प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मानते हैं कि सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों का वर्ग चुनावी सियासत या लाभ-हानि का हिस्सा नहीं है। ये समूह दरअसल विकास योद्धा हैं, जो अपनी बुनियादी जरूरतों से आगे बढ़कर देश के विकास में दमखम दिखाने को तैयार हैं। इससे देश को जो लाभ मिलने वाला है, वह कल्पना से परे है। यह सत्ता में दशकों तक बैठे लोगों को आईना भी दिखाने वाला है। पीएम ने कहा, लोग चौथी बार जातिवाद-परिवारवाद से ऊपर उठकर अब विकासवाद व राष्ट्रवाद के नाम पर वोट कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव में सकारात्मक नतीजों के प्रति आशान्वित पीएम मोदी ने आखिरी चरण के मतदान से पहले ‘अमर उजाला’ से शनिवार को खास बातचीत की। प्रधानमंत्री यूपी चुनाव को अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी और समीकरणों के तौर पर नहीं देखते। मोदी ने कहा, चुनाव रिपोर्ट कार्ड और भविष्य का विजन सामने रखने का माध्यम होता है। जन कल्याण के लिए काम करने वालों के लिए अगले चुनाव की तैयारी उसी दिन से शुरू हो जाती है, जिस दिन वे पिछला चुनाव जीतते हैं।
पीएम ने कहा, चुनाव गुणा-भाग नहीं, बल्कि जनता के बीच आपकी केमिस्ट्री से चलते हैं। ऐसी केमिस्ट्री जहां लोग प्रगति के लिए उत्सुक हैं और सरकार उनकी सेवा करने के लिए। ऐसी केमिस्ट्री जो लोगों को एक बेहतर कल के लिए एकसाथ लाती है। उन्होंने कहा, यूपी या पंजाब नहीं, सभी राज्य एक ही धागे से जुड़े हैं। सबकी आंखों में सपने हैं। इसलिए वे एक सकारात्मक राजनीति की ओर देख रहे हैं, जो प्रगति और विजन पर केंद्रित हो, परिवारवाद या विभाजन पर नहीं।
पहले डीबीटी का मतलब था डायरेक्ट बेनिफिट टु फैमिली, अब सीधा जनता तक लाभ पहुंच रहा है। आकांक्षा की राजनीति की ओर यह रुझान 2014 से पूरे देश में देखा गया है। ये 2019 के बाद और भी मजबूत हो गया है। लोगों ने देखा कि संकट के समय में विकास-केंद्रित सरकार कितनी महत्वपूर्ण होती है। यही रुझान अब आपको हर चुनाव में दिखाई दे रहा है और आगे भी दिखाई देगा।
70 वर्षों में जितने डॉक्टर तैयार हुए उतने अब अगले 10 वर्षों में ही बनेंगे
प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, 2014 तक देश में लगभग 385 मेडिकल कॉलेज थे। अब इनकी संख्या 600 से ज्यादा है। पहली बार निजी से ज्यादा सरकारी मेडिकल कॉलेज हो गए। आजादी के बाद के 70 वर्षों में जितने डॉक्टर देश में तैयार हुए, उतने डॉक्टर अब अगले 10 वर्षों में बनेंगे।
ऑपरेशन गंगा : कई देशों की सरकारों से तालमेल
मोदी बोले, ऑपरेशन गंगा के तहत भारत सरकार कई देशों की सरकारों के साथ तालमेल बिठाकर काम कर रही है। मैंने भी कई राष्ट्राध्यक्षों से बात की है और उन्हें कहा कि भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।
युवाओं के लिए भविष्य में और अधिक होंगे अवसर
पीएम मोदी ने कहा कि काम मांगने वाले हों या काम देने वाले, दोनों के लिए ही भारत की अर्थव्यवस्था ढेरों अवसर पैदा कर रही है। हम सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। निकट भविष्य में युवाओं के लिए अवसर और ज्यादा बनने वाले हैं।
सभी लोग चाहते हैं कि उनके राज्य का हो विकास
सभी लोग चाहते हैं कि उनके राज्य का विकास हो। वे सभी अपने और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की कामना कर रहे हैं। इसलिए जाति, धर्म, वंशवाद की राजनीति करने वाले दलों को जनता लगातार कमजोर कर रही है। – नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
हमारे ईमानदार प्रयासों से यूपी के लोगों में एक नया विश्वास जगा
डबल इंजन की सरकार का फायदा लोग समझने लगे हैं। डबल इंजन की सरकार की तेज गति के आगे घोर परिवारवादियों की सरकारों की सुस्त चाल कहीं टिक नहीं सकती।
आपने यूपी में प्रत्येक चरण के चुनाव में रैलियां की हैं, अब इस रण के आखिरी चरण पर पहुंच कर क्या तस्वीर देख रहे हैं?
मैं सबसे पहले यूपी के लोगों का, हमारी माताओं-बहनों-बेटियों और नौजवानों-किसानों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। छह चरणों में ही उन्होंने भाजपा और सहयोगी दलों की प्रचंड बहुमत वाली सरकार सुनिश्चित कर दी है। अपना भाई, बेटा, साथी मानकर उन्होंने हमें खूब आशीर्वाद दिया है। भाजपा पहले जैसी मजबूत और निर्णायक सरकार बनाएगी। लोग चौथी बार लगातार जातिवाद-परिवारवाद से ऊपर उठकर विकासवाद और राष्ट्रवाद के नाम पर वोट कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में योगी जी के नेतृत्व में कानून का राज स्थापित हुआ है। केंद्र और राज्य की डबल इंजन की सरकार का फायदा लोग समझने लगे हैं। चाहे गरीबों को घर, गैस कनेक्शन, बिजली, नल से जल देना हो या नई सड़कों व नए हाईवे का निर्माण, डबल इंजन की सरकार की तेज गति के आगे, घोर परिवारवादियों की सरकारों की सुस्त चाल कहीं टिक नहीं सकती। वैश्विक महामारी के इस दौर में पिछले 2 साल से यूपी के 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है।
इतनी बड़ी आबादी वाले प्रदेश में हमने अभूतपूर्व तेजी से टीकाकरण किया। टीके के सुरक्षा कवच की वजह से स्कूल-कॉलेज खुले हैं और व्यापार-कारोबार में भी तेजी आई है। भाजपा सरकार के ईमानदार प्रयासों की वजह से यूपी के लोगों में एक नया विश्वास पैदा हुआ है। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक हर क्षेत्र में विकास के हमारे कार्यों की जनता सराहना कर रही है। 10 मार्च के बाद भाजपा सरकार, इन कार्यों को और तेजी से आगे बढ़ाएगी।
पहले डीबीटी का मतलब होता था डायरेक्ट बेनिफिट टु फैमिली
उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में लोग हमें दोबारा अवसर देना चाहते हैं। पंजाब के मेरे भाई-बहन वहां की भ्रष्ट, परिवारवादी और नाकाम सरकारों से त्रस्त हो चुके हैं।
पंजाब, उत्तराखंड, गोवा व मणिपुर में भी आपने रैलियां की हैं, आपका क्या आकलन है ?
देखिए, भाजपा की सरकार, चाहे किसी राज्य में हो, लोगों की सेवा की भावना से काम करती है। गरीबों व मध्य वर्ग का जीवन आसान बने, व्यापार-कारोबार और निवेश के लिए उचित वातावरण रहे, यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होती है। उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर के भी लोग पहले की सरकारों के रवैये और हमारी सरकार की कार्यसंस्कृति के फर्क को साफ महसूस करते हैं। भाजपा की सरकारों ने आगे बढ़कर गरीबों को समस्त विकास योजनाओं का फायदा पहुंचाया है। पहले की सरकारों के लिए डीबीटी का मतलब होता था, डायरेक्ट बेनिफिट टु फैमिली।
हमारी सरकार ने डीबीटी को डायरेक्ट बेनिफिट टु पीपल बनाया। इससे भ्रष्टाचार कम हुआ है, सरकार की योजनाओं का लाभ, बिना लीकेज सीधे लोगों के बैंक खातों में जा रहा है। वे लोग टेक्नोलॉजी को तोड़-मरोड़ कर, अनेकों फर्जी कंपनियां तैयार कर, अनेकों कागजी लोग बनाकर, जनता का पैसा लूटते थे। हमारी सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल करके लोगों को उनका वाजिब हक मिले। यह एक बड़ी वजह है कि लोगों में जातिवादी और परिवारवादी नेताओं पर आश्रित रहने की भावना खत्म होने लगी है।
अब हर जगह विकास, कानून-व्यवस्था और सुरक्षा के मुद्दे को जगह मिलने लगी है। उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में लोगों ने हमारे इन सब कार्यों को देखा है, इसलिए वे सब हमें सेवा का दोबारा अवसर देना चाहते हैं। पंजाब के मेरे भाई-बहन अब वहां की भ्रष्ट, परिवारवादी और नाकाम सरकारों से त्रस्त हो चुके हैं। उनमें बदलाव की गहरी इच्छा दिखी है। वे भाजपा को उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं।
यूपी का हर व्यक्ति इस बात का गर्व करता है कि उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य नहीं रहा, बल्कि देश के विकास में एक नया अध्याय जोड़ रहा है
आप बार-बार कह रहे हैं, जीतेंगे तो योगी ही, आपने कहा, यूपी प्लस योगी यानी उपयोगी। क्या सीएम योगी के चेहरे पर ही भाजपा चुनाव लड़ रही है?
योगी जी ने यूपी की माताओं-बहनों-बेटियों, नौजवानों के हृदय में जगह बनाई है। यूपी में माफिया और अपराधियों पर लगाम कसी जा सकती है, पहले की सरकारों में इसकी उम्मीद तक यूपी के लोग छोड़ चुके थे। योगी जी ने एक तरफ ऐसे अराजक तत्वों पर सख्ती की, तो दूसरी तरफ गरीबों के लिए पूरी संवेदनशीलता से काम किया। भाजपा के कार्यकर्ताओं को भी गर्व है कि भाजपा की सरकार ने इस सेवा भाव से काम किया है। इसलिए योगी जी यूपी की माताओं-बहनों-बेटियों, किसानों-नौजवानों सभी के प्रतिनिधि हैं।
पहले की सरकारों ने यूपी को बड़ी-बड़ी घोषणाओं और झूठे वादों के सिवाय कुछ नहीं दिया। आज लोग देख रहे हैं कि योगी जी किस तरह स्थितियों को बदलने के लिए, यूपी के विकास के लिए निरंतर परिश्रम कर रहे हैं। इसीलिए यूपी की जनता कह रही है-यूपी+योगी, बहुत उपयोगी। मैं एक और पंक्ति जोड़ देता हूं-जीतेंगे तो योगी ही और उनकी जीत से जीतेगा सबका विकास, जीतेगा सबका विश्वास, जीतेगा सबका प्रयास।
योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था को कायम करने में कहां तक सफलता हासिल की है?
उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था सुधर भी सकती है, लोग कभी इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे। आप लोगों ने भी 2017 से पहले गुंडे-बदमाशों, अपराधी तत्वों और माफिया की करतूतों को विस्तार से रिपोर्ट किया है। कुशासन की वो यादें न तो अखबारों के आर्काइव से मिटी हैं और न ही हमारी बहन-बेटियां के मस्तिष्क से मिट पाएंगी। जिन दलित, पिछड़े परिवारों के घर जलाए गए, घरों-जमीनों पर अवैध कब्जे हुए और थाने में रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होती थी, उनको वो अंधेरगर्दी आज भी याद है।
आज अगर राज्य की कानून-व्यवस्था आपको पटरी पर नजर आ रही है, तो यह योगी सरकार के दृढ़ संकल्प और अथक परिश्रम का ही परिणाम है। यूपी में यह कानून का राज ही है, जिसके चलते राज्य में होने वाले दंगे इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं। बीते पांच साल में हर जाति-धर्म के त्याेहार सौहार्द भरे माहौल में संपन्न हुए हैं।
बीते पांच साल में यूपी के विकास को आप किस दृष्टि से देखते हैं?
विकास की योजनाओं को लेकर पहले की सरकारों का ढीला-ढाला कामकाज और भाजपा सरकार की तेज गति आज आंकड़ों में भी साफ नजर आती है। आज यूपी में एक्सप्रेस-वे डबल हो रहे हैं, हवाईअड्डों की संख्या भी डबल हो रही है। यूपी देश का एकमात्र राज्य है, जहां 5 शहरों में मेट्रो रेल हैं और 5 पर काम चल रहा है। पिछली सरकार के समय तक जहां 17 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे, आज यह संख्या 35 से ज्यादा हो चुकी है। हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए हम तेजी से काम कर रहे हैं।
साल 2017 तक जहां यूपी में मेडिकल की सिर्फ 1900 सीटें थीं, वहीं बीते 5 साल में 2100 नई सीटें जोड़ी गईं। शिक्षा क्षेत्र में देखें, अनेक नई यूनिवर्सिटी पांच साल में तैयार हुई। पिछली सरकार अपने कार्यकाल में जहां गरीबों के लिए कुछ हजार ही घर बनवा पाई थी, योगी जी की सरकार ने अपने पांच साल में 34 लाख से ज्यादा घर गरीबों को बनाकर दिए। पिछली सरकार में विकास का मतलब एक ही परिवार का विकास था। इन परिवारवादियों के राज में विकास इनसे शुरू होकर, इन पर ही खत्म होता था।
जबकि भाजपा सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के मंत्र पर काम कर रही है। इस मंत्र पर चलते हुए गरीबों, दलितों, वंचितों, पिछड़ों, छोटे किसानों, महिलाओं, युवाओं और मध्य वर्ग समेत सभी लोगों की भलाई के लिए योजनाएं बनाई गईं और बिना किसी जातिगत और धार्मिक भेदभाव के लागू भी किया। आज यूपी का हर व्यक्ति इस बात का गर्व करता है कि उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य नहीं रहा, बल्कि देश के विकास में एक नया अध्याय जोड़ रहा है।
डबल इंजन की सरकार ने हर परिस्थिति में, हर जरूरतमंद की, कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक की सेवा के संकल्प को पूरा करने का प्रयास किया है
सूबे में सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों का नया वर्ग खड़ा हो गया है। इससे भाजपा को कितना लाभ मिलने की संभावना है?
आप जिसे लाभार्थियों का नया वर्ग कह रहे हैं, मैं उन्हें विकास का नया योद्धा मानता हूं। ये वैसे लोग हैं, जो अब अपनी जरूरतों से आगे बढ़कर देश के विकास में दमखम दिखाने को तैयार हैं। आप ये पूछ रहे हैं कि इससे भाजपा को क्या लाभ मिलने वाला है, लेकिन इससे देश को जो लाभ मिलने वाला है, उसकी तो आप कल्पना भी नहीं कर सकते। यही नहीं, आपका सवाल अगर जनता-जनार्दन की दुखती रग पर हाथ रखने जैसा है, तो सत्ता में दशकों तक बैठे लोगों को आईना भी दिखाने वाला है।
आज उत्तर प्रदेश के लोगों को अगर मकान, बिजली-पानी कनेक्शन, शौचालय, गैस कनेक्शन मिल रहे हैं, तो यह हमारी उपलब्धियों के साथ-साथ पुरानी सरकारों के कुशासन का भी प्रतिबिंब हैं। इतने दशकों तक इतनी मूल सुविधाओं से सामान्य जन को वंचित रखने का पाप इन्होंने किया है। हमारी डबल इंजन की सरकार ने हर परिस्थिति में, हर जरूरतमंद की, कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक की सेवा के संकल्प को पूरा करने का प्रयास किया है।
भाजपा के अधिकतर नेताओं का चुनाव अभियान नकारात्मक हो गया है, विकास और किसानों, युवाओं के मुद्दे गायब हैं?
देखिए मैं अमर उजाला की संपादकीय टीम को एक टास्क देता हूं। आप लोग हमारे संबोधनों का एक वर्ड क्लाउड बनाइए और खुद देखिए। जो शब्द प्रमुखता से बोले गए हैं, वो होंगे घर, राशन, वैक्सीन, कानून व्यवस्था, किसान, इथेनॉल ब्लेंडिंग, हाईवे-एक्सप्रेसवे, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के अवसर, यूपी का इन्फ्रास्ट्रक्चर। वर्ड क्लाउड में 90 प्रतिशत शब्द आपको यही मिलेंगे। हां, 10 प्रतिशत ऐसा भी हो सकता है कि जहां हम विरोधियों की झूठी घोषणाओं और झूठे आरोपों का जवाब दे रहे होंगे।
मैंने हमेशा अपने संबोधनों में महिला हितों, नौजवानों-किसानों के हितों, रोजगार के अवसरों की बात की है। शुरू से ही सकारात्मकता, सर्वांगीण और समावेशी विकास की सोच को अपनाया है। भाजपा का पूरा चुनाव प्रचार अभियान केंद्र सरकार और राज्य सरकार यानी डबल इंजन की सरकारों द्वारा किए गए चौतरफा विकास के इर्द-गिर्द ही रहा है।
खेती में सुधार के तीन कानून वापस ले लिए गए। अब खेती और खेतिहर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए क्या रणनीति होगी?
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए पिछले 7 वर्षों में हम एक केंद्रित और व्यापक रणनीति के साथ काम कर रहे हैं। पहले सिर्फ उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया जाता था, हमने उत्पादन के साथ-साथ किसानों के लाभ पर भी फोकस किया। हमने बीज से बाजार तक किसानों के लिए नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया, उनमें सुधार का प्रयास किया। छोटे किसानों की छोटी-छोटी जरूरतों को समझा और उसके लिए कार्य किया। पीएम किसान सम्मान निधि हो, करोड़ों किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड हो, फसल बीमा योजना का विस्तार हो, दशकों से अधूरी पड़ी सिंचाई परियोजनाएं पूरी हों, किसानों को आसानी से कम ब्याज दरों पर ऋण मिले, हमने इन सबका ध्यान रखा। हमने पशुपालकों और मछुआरों को भी किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा से जोड़ा।
ये हमारी ही सरकार है जो एमएसपी पर सरकारी खरीद पर इतना जोर दे रही है। मैं अमर उजाला के पाठकों को कुछ आंकड़े भी दूंगा। 2007 से 2014 के बीच किसानों से करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये का धान खरीदा गया था। हमारी सरकार के दौरान सात साल में लगभग 7.5 लाख करोड़ रुपये का धान किसानों से एमएसपी पर खरीदा गया है। इसी तरह दलहन के लिए एमएसपी भुगतान लगभग 75 गुना बढ़ा है। एक और अहम बात यह भी है कि एमएसपी का यह पैसा डीबीटी के जरिये सीधे किसानों के खाते में पहुंच रहा है।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए हमारी सरकार कृषि निर्यात को भी बढ़ावा दे रही है। हम खेती को आधुनिक तकनीक से भी जोड़ रहे हैं। आप देख ही रहे हैं कि किसानों में ड्रोन को लेकर कितना उत्साह है। ड्रोन किसानों की फसलों की देखभाल से लेकर उपज को बाजारों तक पहुंचाने तक, अनेक प्रकार से किसानों की मदद करेंगे। किसानों के लिए हमारे प्रयास एकाध कदम पर आधारित नहीं रहे हैं। यह एक संपूर्ण और व्यापक योजना है, जिस पर हम काम कर रहे हैं और यह फलदायी भी हो रहा है।
यूपी से 2024 के समीकरण साधने की तैयारी अभी से शुरू हो गई है?
समीकरण उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, जो चुनावी राजनीति को गणित के खेल के रूप में देखते हैं। इसको जोड़ो, उसे तोड़ो तो चुनाव जीत जाएंगे। लेकिन चुनाव अब गुणा-भाग नहीं, बल्कि जनता के बीच आपकी केमिस्ट्री से चलते हैं। ऐसी केमिस्ट्री, जहां लोग प्रगति के लिए उत्सुक हैं और सरकार उनकी सेवा करने के लिए। ऐसी केमिस्ट्री जो लोगों को एक बेहतर कल के लिए एक साथ लाती है। चुनाव आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन इन चुनावों के बीच आपका काम लोगों के लिए मायने रखता है। जन कल्याण के लिए काम करने वालों के लिए अगले चुनाव की तैयारी उसी दिन से शुरू हो जाती है, जिस दिन वो पिछला चुनाव जीतते हैं। क्योंकि वे पहले दिन से ही काम कर रहे हैं।
पंजाब में आप लंबे अरसे बाद अकाली दल के बिना चुनाव लड़े हैं, नए सहयोगियों के साथ कैसा रिस्पांस मिला?
पंजाब बॉर्डर स्टेट है, मेहनतकश और राष्ट्रभक्ति से भरे हुए लोगों का प्रदेश। स्वाभाविक है कि पंजाब के लोग भाजपा को अपना आशीर्वाद देंगे। जो भारत की सुरक्षा के प्रति ही गंभीर नहीं, जो भारत को एक राष्ट्र ही नहीं मानते, देश की अखंडता व पंजाब की सुरक्षा उनके हवाले नहीं की जा सकती, यह लोग जानते हैं। भाजपा के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन ने पंजाब की सुरक्षा और विकास का जो संकल्प सामने रखा है, उसको पंजाब की जनता ने भरपूर आशीर्वाद दिया है। पंजाब के लोग भी डबल इंजन की सरकार की ताकत को समझते हैं।
ड्रग्स, सीमा पार से तस्करी की कोशिशें, किसानों की स्थिति, रोजगार के अवसर, अहम मुद्दे हैं। आज आप देखिए, इतनी संभावनाओं से भरा पूरा पंजाब, लेकिन इंडस्ट्री? वो तो पंजाब को छोड़कर जा रही हैं। कांग्रेस सरकार की नीतियों के कारण पंजाब में निवेश को लेकर उत्साह बहुत कम रहा है। इन स्थितियों को डबल इंजन की सरकार ही बदल सकती है। हमने अपने घोषणा-पत्र में अनेक संकल्प लिए हैं। पंजाब में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर होगा, पारदर्शी सरकार होगी तो न उद्योगों को पलायन करना पड़ेगा, न नौजवानों को!
काशी में आखिरी दो दिन प्रवास के मायने?
देखिए, काशी में बिताया हर पल मेरे लिए अनमोल होता है। मुझे लगता है कि काशी के लोगों ने मुझे इतना स्नेह दिया है, इतना आशीर्वाद दिया है कि मैं काशी के लिए जितना करूं, वो कम ही है। मैं यहां आता हूं तो अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से मिलता हूं, बनारस की सड़कों पर टहलता हूं, कभी ठंडई, कभी चाय पीता हूं, मां गंगा को स्पर्श कर आने वाली हवा मुझे अभिभूत कर देती है।
इस पुरातन शहर में जो ऊर्जा हर गली, हर घाट, हर क्षेत्र में हजारों वर्षों से व्याप्त है, उसे मैं भीतर तक महसूस करता हूं। ये अनुभव ही कुछ और होता है। मेरे लिए तो पूरा बनारस ही एक मंदिर की तरह है। यहां का हर जन, मेरे लिए देवी-देवता है। उनकी सेवा करने के लिए, साथ समय बिताने के लिए कई बार तो मुझे दो दिन भी कम लगते हैं।
लोगों ने देखा कि संकट के समय में विकास-केंद्रित सरकार कितनी महत्वपूर्ण होती है
पांचों राज्यों के लोग विकास के लिए लालायित हैं। वे सभी अपने और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की कामना कर रहे हैं। सबकी आंखों में सपने हैं। इसलिए वे एक सकारात्मक राजनीति की ओर देख रहे हैं, जो प्रगति और विजन पर केंद्रित हो, परिवारवाद या विभाजन पर नहीं। इसलिए जाति, धर्म, वंशवाद की राजनीति करने वाले दलों को जनता लगातार कमजोर कर रही है।
जाति, धर्म, वंशवाद की राजनीति करने वालों को जनता ने पहचाना
पांच राज्यों के 2022 के चुनावी नतीजों के 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए क्या निहितार्थ होंगे?
देखिए, चुनाव जनता के सामने अपना रिपोर्ट कार्ड और विजन रखने का समय होता है। यह हर जगह लागू होता है, चाहे वह राज्य हो या देश। सही मायनों में सभी चुनाव इस एक धागे से जुड़े हैं। ये पांच राज्य भौगोलिक स्थिति, भाषा और कई दूसरी चीजों में भिन्न लग सकते हैं। मैं हालांकि सामान्य पैटर्न देखता हूं। सभी राज्यों के लोग विकास के लिए लालायित हैं। वे सभी अपने और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की कामना कर रहे हैं। सबकी आंखों में सपने हैं।
इसलिए वे सकारात्मक राजनीति की ओर देख रहे हैं, जो प्रगति और विजन पर केंद्रित हो, परिवारवाद या विभाजन पर नहीं। इसलिए जाति, धर्म, वंशवाद की राजनीति करने वाले दलों को जनता लगातार कमजोर कर रही है। वह उन्हें पहचान गई है। आकांक्षा की राजनीति की ओर यह रुझान 2014 से पूरे देश में देखा गया है। ये 2019 के बाद और भी मजबूत हो गया है। लोगों ने देखा कि संकट के समय में विकास-केंद्रित सरकार कितनी महत्वपूर्ण होती है। यही रुझान अब हर चुनाव में दिखाई दे रहा है और आगे भी दिखाई देगा।
बुनियादी सुविधा को विशेष लाभ के तौर पर देखना ठीक नहीं
माना जा रहा है कि व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं के कारण जातिवाद, सांप्रदायिकता से राजनीति मुक्त हो रही है। भविष्य की राजनीति को आप कैसे देखते हैं?
मुझे नहीं लगता कि व्यक्तिगत लाभ कहकर इसे सही तरीके से देखा जा सकता है। कुछ बुनियादी सुविधाओं को विशेष लाभ के तौर पर देखना ठीक नहीं। नल से जल, शौचालय, आवास, बैंक खाता, गैस कनेक्शन जैसी चीजें, ये व्यक्तिगत लाभ नहीं हैं। गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए ये मूल आवश्यकताएं हैं। लोगों को सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ एक बेहतर जीवन देने वाली हमारी विकासवादी राजनीति, जातिवाद, सांप्रदायिकता और ऐसी अन्य बुराइयों को तोड़ रही है।
आज देश मूल आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली, जीवन को आसान बनाने वाली, विकास को नई ऊंचाई पर ले जाने वाली राजनीति को स्वीकार रहा है और आप ये भी समझिए कि जब राजनीति प्रगतिशील हो जाती है, तो अवनतिशील विचारों के लिए कोई जगह नहीं होती। जो लोग समाज को एक दूसरे से लड़ाकर आगे बढ़ना चाहते हैं, उनके लिए अब भारत की राजनीति में संभावनाएं धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं।
जब हम आए थे…500 स्टार्टअप भी नहीं थे देश में, अब 60 हजार
रोजगार भारत जैसे देश में बड़ा मुद्दा है। आप युवाओं को रोजगार देने वाला बनाने के पक्षधर हैं। इस दिशा में सरकार के नए प्रयास क्या होंगे?
आप दुनिया की किसी भी विकसित अर्थव्यवस्था को देख लीजिए, जिस देश में उद्यम को, स्वरोजगार को बल मिलता है, उससे अर्थव्यवस्था में तेजी आती है। स्टार्टअप इंडिया हो, स्टैंडअप इंडिया हो या मुद्रा योजना, इनका उद्देश्य युवाओं के कारोबारी आइडिया को सपोर्ट करना है। युवा जोश को जब नीतिगत सहयोग मिलता है, तो इससे कितने शानदार परिणाम मिलते हैं, ये हम बीते कुछ सालों से देख रहे हैं। जब हम 2014 में आए थे तब 500 स्टार्टअप भी देश में नहीं थे अब 60 हजार स्टार्टअप हो चुके हैं।
वैसे ही 33 करोड़ से ज्यादा जो मुद्रा लोन दिए गए, वो भी गांवों और छोटे शहरों में रोजगार और स्वरोजगार के बहुत बड़े अवसर बना रहे हैं। आप इस बजट में भी पाएंगे कि नए-नए सेक्टर जैसे ड्रोन और एग्रीटेक के क्षेत्र में बहुत बल दिया गया है। पिछले साल स्पेस सेक्टर, मैप सेक्टर में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए हमने दरवाजे खोले। आप यह भी देखेंगे कि हाईवे बनाने की बात हो, रेल विद्युतीकरण की बात हो, मेट्रो रेल बनाने की बात हो, एलपीजी कवरेज बढ़ाने की बात हो, पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में हर पहलू में दो-तीन गुना वृद्धि हुई है। इतना निर्माण क्या बिना रोजगार के अवसर बढ़े हो सकता है?
यूक्रेन से लौटे युवाओं का परिवार से मिलना मेरे लिए भी संतोष के पल
हम हर भारतीय की सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं और ये काम जारी रहेगा…
यूक्रेन की स्थिति को देखते हुए भारत का निकासी अभियान एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक मुद्दा बन गया है। क्या प्रगति है इसमें?
देश के लिए यह राहत की बात है कि अब तक हम 19 हजार से अधिक भारतीयों को युद्धक्षेत्र से बाहर निकाल पाए हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत भारत सरकार कई देशों की सरकारों के साथ तालमेल बिठाकर काम कर रही है। मैंने भी कई राष्ट्राध्यक्षों से बात की है और उन्हें कहा है कि भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। ये देश हमारी हरसंभव मदद भी कर रहे हैं। इस समय हमारे चार मंत्री वहां मोर्चे पर हैं। जिन युवाओं से मेरी बातचीत हुई है, उनको भी लगता है कि मंत्रियों को वहां भेजने से चीजें सरल हुई हैं।
यूक्रेन के पड़ोसी देशों में गैर सरकारी संगठनों और प्रवासी संगठनों को भी सक्रिय किया गया है। हमने नियमित उड़ानों के अलावा वायुसेना को भी इस मिशन में लगाया है। जब हमारे अधिक से अधिक युवा घर लौट कर अपने परिवार से मिलते हैं, वह मेरे लिए भी बहुत संतोष के पल होते हैं। इससे वहां फंसे लोगों को भी हौसला मिलता है। उनको भी लगता है कि उन तक भी सरकार जरूर पहुंचेगी। मैंने अधिकारियों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि प्रशासन हमेशा सभी छात्रों के परिवारों के संपर्क में रहे। यही कारण है कि हमारे मंत्री, जिला प्रशासन के लोग हजारों परिवारों तक पहुंच कर उनकी चिंताओं का समाधान कर उन्हें आश्वस्त कर रहे हैं। हम हर भारतीय की सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं और ये काम जारी रहेगा।
हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज पर काम कर रही हमारी सरकार
2014 तक देश में 385 मेडिकल कॉलेज थे। अब ये 600 से ज्यादा हो गए हैं। पहली बार प्राइवेट से ज्यादा सरकारी मेडिकल कॉलेज हुए हैं। देशभर में 7 एम्स थे… आज 22 एम्स के नेटवर्क की तरफ हम तेजी से बढ़ रहे हैं।
यूक्रेन में इस स्थिति के कारण, कई लोग सवाल पूछ रहे हैं कि हमारे बच्चे चिकित्सा शिक्षा के लिए विदेश क्यों जा रहे हैं और यह कैसे बदलेगा?
देखिए, हमारे यहां लंबे समय तक शिक्षा क्षेत्र में क्षमताएं बढ़ाने की उपेक्षा हुई है। चिकित्सा क्षेत्र का हाल तो और बुरा था। बेहतर अवसरों के अभाव में हमारे युवाओं को बाहर जाकर शिक्षा पाने के लिए मजबूर किया गया। 2014 में सरकार में आने के बाद से हम इस स्थिति को ठीक करने के लिए कदम उठा रहे हैं। अमर उजाला के पाठकों ने कुछ समय पहले तमिलनाडु में एक ही बार में 11 मेडिकल कॉलेजों के लोकार्पण की खबर जरूर पढ़ी होगी। इसी तरह यूपी के सिद्धार्थनगर से मैंने एक साथ 9 मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया था। यह सब अचानक नहीं हुआ, बल्कि इसके पीछे हमारी बरसों की मेहनत है।
2014 तक देश में लगभग 385 मेडिकल कॉलेज थे। हमारी सरकार के प्रयास से अब इनकी संख्या 600 से ज्यादा हो गई है। देश में पहली बार ऐसा हुआ जब सरकारी मेडिकल कॉलेज, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से ज्यादा हो गए। 2014 तक, देशभर में सिर्फ 7 एम्स हुआ करते थे। आज 22 एम्स के नेटवर्क की तरफ हम तेजी से बढ़ रहे हैं। अब हमारी सरकार हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है। पिछले 7 सालों में मेडिकल की ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट सीटों की संख्या 80,000 से बढ़कर अब करीब 1.5 लाख हो गई है।
ये संख्या आने वाले दिनों में और बढ़ेगी। आजादी के बाद के 70 वर्षों में जितने डॉक्टर देश में तैयार हुए, उतने डॉक्टर अब अगले 10 वर्षों में बनेंगे। इसके लिए हम हर साधन-संसाधन देश में ही बढ़ा रहे हैं। और ये हम सिर्फ मेडिकल एजुकेशन में ही कर रहे हों, ऐसा नहीं है। इसी तरह की प्रगति विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम और दूसरे संस्थानों की संख्या में वृद्धि के तौर पर देखी जा सकती है। आज के ये प्रयास आने वाले सालों में हमारे युवाओं को बेहतर अवसर देने वाले हैं।
जॉब क्रिएटर हों या जॉब सीकर, दोनों के लिए ढेरों अवसर
ईपीएफओ के आंकड़ों से मालूम चलता है कि पिछले साल 18 से 28 आयु वर्ग के लोगों के लिए एक करोड़ से ज्यादा फॉर्मल जॉब पैदा हुई हैं। चाहे इंजीनियरिंग गुड्स हों, टेक्सटाइल्स हो या एग्रीकल्चर ये सभी एक्सपोर्ट रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। साफ है कि जॉब क्रिएटर हों या जॉब सीकर, दोनों के लिए ही भारत की अर्थव्यवस्था ढेरों अवसर पैदा कर रही है। आज भी हम सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। निकट भविष्य में युवाओं के लिए अवसर और ज्यादा बनने वाले हैं।