस पर जबरदस्त आर्थिक प्रतिबंधों का एलान कर चुके हैं। जिन चीजों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनमें उड़ान सेवाओं से लेकर अनिवार्य आपूर्तियां और व्यापारिक समझौते तक शामिल हैं। इसके अलावा कूटनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण कई सेक्टरों पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं।
ऐसे में भारत में भी यह चिंता बढ़ती जा रही है कि आखिर पश्चिमी देशों के इन प्रतिबंधों का रूस और भारत के संबंधों पर क्या असर पडे़गा और इससे भारत की जरूरत वाले अहम सेक्टर, जैसे- रक्षा, तेल और गैस, खाद्य आपूर्तियों और अन्य क्षेत्रों से होने वाली सप्लाई पर क्या असर पड़ेगा। भारत की एक चिंता यह भी है कि कहीं ईरान की तरह ही रूस के ये सेक्टर भी भारत के लिए अनुपयोगी न हो जाएं।
क्या है भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार का आंकड़ा?
भारत के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में भारत-रूस का द्विपक्षीय व्यापार 61 हजार करोड़ रुपये (8.1 अरब डॉलर) का था। इसमें से भारत की तरफ से निर्यात करीब 19 हजार करोड़ (2.6 अरब डॉलर) का रहा, जबकि आयात 42 करोड़ रुपये (5.5 अरब डॉलर) तक पहुंच गया था।
भारत और रूस के बीच क्या-क्या आयात-निर्यात?
भारत की तरफ से रूस को इलेक्ट्रिकल मशीनरी, फार्मा उत्पाद, ऑर्गेनिक केमिकल, लोहा, स्टील, कपड़े, चाय, कॉफी और वाहनों के स्पेयर पार्ट्स का निर्यात किया जाता है। उधर भारत जिन चीजों को रूस से आयात करता है, उनमें सबसे ऊपर रक्षा उत्पाद हैं। इसके अलावा खनिज संसाधन, कीमती पत्थर और धातुएं, परमाणु ऊर्जा उपकरण, फर्टिलाइजर, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, स्टील के उत्पाद और इनऑर्गेनिक केमिकल शामिल हैं।
अगर रूस पर लगे कड़े प्रतिबंध तो व्यापार पर क्या असर पड़ेगा?
रूस पर जिस तरह से प्रतिबंधों का सिलसिला जारी है, उससे भारत के साथ उसके व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ना लगभग तय है। खासकर रक्षा क्षेत्र में भारत को इन प्रतिबंधों की वजह से नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा ऑटोमोबाइल, इंजीनियरिंग उत्पादों, फार्मा, टेलिकॉम उपकरणों और कृषि उत्पादों के व्यापार पर गहरा असर पड़ने की संभावना है।
बैंकिंग सिस्टम की रीढ़ टूटेगी
गौरतलब है कि अमेरिका, ईयू और ब्रिटेन के नेतृत्व वाले देशों के समूह ने रूस के कई बैंकों को इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलिकम्युनिकेशन सेवा या स्विफ्ट से हटा दिया है। इसी सेवा के इस्तेमाल से कोई भी देश विदेशी बैंकों से पैसे का लेनदेन बिना रुकावट या देरी के कर सकता था। हालांकि, स्विफ्ट से बाहर होने के बाद अब रूस के बैंकों के बीच लेनदेन की सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए कोई तेज विकल्प नहीं है। उसे अब टेलेक्स जैसी पुरानी व्यवस्था के भरोसे रहना पड़ रहा है, जिसका इस्तेमाल अधिकतर देशों ने बंद कर दिया है।
रूस ने बढ़ते व्यापारिक संबंधों के मद्देनजर ही भारत में अपने कुछ बैंकों की शाखाएं भी खोली हैं। इनमें वीटीबी, स्बरबैंक, व्नेशइकोनॉमबैंक, प्रोमवाजबैंक और गैजप्रौमबैंक शामिल हैं। इसके अलावा भारत के दो बैंकों- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और सेंट्रल बैंक का ज्वाइंट वेंचर ‘कमर्शियल बैंक ऑफ इंडिया एलएलसी’ भी रूस में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध करा रहा है।
मौजूदा संकट से भारत के रक्षा क्षेत्र पर कितना असर?
भारत इस वक्त रक्षा उत्पादों की सप्लाई के लिए रूस पर कितना निर्भर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि थलसेना, वायुसेना के अधिकतर हथियार सोवियत या रूसी मूल के हैं। इनके रखरखाव और खरीदारी के लिए भारत को रूस से सप्लाई की जरूरत होती है। इतना ही नहीं कलाशनिकोव बंदूकों और मिग-21 के ढांचों के लिए भी भारत रूस पर निर्भर है। भारत इस वक्त अपने एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की पूरी डिलीवरी की भी उम्मीद कर रहा है।
बताया गया है कि रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध और उसे स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम से हटाए जाने की वजह से भारत नए रक्षा उपकरणों की खरीद में देरी होगी। दरअसल, भारत किसी भी रक्षा उत्पाद को खरीदने के लिए किश्तों के आधार पर पेमेंट करता है। ऐसे में एस-400 सिस्टम, टैंकों और लड़ाकू विमानों के लिए जरूरी उपकरण और बाकी हथियारों के लिए भारत को पेमेंट करने में आगे देरी होगी और ऐसे में रूस में इन उपकरणों का निर्माण भी देर से ही होगा। यानी रूस पर प्रतिबंधों का सीधा असर भारत की रक्षा शक्ति पर पड़ने की संभावना है।
अमेरिका ने काट्सा कानून का इस्तेमाल किया तो बढ़ेंगी मुसीबतें
गौरतलब है कि अमेरिका अब तक रूस से रक्षा उत्पाद खरीदने वाले देशों पर काट्सा कानून के तहत कार्रवाई करता रहा है। जिन देशों पर इस कानून के तहत कार्रवाई हुई है, उनमें तुर्की और चीन जैसे देशों के नाम शामिल हैं। यानी अगर भारत को काट्सा कानून के दायरे में रखा गया तो इससे बड़े नुकसान होने की संभावना है। इससे रूस से खरीदी जाने वाली पनडुब्बी और युद्धपोतों के करार पर भी रुकावट आने की संभावना है।
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