सांस्कृतिक महत्व के स्थानों के साथ ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, नंदगोपाल नंदी, रमापति शास्त्री के कामकाज को भी मतदाता तौलेगा।
चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर आ पहुंचा है। वह दौर जहां चुनावी इम्तिहान के साथ ही भगवा ब्रिगेड की प्रयोगशाला की भी परीक्षा है। वह प्रयोगशाला जिसने हिंदुत्व को गढ़ा। वह प्रयोगशाला जिसने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के रंग को गाढ़ा किया। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतीक के तौर पर अयोध्या को पेश किया। अब अयोध्या के दिल में क्या है, उस पर सियासी प्रयोगशालाओं से निकले नारों, मुद्दों का कितना असर हुआ, इन सबकी परीक्षा इसी चरण में होगी।… तो इसी चरण में प्रयागराज भी मतदान करेगा। वह प्रयागराज जहां की संगम की रेती से निकला हिंदुत्व का संदेश देश-दुनिया में पहुंचता है। तो यहां से सियासत की भी कई अविरल धाराएं निकलीं। पेश है
पुनीत शर्मा, महेंद्र तिवारी और
राहुल शर्मा की रिपोर्ट…
विधानसभा चुनाव अब उस पड़ाव पर पहुंच चुका है जहां भाजपा की धार्मिक व सांस्कृतिक प्रयोगशालाएं हैं। इन प्रयोशालाओं के उत्थान की गवाह अयोध्या से लेकर संगम नगरी और चित्रकूट तक तमाम मुद्दे मतदाता की कसौटी पर होंगे। सांस्कृतिक महत्व के स्थानों के साथ ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, नंदगोपाल नंदी, रमापति शास्त्री के कामकाज को भी मतदाता तौलेगा। कांग्रेस और रघुराज प्रताप सिंह की भी अपने गढों में परीक्षा होगी। कैसरगंज सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण सिंह तो चुनावी मैदान में हैं ही, उनकी पसंद पर कई सीटों पर नए प्रत्याशी उतारे गए हैं तो कई पर काफी विरोध के बावजूद पुराने बनाए रखे गए हैं। इसलिए उनकी साख का भी इम्तिहान होगा।
सत्ताधारी दल भाजपा व मुख्य प्रतिपक्षी सपा के दावों-प्रतिदावों के बीच आधे से अधिक सीटों के चुनाव हो चुके हैं। पश्चिम के मैदान से मध्य होते हुए अवध तक पहुंचे सियासी घमासान में जनता का मिजाज खुलता जा रहा है। एक तरफ मुस्लिम-यादव की एकजुटता के साथ बेरोजगारी, महंगाई और कर्मचारियों की आकांक्षाओं को मुद्दा बनाकर सत्ता तक पहुंचने की जद्दोजहद है, तो दूसरी ओर गरीबों को मुफ्त राशन ने तमाम जगहों पर जातीय व साम्प्रदायिक गोलबंदी तक को पीछे छोड़ दिया है। किसानों को 6000-6000 रुपये की वार्षिक सहायता, बुजुर्गों को पेंशन, गरीबों को मकान, शौचालय के साथ महिलाओं व खासकर स्कूली बेटियों को बेहतर महसूस होती कानून-व्यवस्था व माफिया के खिलाफ हुई कार्रवाइयों की बड़ी ताकत नजर आ रही है।
अयोध्या का सियासी मिजाज बेहद दिलचस्प है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतीक को बचाने के लिए अब संघ, सरकार और संगठन ने पूरी ताकत अयोध्या में झोंक दी है। आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारकों ने अयोध्या में डेरा डाल रखा है। वहीं, भाजपा ने नोएडा के सांसद महेश शर्मा, जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह सहित संगठन के कई पदाधिकारियों को अयोध्या का एक-एक घर साधने के लिए वहां तैनात किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 24 फरवरी को अयोध्या में रोड शो और सभा कर चुुुुके हैं। स्टेशनरी कारोबारी रमेश श्रीवास्तव का मानना है कि सपा के तेज नारायण पांडेय के मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक हुआ है, लेकिन मोदी-योगी के नाम और अयोध्या की लाज बचाने के लिए संघ ने जो मुहिम छेड़ी है वह मतदान के दिन तक भाजपा की स्थिति को मजबूत कर देगी। गोसाईंगंज में भी मुकाबला दिलचस्प है। जेल में बंद पूर्व भाजपा विधायक खब्बू तिवारी की पत्नी आरती यहां से मैदान में हैं। वहीं सपा ने बाहुबली अभय सिंह को उम्मीदवार बनाया है। हालांकि, दोनों पक्षों के बीच हुए तनाव से चुनावी मुकाबला भी कांटे का बन गया है।
मिल्कीपुर, रुदौली में कांटे की टक्कर
अयोध्या की मिल्कीपुर (सु.) सीट में भाजपा के मौजूदा विधायक बाबा गोरखनाथ और सपा के अवधेश प्रसाद के बीच सीधा मुकाबला है। बाबा गोरखनाथ को स्थानीय कार्यकर्ताओं और जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन संघ, संगठन और सरकार के ट्रिपल इंजन से बाबा को पावर मिल रही है। रुदौली सीट पर भाजपा के रामचंद्र यादव और सपा के आनंद सेन यादव के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन सपा छोड़कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक अब्बास अली चांद ने मुस्लिम वोट बैंक, तो कांग्रेस के दयानंद शुक्ला ने ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगाकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है
बाराबंकी की सभी छह सीटों पर सपा और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला है। कुर्सी में सपा के राकेश वर्मा और भाजपा के साकेंद्र वर्मा में कुर्मी मतदाताओं के बंट जाने से यहां की जंग दिलचस्प हो गई है। सपा यहां मुस्लिम, यादव वोट बैंक पर निर्भर है, तो भाजपा ब्राह्मण-ठाकुर के मतों के भरोसे है। क्षेत्र में दलित मतदाता निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं। राम नगर में सपा के फरीद महफूज और भाजपा के मौजूदा विधायक शरद अवस्थी के बीच मुकाबला है। बाराबंकी और जैदपुर (सु.) सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। दरियाबाद में भाजपा विधायक सतीश शर्मा और सपा के पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप के बीच सीधा मुकाबला है। हैदरगढ़ में सपा के राममगन और भाजपा के दिनेश रावत के बीच सीधा मुकाबला है।
बहराइच : कहीं सीधी, कहीं त्रिकोणीय लड़ाई
बहराइच की प्रतिष्ठापूर्ण सदर सीट पर पूर्व बेसिक शिक्षामंत्री अनुपमा जायसवाल भाजपा उम्मीदवार हैं। सपा ने पूर्व मंत्री व मटेरा सीट से विधायक यासर शाह को उतारा है। बसपा से नईम अहमद खान त्रिकोण बनाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। बहराइच से सटी मटेरा सीट से यासर शाह विधायक हैं। सपा ने यासर की पत्नी मारिया शाह को यहां से प्रत्याशी बनाया है। पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अरुणवीर सिंह यहां से 1595 वोटों से हारे थे। इस बार अरुणवीर फिर भाजपा से मैदान में हैं। बसपा से आकिब खान व कांग्रेस से अली अकबर ‘पप्पू’ प्रत्याशी हैं। यहां सीधी दिखने वाली लड़ाई में बसपा व कांग्रेस प्रत्याशियों का प्रदर्शन नतीजे के लिए अहम होगा। पयागपुर में भाजपा विधायक सुभाष त्रिपाठी व सपा से पूर्व विधायक मुकेश श्रीवास्तव, बलहा में भाजपा विधायक सरोज सोनकर व सपा के अक्षयवर नाथ कनौजिया के बीच सीधा मुकाबला नजर आ रहा है। ऐसे ही नानपारा में भाजपा की सहयोगी दल अपना दल (एस) के राम निवास वर्मा, सपा से पूर्व विधायक माधुरी वर्मा व बसपा के हकीकत अली के बीच त्रिकोण की स्थिति दिख रही है। लेकिन, महसी की चुनावी जंग कुछ हटकर है। यहां भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह के सामने सपा ने पूर्व विधायक केके ओझा, बसपा ने दिनेश शुक्ला व कांग्रेस ने राजेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया है। हालांकि, यहां भी आमने-सामने की लड़ाई बनती दिख रही है।
कैसरगंज : दुविधा में मुस्लिम मतदाता
बहराइच के कैसरगंज में भाजपा ने सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा का टिकट काटकर उनके बेटे गौरव वर्मा को प्रत्याशी बना दिया। सपा ने पहले पड़ोसी जिले गोंडा के मसूद आलम को प्रत्याशी बनाया था। बाद में मसूद का टिकट काट कर आनंद यादव को दे दिया। इससे यहां मुस्लिमों के एक तबके में नाराजगी है। बसपा ने स्थानीय मुस्लिम चेहरा बकाउल्ला को टिकट दिया है। मुस्लिमों के इस उधेड़बुन में यहां की लड़ाई दिलचस्प हो गई है। यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं।
गोंडा में सात सीटें हैं। लोगों का कहना है कि यहां कोई भी सियासी समीकरण ब्रजभूषण शरण सिंह को बिना ध्यान में रखे तय नहीं हो सकता। गोंडा सदर से वह अपने बेटे प्रतीक भूषण सिंह को फिर टिकट दिलाने में सफल रहे हैं। लेकिन, यहां प्रतीक को पूर्व मंत्री स्व. विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह के भतीजे व सपा प्रत्याशी सूरज सिंह से कड़ी चुनौती मिल रही है। यहां सांसद ब्रजभूषण व पूर्व सांसद केतकी सिंह को बेटे के लिए मोहल्ले-मोहल्ले दस्तक देनी पड़ी। कर्नलगंज में विधायक अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भइया का टिकट कटने के बाद ब्रजभूषण अपने खास समर्थक अजय सिंह को दिलाने में कामयाब रहे। लल्ला अपने बेटे का टिकट चाहते थे। भाजपा से टिकट कटने के बाद लल्ला भइया का परिवार कर्नलगंज के सपा प्रत्याशी व पूर्व मंत्री योगेश प्रताप सिंह के समर्थन में आ गया। यहां कर्नलगंज व परसपुर के क्षेत्रवाद का मुद्दा भी सरगर्म है। मनकापुर सीट से समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री व सपा से पूर्व विधायक रमेश गौतम तथा तरबगंज में भाजपा विधायक प्रेम नारायण पांडेय व सपा के राम भजन चौबे के बीच सीधा मुकाबला नजर आ रहा है। कटरा बाजार में भाजपा विधायक बावन सिंह व सपा के पूर्व विधायक बैजनाथ दूबे के बीच आमने-सामने की लड़ाई नजर आ रही है। बसपा प्रत्याशी विनोद शुक्ला कई जगह त्रिकोण बनाते दिख रहे हैं। गौरा में भाजपा विधायक प्रभात वर्मा को पूर्व विधायक व कांग्रेस प्रत्याशी राम प्रताप सिंह व सपा के संजय विद्यार्थी से चुनौती मिल रही है। इसी तरह मेहनौन में भाजपा विधायक विनय द्विवेदी व सपा की पूर्व विधायक नंदिता शुक्ला के बीच कांग्रेस के कुतबुद्दीन खां त्रिकोण बनाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।
श्रावस्ती में घमासान, भिनगा में सपा-भाजपा की एक जैसी चुनौती
श्रावस्ती जिले में दो सीटें हैं। श्रावस्ती से भाजपा विधायक रामफेरन पांडेय के सामने भिनगा के विधायक मो. असलम रायनी सपा प्रत्याशी हैं। यहां भाजपा के लिए बसपा प्रत्याशी नीतू मिश्रा तो सपा के लिए कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व विधायक हाजी मो. रमजान तगड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। भिनगा से भाजपा से पूर्व सांसद पदमसेन चौधरी व सपा से पूर्व विधायक इंद्राणी वर्मा आमने-सामने हैं। यहां बसपा से अलीमुद्दीन व कांग्रेस से गजाला चौधरी ने लड़ाई को रोचक बना दिया है।
प्रयागराज की सभी 12 सीटों पर कौन उम्मीदवार कितने पानी में है, यह बहुत कुछ स्पष्ट हो चुका है। जिले की ज्यादातर सीटों पर इस बार मुकाबला सत्ताधारी भाजपा और सपा में ही नजर आ रहा है। शहर उत्तरी सीट पर बेहद दिलचस्प मुकाबला है। भाजपा का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर भगवा खेमे को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है। हंडिया, फाफामऊ और बारा में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। इन सीटों पर बसपा भी मजबूती से लड़ रही है। शहर पश्चिम, शहर दक्षिण, करछना, फूलपुर, प्रतापपुर, सोरांव और मेजा सीट पर भाजपा या उसके सहयोगी दल की सपा से आमने-सामने की लड़ाई है। कोरांव में अलबत्ता चतुष्कोणीय मुकाबला है। हालांकि इन सभी 12 विधानसभा सीटों में चुनाव की कमान इस बार भी युवाओं के हाथ में होगी। पूरे जिले में करीब 50 फीसदी मतदाता 40 वर्ष से कम आयु के हैं।
प्रतापगढ़ : किसका चलेगा प्रताप
प्रतापगढ़ में सबसे हॉट सीट कुंडा है। यहां सभी दलों की लड़ाई रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया से है। वहीं, कांग्रेस के गढ़ रामपुर खास में आराधना िमश्रा पर भी सबकी नजरें हैं। सपा ने यहां प्रत्याशी नहीं उतारा है। बसपा और भाजपा इस दुर्ग को ढहाने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं। पट्टी में मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह को सपा के रामसिंह पटेल से कड़ी चुनौती मिल रही है। सदर, विश्वनाथगंज और रानीगंज में भाजपा गठबंधन की सपा से लड़ाई है।
सिराथू में केशव मौर्य का इम्तिहान
कौशांबी में जिस सीट पर सबकी नजरें हैं, वह है सिराथू। यहां इस बार भाजपा से उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व सपा-अपना दल (कमेरावादी) से पल्लवी पटेल के चुनावी समर में होने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। सिराथू मौर्य का गृह नगर है, तो पल्लवी पटेल खुद को जिले की बहू बता रही हैं। वहीं, चायल और मंझनपुर की बात करें तो इन सीटों पर भाजपा गठबंधन व सपा में कांटे का मुकाबला है।
सुल्तानपुर में भाजपा के प्रयोगों पर भी सबकी नजर
सुल्तानपुर जिले में भाजपा ने सुल्तानपुर के मौजूदा विधायक सूर्यभान सिंह और लंभुआ विधायक देवमणि द्विवेदी का टिकट काटा है। जबकि सदर विधायक सीताराम वर्मा की सीट बदलकर उन्हें लंभुआ से उम्मीदवार बनाया। सदर सीट पर राज प्रसाद के रूप में नया चेहरा दिया है। इसौली सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। लंभुआ, सुल्तानपुर और सदर सीट पर भाजपा-सपा में कांटे का मुकाबला है। वहीं, कादीपुर में त्रिकोणीय मुकाबला है।
चित्रकूट : भाजपा और सपा में टक्कर
भगवान राम से जुड़ी धार्मिक नगरी में अयोध्या के बाद चित्रकूट का स्थान आता है। बुंदेलखंड के इस जिले में दो सीटें चित्रकूट सदर व मानिकपुर हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। दोनों सीटों पर ब्राह्मण और कुर्मी समाज के वोटों की बहुलता है। इस जातीय संतुलन को साधते हुए भाजपा चित्रकूट से खुद चुनाव लड़ रही है, जबकि मानिकपुर सीट अपना दल (एस) को दी है। दोनों ही सीटों पर भाजपा गठबंधन की सपा से सीधी टक्कर है।
विस्तार
चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर आ पहुंचा है। वह दौर जहां चुनावी इम्तिहान के साथ ही भगवा ब्रिगेड की प्रयोगशाला की भी परीक्षा है। वह प्रयोगशाला जिसने हिंदुत्व को गढ़ा। वह प्रयोगशाला जिसने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के रंग को गाढ़ा किया। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतीक के तौर पर अयोध्या को पेश किया। अब अयोध्या के दिल में क्या है, उस पर सियासी प्रयोगशालाओं से निकले नारों, मुद्दों का कितना असर हुआ, इन सबकी परीक्षा इसी चरण में होगी।… तो इसी चरण में प्रयागराज भी मतदान करेगा। वह प्रयागराज जहां की संगम की रेती से निकला हिंदुत्व का संदेश देश-दुनिया में पहुंचता है। तो यहां से सियासत की भी कई अविरल धाराएं निकलीं। पेश है
पुनीत शर्मा, महेंद्र तिवारी और
राहुल शर्मा की रिपोर्ट…
विधानसभा चुनाव अब उस पड़ाव पर पहुंच चुका है जहां भाजपा की धार्मिक व सांस्कृतिक प्रयोगशालाएं हैं। इन प्रयोशालाओं के उत्थान की गवाह अयोध्या से लेकर संगम नगरी और चित्रकूट तक तमाम मुद्दे मतदाता की कसौटी पर होंगे। सांस्कृतिक महत्व के स्थानों के साथ ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, नंदगोपाल नंदी, रमापति शास्त्री के कामकाज को भी मतदाता तौलेगा। कांग्रेस और रघुराज प्रताप सिंह की भी अपने गढों में परीक्षा होगी। कैसरगंज सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण सिंह तो चुनावी मैदान में हैं ही, उनकी पसंद पर कई सीटों पर नए प्रत्याशी उतारे गए हैं तो कई पर काफी विरोध के बावजूद पुराने बनाए रखे गए हैं। इसलिए उनकी साख का भी इम्तिहान होगा।
सत्ताधारी दल भाजपा व मुख्य प्रतिपक्षी सपा के दावों-प्रतिदावों के बीच आधे से अधिक सीटों के चुनाव हो चुके हैं। पश्चिम के मैदान से मध्य होते हुए अवध तक पहुंचे सियासी घमासान में जनता का मिजाज खुलता जा रहा है। एक तरफ मुस्लिम-यादव की एकजुटता के साथ बेरोजगारी, महंगाई और कर्मचारियों की आकांक्षाओं को मुद्दा बनाकर सत्ता तक पहुंचने की जद्दोजहद है, तो दूसरी ओर गरीबों को मुफ्त राशन ने तमाम जगहों पर जातीय व साम्प्रदायिक गोलबंदी तक को पीछे छोड़ दिया है। किसानों को 6000-6000 रुपये की वार्षिक सहायता, बुजुर्गों को पेंशन, गरीबों को मकान, शौचालय के साथ महिलाओं व खासकर स्कूली बेटियों को बेहतर महसूस होती कानून-व्यवस्था व माफिया के खिलाफ हुई कार्रवाइयों की बड़ी ताकत नजर आ रही है।