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Before I Die Documentary Made In Haryana Got Best Film Award In Germany – उपलब्धि: हरियाणा में बनी डॉक्यूमेंट्री ‘बिफोर आई डाई’ का जर्मनी में डंका, मिला बेस्ट फिल्म अवॉर्ड

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गगन तलवार, अमर उजाला ब्यूरो, करनाल (हरियाणा)
Published by: भूपेंद्र सिंह
Updated Wed, 23 Feb 2022 01:50 AM IST

सार

पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता पर आधारित डॉक्यूमेंट्री अब तक 55 पुरस्कार जीत चुकी है। प्रदेश के छह जिलों में इसकी शूटिंग हुई है। 28 मिनट की डॉक्यूमेंट्री बनाने में चार साल का समय लगा।

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प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती फिल्म बिफोर आई डाई ने जर्मनी में डंका बजाया है। हरियाणा में बनी इस डॉक्यूमेंट्री को फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फिल्म का खिताब मिला है। यह डॉक्यूमेंट्री कई देशों के फिल्म फेस्टिवल में धूम मचा चुकी है। देश व विदेश में हुए इन कार्यक्रमों की सफलता के बाद डॉक्यूमेंट्री को यह 55वां अवॉर्ड मिला है। 

करनाल के रहने वाले इस फिल्म के निर्माता, लेखक और निर्देशक नकुल देव ने बताया कि डॉक्यूमेंट्री की शूूटिंग प्रदेश के छह जिलों में हुई। जिसमें पक्षियों, कीटों व पौधों की ऐसी प्रजातियां जो विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्त होने के कगार पर हैं, उनका हमारे जीवन में क्या महत्व है, इसे दर्शाया गया है।

इसके अलावा पर्यावरण की स्थिति कैसे खराब होती जा रही है, क्यों हमें स्वच्छता के लिए कदम उठाने पड़े हैं, इस पर भी प्रकाश डाला गया है। सभी पहलुओं को फिल्म में शामिल करने के लिए चार साल शूटिंग चली। फिल्म सेंसर बोर्ड से प्रमाणित होने के बाद डॉक्यूमेंट्री को देश व विदेश में होने वाले फिल्म फेस्टिवल में भेजा गया है। जहां अब लगातार पुरस्कार मिल रहे हैं। जर्मनी में हुए अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में खिताब जीता है। 

अनकट है 28 मिनट की डॉक्यूमेंट्री 
28 मिनट की डॉक्यूमेंट्री अनकट है। फिल्म सेंसर बोर्ड की ओर से भी किसी भी दृश्य का कट लेने के लिए नहीं कहा गया। निर्माता नकुल देव का दावा है कि शूटिंग के दौरान भी कहीं कोई रि टेक नहीं लिया। फिल्म की ज्यादा शूटिंग सिरसा के आसपास हुई। कई दृश्य रोहतक, करनाल, हिसार और पानीपत सहित अन्य जिलों से भी लिए हैं। डॉक्यूमेंट्री के लिए काम करने वाली पूरी टीम भी हरियाणा की है। 

हरियाणा में बढ़े प्रदूषण के बाद लिया निर्णय 
महानगरों में पर्यावरण प्रदूषण के कारण हालात खराब हैं। पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा। कुछ साल से हरियाणा के कई जिलों में भी शुद्ध वायु और पानी का संकट होने लगा। नकुल देव का कहना है कि मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण विषय प्रकृति है। प्रदूषण ने कई चुनौतियां हमारे समक्ष खड़े किए हैं। कई प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं। मरने से पहले सब सही हो, इसलिए बिफोर आई डाई डॉक्यूमेंट्री को नाम दिया गया है। दर्शाया भी है कि जो हम बचपन में देखते थे वो आज गायब है। 

नशा और पंच तत्व की स्थिति है अगला प्रोजेक्ट 
निर्माता नकुल देव 19 साल पहले भारतीय विद्या भवन से फिल्म स्टडीज की पढ़ाई पूरी करने के बाद से फिल्म इंडस्ट्री में हैं। अब तक नक्सलवाद, आतंकवाद, आर्गेनिक फार्मिंग और जिहाद जैसे कई सामाजिक मुद्दों पर वे लघु फिल्में बना चुके हैं। अगला प्रोजेक्ट उनका नशे और पंच तत्व (पृथ्वी, अग्नि, जल, हवा और आकाश) पर आधारित है, जिसकी शूटिंग का कार्य भी अंतिम चरण में है। 

पांच प्रमुख पुरस्कार 

  • स्वीडन में आयोजित बोडन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट शार्ट डॉक्यूमेंट्री।
  • ब्राजील इंटरनेशनल मंथली इंडिपेंडेंट फिल्म फेस्टिवल का खिताब। 
  • द रिटर्न इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल में बेस्ट डॉक्यमेंट्री का खिताब। 
  • मुंबई में आयोजित गोल्डन ज्यूरी फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री ऑन राइसिंग इश्यू। 
  • मध्य प्रदेश में आयोजित विंध्या इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री। 

विस्तार

प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती फिल्म बिफोर आई डाई ने जर्मनी में डंका बजाया है। हरियाणा में बनी इस डॉक्यूमेंट्री को फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फिल्म का खिताब मिला है। यह डॉक्यूमेंट्री कई देशों के फिल्म फेस्टिवल में धूम मचा चुकी है। देश व विदेश में हुए इन कार्यक्रमों की सफलता के बाद डॉक्यूमेंट्री को यह 55वां अवॉर्ड मिला है। 

करनाल के रहने वाले इस फिल्म के निर्माता, लेखक और निर्देशक नकुल देव ने बताया कि डॉक्यूमेंट्री की शूूटिंग प्रदेश के छह जिलों में हुई। जिसमें पक्षियों, कीटों व पौधों की ऐसी प्रजातियां जो विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्त होने के कगार पर हैं, उनका हमारे जीवन में क्या महत्व है, इसे दर्शाया गया है।

इसके अलावा पर्यावरण की स्थिति कैसे खराब होती जा रही है, क्यों हमें स्वच्छता के लिए कदम उठाने पड़े हैं, इस पर भी प्रकाश डाला गया है। सभी पहलुओं को फिल्म में शामिल करने के लिए चार साल शूटिंग चली। फिल्म सेंसर बोर्ड से प्रमाणित होने के बाद डॉक्यूमेंट्री को देश व विदेश में होने वाले फिल्म फेस्टिवल में भेजा गया है। जहां अब लगातार पुरस्कार मिल रहे हैं। जर्मनी में हुए अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में खिताब जीता है। 

अनकट है 28 मिनट की डॉक्यूमेंट्री 

28 मिनट की डॉक्यूमेंट्री अनकट है। फिल्म सेंसर बोर्ड की ओर से भी किसी भी दृश्य का कट लेने के लिए नहीं कहा गया। निर्माता नकुल देव का दावा है कि शूटिंग के दौरान भी कहीं कोई रि टेक नहीं लिया। फिल्म की ज्यादा शूटिंग सिरसा के आसपास हुई। कई दृश्य रोहतक, करनाल, हिसार और पानीपत सहित अन्य जिलों से भी लिए हैं। डॉक्यूमेंट्री के लिए काम करने वाली पूरी टीम भी हरियाणा की है। 

हरियाणा में बढ़े प्रदूषण के बाद लिया निर्णय 

महानगरों में पर्यावरण प्रदूषण के कारण हालात खराब हैं। पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा। कुछ साल से हरियाणा के कई जिलों में भी शुद्ध वायु और पानी का संकट होने लगा। नकुल देव का कहना है कि मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण विषय प्रकृति है। प्रदूषण ने कई चुनौतियां हमारे समक्ष खड़े किए हैं। कई प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं। मरने से पहले सब सही हो, इसलिए बिफोर आई डाई डॉक्यूमेंट्री को नाम दिया गया है। दर्शाया भी है कि जो हम बचपन में देखते थे वो आज गायब है। 

नशा और पंच तत्व की स्थिति है अगला प्रोजेक्ट 

निर्माता नकुल देव 19 साल पहले भारतीय विद्या भवन से फिल्म स्टडीज की पढ़ाई पूरी करने के बाद से फिल्म इंडस्ट्री में हैं। अब तक नक्सलवाद, आतंकवाद, आर्गेनिक फार्मिंग और जिहाद जैसे कई सामाजिक मुद्दों पर वे लघु फिल्में बना चुके हैं। अगला प्रोजेक्ट उनका नशे और पंच तत्व (पृथ्वी, अग्नि, जल, हवा और आकाश) पर आधारित है, जिसकी शूटिंग का कार्य भी अंतिम चरण में है। 

पांच प्रमुख पुरस्कार 

  • स्वीडन में आयोजित बोडन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट शार्ट डॉक्यूमेंट्री।
  • ब्राजील इंटरनेशनल मंथली इंडिपेंडेंट फिल्म फेस्टिवल का खिताब। 
  • द रिटर्न इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल में बेस्ट डॉक्यमेंट्री का खिताब। 
  • मुंबई में आयोजित गोल्डन ज्यूरी फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री ऑन राइसिंग इश्यू। 
  • मध्य प्रदेश में आयोजित विंध्या इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री। 

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