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Aaj Ka Shabd Setu Naresh Saxena Best Poem To Sainik Apne Kadmon Ki Lay Tod Dete Hain – आज का शब्द: सेतु और नरेश सक्सेना की कविता- तो सैनिक अपने क़दमों की लय तोड़ देते हैं

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शनैः-शनै: लय के सम्मोहन में डूब
सेतु का अन्तर्मन होता है आन्दोलित
झूमता है सेतु दो स्तम्भों के मध्य और
यदि उसकी मुक्त दोलन गति मेल खा गई
सैनिकों की लय से
तब तो जैसे सुध-बुध खो केन्द्र से
उसके विचलन की सीमाएँ टूटना हो जाती हैं शुरू
लय से उन्मत्त
सेतु की काया करती है नृत्त
लेफ़्ट-राइट, लेफ़्ट-राइट, ऊपर-नीचे, ऊपर-नीचे
अचानक सतह पर उभरती है हल्की-सी रेख
और वह भी शुरू करती है मार्च
लगातार होती हुई गहरी और केन्द्रैन्मुख
रेत नहीं रेत । लोहा, लोहा अब नहीं
और चूना और मिट्टी हो रहे मुक्त
शिल्प और तकनीकी के बन्धन से
पंचतत्त्व लौट रहे घर अपने
धम्म…धम्म…धम्म…धम्म…धम्म…धड़ाम

लय की इस ताक़त को मेरे शत-शत प्रणाम

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