सरगम ने बताया कि पहले हालात सामान्य थे लेकिन दो दिनों से हालात और खराब हो गए हैं। वहां रह गए लोगों को मिसाइलें गिरने की आवाजें सुनाई दे रहीं हैं। एयरपोर्ट की तरफ जाने के बिल्कुल मना कर दिया गया है।
हमें लगातार मिसाइल के धमाके सुनाई दे रहे हैं। जान बचाने के लिए हम सब बंकर में छिपे हैं। डर का माहौल है और हर तरफ अफरा-तफरी मची है। किसी को नहीं पता कि आगे क्या होगा। हम अपने देश भारत पहुंच भी पाएंगे या नहीं। यूक्रेन के चेर्नित्सि शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहीं मनीमाजरा की तेजस्विनी ने जब यह बात अपने परिजनों को बताई तो सभी सहम गए।
परिजनों को अब अपनी बेटी की सुरक्षा की चिंता सता रही है। उधर, 22 फरवरी को यूक्रेन से सही सलामत लौटीं सेक्टर-48 निवासी सरगम ने बताया कि यूक्रेन में अब हालात भयावह हैं। शुक्र है कि मैं समय रहते स्वदेश लौट आई लेकिन वहां अभी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र फंसे हैं। सरकार को जल्द ही कोई कदम उठाना चाहिए।
मनीमाजरा के गोबिंदपुरा इलाके की रहने वालीं तेजस्विनी ने गुरुवार को अपने मामा मनोज सहगल को फोन किया। बताया कि दोपहर तक को सब ठीक था लेकिन शाम को मिसाइलों के धमाके सुनाई देने लगे। इससे उनके साथ पढ़ने वाले सभी भारतीय छात्र सहम गए। उनके समेत आठ भारतीय विद्यार्थियों को आनन-फानन बंकरों में ले जाया गया। सभी डरे हैं। तेजस्विनी ने कहा कि हम जल्द से जल्द यहां से निकलना चाहते हैं। भारत सरकार को तत्काल कोई कदम उठाना चाहिए ताकि हम सब सुरक्षित स्वदेश लौट सकें।
सेक्टर-48 निवासी सरगम भी यूक्रेन के चेर्नित्सि शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहीं हैं। बुकोवेनिअन स्टेट मेडिकल कॉलेज में मेडिकल कोर्स का तीसरा साल चल रहा है। उन्होंने अमर उजाला को बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ने पर वहां रह रहे भारतीय छात्रों के परिजनों ने भारतीय दूतावास पर दबाव बनाना शुरू कर दिया।
तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए दूतावास से उन्हें एक नोटिस आया कि अपने विश्वविद्यालय पर निर्भर न रहें, जल्द भारत वापस लौट जाएं। स्थिति नियंत्रण में आने के बाद यूक्रेन लौट सकते हैं। इस नोटिस के बाद उन्होंने एयर इंडिया की फ्लाइट से टिकट बुक कराया। सरगम ने बताया कि तनावपूर्ण स्थिति में एयरलाइंस ने भी टिकट का दाम बढ़ा दिया। जो टिकट 30 हजार रुपये का था, वह 61 हजार रुपये में बुक हुआ। 22 फरवरी को वह भारत लौट आईं तो परिजनों को सुकून मिला। सरगम ने बताया कि उनके साथ 148 विद्यार्थी स्वदेश लौटे थे।
20 हजार से ज्यादा भारतीय विद्यार्थी हैं यूक्रेन में
सरगम ने बताया कि यूक्रेन में लगभग 20 हजार से ज्यादा भारतीय विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। उनके विश्वविद्यालय में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जयपुर और उत्तराखंड के लगभग दो हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। उनकी केरल की एक दोस्त वहीं फंसी है। इंडियन स्टूडेंट यूनियन वहां फंसे सभी भारतीय विद्यार्थियों का ध्यान रख रही है। साथ ही उनके परिजनों को उनके सुरक्षित होने का पूरा भरोसा दे रही है। परिजनों से बच्चों की बात भी कराई जा रही है। उन्हें खाने और पीने के सामान की भी कोई कमी नहीं होने दी जा रही है।
कोरोना में भी बढ़ गए थे टिकट के दाम
सरगम के पिता बबलू कुमार जीएमसीएच-32 में सीनियर मेडिकल लैब टेक्निशियन हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में भी जब बच्चों को वापस बुलाया गया तो तीन गुने दाम पर टिकट बुक हुए। इस बार भी आफत आई तो टिकटों के दाम बढ़ गए। सरकार को आपात स्थित में अचानक से टिकटों के दाम बढ़ाने पर रोक लगानी चाहिए। किसी के पास रुपये नहीं होंगे तो वह कैसे अपने बच्चे को वापस बुलाएगा।
एयरपोर्ट के पास जाने की मनाही, राशन जमा कर रहे हैं लोग
सरगम ने बताया कि पहले हालात सामान्य थे लेकिन दो दिनों से हालात और खराब हो गए हैं। वहां रह गए लोगों को मिसाइलें गिरने की आवाजें सुनाई दे रहीं हैं। एयरपोर्ट की तरफ जाने के बिल्कुल मना कर दिया गया है। दुकानों पर लोगों की भीड़ जुटी हुई है। लोग खाने व पीने के सामान का स्टॉक करके घर में रख रहे हैं। उनका कहना है पता नहीं यह स्थिति कब तक रहेगी, इसलिए सूखा राशन ज्यादा से ज्यादा स्टॉक करके रख रहे हैं।
65 हजार में कराया था टिकट, कैंसिल हो गया, अब तो ईश्वर का ही भरोसा: राजन पाल
तेजस्विनी भी बुकोवेनिअन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस (चौथा वर्ष) की पढ़ाई कर रही हैं। तेजस्विनी के पिता राजन पाल ने बताया कि उन्होंने बेटी को बुलाने के लिए 28 फरवरी की 65 हजार में टिकट बुक कराया था, जो कैंसिल हो गया। यही टिकट पहले 34 से 35 हजार का था। राजन पाल ने बताया कि दूतावास से शाम को संदेश मिला है कि तेजस्विनी को जल्द भारत लाया जाएगा।
राजन घबराए हुए हैं, कहा कि अब तो केवल ईश्वर का सहारा है। वहीं, मां सोनिया पाल ने बताया कि दूतावास ने 14/15 फरवरी को सूचित किया था कि अपनी बच्ची को बुला लें लेकिन 16 फरवरी को सूचित किया कि वह भारतीय बच्चों की सुरक्षा के इंतजाम कर रहे हैं। 22 फरवरी को फिर सूचित किया कि बच्ची को बुला लीजिए, जिसके बाद उन्होंने वाया शारजाह टिकट कराया लेकिन वो भी कैंसिल हो गया। नानी आशा रानी सहगल को भी तेजस्विनी की चिंता सता रही है। छोटी बहन खुशबू और भाई कृष भी टीवी पर युद्ध का मंजर देखकर घबराए हैं।
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हमें लगातार मिसाइल के धमाके सुनाई दे रहे हैं। जान बचाने के लिए हम सब बंकर में छिपे हैं। डर का माहौल है और हर तरफ अफरा-तफरी मची है। किसी को नहीं पता कि आगे क्या होगा। हम अपने देश भारत पहुंच भी पाएंगे या नहीं। यूक्रेन के चेर्नित्सि शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहीं मनीमाजरा की तेजस्विनी ने जब यह बात अपने परिजनों को बताई तो सभी सहम गए।
परिजनों को अब अपनी बेटी की सुरक्षा की चिंता सता रही है। उधर, 22 फरवरी को यूक्रेन से सही सलामत लौटीं सेक्टर-48 निवासी सरगम ने बताया कि यूक्रेन में अब हालात भयावह हैं। शुक्र है कि मैं समय रहते स्वदेश लौट आई लेकिन वहां अभी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र फंसे हैं। सरकार को जल्द ही कोई कदम उठाना चाहिए।
मनीमाजरा के गोबिंदपुरा इलाके की रहने वालीं तेजस्विनी ने गुरुवार को अपने मामा मनोज सहगल को फोन किया। बताया कि दोपहर तक को सब ठीक था लेकिन शाम को मिसाइलों के धमाके सुनाई देने लगे। इससे उनके साथ पढ़ने वाले सभी भारतीय छात्र सहम गए। उनके समेत आठ भारतीय विद्यार्थियों को आनन-फानन बंकरों में ले जाया गया। सभी डरे हैं। तेजस्विनी ने कहा कि हम जल्द से जल्द यहां से निकलना चाहते हैं। भारत सरकार को तत्काल कोई कदम उठाना चाहिए ताकि हम सब सुरक्षित स्वदेश लौट सकें।