[ad_1]
सार
चौथे चरण के चुनाव में अधिकतर सीटों पर सपा और भाजपा मुख्य मुकाबले में रहीं। कहीं-कहीं बसपा और कांग्रेस ने भी उपस्थिति दर्ज कराई। लखनऊ, पीलीभीत, लखीमपुर, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, बांदा और फतेहपुर की 59 सीटों पर हुए चुनाव में मतदाताओं में खासा उत्साह दिखा।
चौथे चरण की कई सीटों पर मुद्दों के बजाय जाति-धर्म के समीकरण ज्यादा हावी दिखे। लखनऊ की शहरी व ग्रामीण सभी नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा और सपा सीधी लड़ाई में सामने दिखीं। पुराने लखनऊ से लेकर कॉलोनियों तक में मतदाता वोट करने निकले। पुराने लखनऊ के मुस्लिम इलाकों में तो बूथों पर शाम तक भीड़ रही। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत शहर के मुकाबले ज्यादा रहा।
मतदान में दिखे रुझान के आधार पर कहा जा सकता है कि लखनऊ की पश्चिम, बख्शी का तालाब (बीकेटी), मध्य और मोहनलालगंज सीटों पर कांटे की लड़ाई है। मोहनलालगंज व मलिहाबाद में बसपा भी ठीक लड़ी। उत्तर सीट पर सपा और भाजपा के बीच ही मुख्य मुकाबला रहा। सरोजनीनगर, कैंट व पूर्वी सीट पर भी सपा और भाजपा में मुकाबला है।
सोनिया के गढ़ में कहीं भाजपा-सपा तो कहीं चतुष्कोणीय मुकाबला
रायबरेली जिले की सदर, ऊंचाहार व हरचंदपुर विधानसभा सीटों पर भाजपा और सपा में सीधी टक्कर दिखी। सदर और हरचंदपुर में इस बार दलबदल का मुद्दा भी गूंजा, पर मतदान के दिन इसका असर कम ही दिखाई दिया। सदर से अदिति सिंह और हरचंदपुर सीट से राकेश सिंह वर्ष 2017 के चुुनाव में कांग्रेस से विधायक बने थे, लेकिन इस बार उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। यहां की सदर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. मनीष चौहान और हरचंदपुर से सपा से कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री सुरेंद्र विक्रम सिंह उर्फ पंजाबी सिंह ने विरोधी दलों को टक्कर दी। ऊंचाहार में पूर्व मंत्री डॉ. मनोज कुमार पांडेय ने इस बार हैट्रिक के लिए जोर लगाया, वहीं भाजपा के प्रत्याशी अमरपाल मौर्य ने भी पूरा दम लगाया। बछरावां विधानसभा सीट पर भाजपा-अपना दल गठबंधन के प्रत्याशी लक्ष्मीकांत रावत, सपा के श्याम सुंदर भारती, कांग्रेस प्रत्याशी सुशील पासी के बीच तगड़ा मुकाबला रहा। सरेनी में चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिला।
सीतापुर : ज्यादातर सीटों पर सीधा मुकाबला
सीतापुर की आठ सीटों पर भाजपा-सपा में सीधा मुकाबला दिखा, जबकि महमूदाबाद सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई है। यहां बसपा प्रत्याशी मीसम अंमार रिजवी भी मुकाबले में हैं। पिछले चुनाव में सात सीटें भाजपा को मिली थीं, जबकि एक-एक सीट पर सपा-बसपा के प्रत्याशी जीते थे।
उन्नाव : कई सीटों पर कांटे की टक्कर
उन्नाव की चार सीटों पर सपा और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। दो सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष के आसार हैं। मोहान, पुरवा और भगवंतनगर में सपा व भाजपा के बीच कांटे की लड़ाई नजर आई। बांगरमऊ में सपा, भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला देखने को मिल रहा है। सफीपुर में सपा, भाजपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। सबसे कड़ा मुकाबला सदर विधानसभा सीट पर नजर आ रहा है। यहां पर भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर है।
हरदोई : दो सीटों पर बसपा मुकाबले में
हरदोई की दो सीटों पर भाजपा का सीधा मुकाबला बसपा से दिखा। शेष सीटों पर भाजपा-सपा में लड़ाई रही। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में हरदोई जिले की आठ में से सात सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। संडीला में भाजपा व बसपा, तो बिलग्राम मल्लावां में भाजपा, बसपा व कांग्रेस लड़ाई में रहे। शाहाबाद में भाजपा व सपा प्रत्याशियों के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी अखिलेश पाठक के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिखा। शेष पांच सीटों सवायजपुर, हरदोई सदर, गोपामऊ, सांडी व बालामऊ में भाजपा और सपा मुख्य लड़ाई में रहे।
फतेहपुर : चार सीटों पर सपा-भाजपा में और दो पर त्रिकोणीय मुकाबला
फतेहपुर की चार सीटों पर भाजपा-सपा में सीधी टक्कर सामने आई। जहानाबाद विधानसभा सीट पर भाजपा, सपा व बसपा और हुसैनगंज सीट पर भाजपा, सपा व कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। फतेहपुर, खागा सुरक्षित व अयाहशाह सीट पर भाजपा और सपा का सीधा आमना-सामना रहा। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सदर सीट, हुसैनगंज, अयाहशाह व बिंदकी सीट पर भाजपा ने सपा को, जबकि खागा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस को शिकस्त दी थी। जहानाबाद विधानसभा सीट पर भाजपा गठबंधन के अपना दल (एस) ने सपा को पराजित किया था।
बांदा : कहीं भाजपा तो कहीं सपा दिखी मजबूत, बसपा भी अच्छा लड़ी
बांदा में छह बूथों पर ईवीएम व वीवीपैट में तकनीकी गड़बड़ियों की शिकायत पर कुछ देर मतदान बाधित रहा। बांदा, तिंदवारी व नरैनी सीटों पर राष्ट्रवाद के मुद्दे पर वोट पड़े। बबेरू में मतदाताओं का रुझान परिवर्तन की ओर दिखा।
खीरी-पीलीभीत : मतदाताओं में उत्साह, कई जगह सीधा मुकाबला
बरेली में लखीमपुर खीरी और पीलीभीत की कुल 12 सीटों पर हुए मतदान में 10 सीटों पर कमल और साइकिल में टक्कर दिखी। वहीं दो सीटों पर हाथी भी सधी चाल में चलता हुआ दिखाई दिया। इस चुनाव में भाजपा के सामने इन सभी सीटों पर दोबारा कमल खिलाने की चुनौती है। लखीमपुर खीरी में आठ विधानसभा सीटों में से सात पर भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर दिखी। वहीं, सदर पर बसपा ने सपा और भाजपा को भी अच्छी टक्कर दी। ऐसे में इस सीट का चुनाव जहां और रोमांचक हो गया है, वहीं मतदाता भी तिकुनिया हिंसा समेत अन्य मुद्दों पर काफी मुखर दिखे। पलिया, निघासन, गोला, श्रीनगर, धौरहरा, लखीमपुर, कस्ता और मोहम्मदी सीट पर किसी पार्टी के पक्ष में लहर न होने के बावजूद मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह दिखाई दिया।
पीलीभीत में कुल कुल चार सीटें हैं। इसमें पूरनपुर, बरखेड़ा और पीलीभीत सदर पर भाजपा और सपा में सीधी टक्कर है। बीसलपुर में बसपा ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। 2017 में चारों सीटें जीत कर जिले को गढ़ बना चुकी भाजपा को किसान आंदोलन और सिख मतदाताओं ने कड़ी चुनौती दी है। पीलीभीत सदर में भाजपा के संजय गंगवार और सपा के डॉ. शैलेंद्र गंगवार में सीधी टक्कर दिखी। अधिकतर मुस्लिम मतदाता सपा की ओर दिखे।
बीसलपुर में भाजपा के विवेक वर्मा और सपा की दिव्या गंगवार के बीच की लड़ाई को बसपा के अनीस अहमद उर्फ फूल बाबू ने त्रिकोणीय बना दिया। पूरनपुर में सिख बहुल बूथों पर साइकिल खूब चली। भाजपा से बगावत कर बसपा उम्मीदवार बने अशोक राजा ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया। बरखेड़ा में सपा के हेमराज वर्मा और भाजपा के स्वामी प्रवक्तानंद में सीधी टक्कर दिखी। यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार हरप्रीत सिंह चब्बा ने भी समीकरण बिगाड़े।
सबकी निगाहें किसान आंदोलन और तिकुनिया कांड से जुड़े जिले लखीमपुर खीरी पर टिकी हों, तो यह देखना भी दिलचस्प होगा कि वहां के मतदाताओं ने कैसे अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यह लोकतंत्र की खूबसूरती है कि नेपाल बॉर्डर पर बसे आखिरी गांव तक पोलिंग पार्टियों ने पूरी लगन से चुनाव कराया। इतना ही नहीं थारू जनजाति के इन गांवों में वोट डालने के लिए लोग खूब उमड़े भी। खास बात यह रही कि तिकुनिया कांड के अलावा भी कई मुद्दे चुनाव में छाए रहे और लोगों ने अपने-अपने हिसाब से मतदान किया।
हर मुद्दे पर जागरूक दिखाई दी थारू जनजाति
खीरी जनपद की पलिया विधानसभा में थारू जनजाति के भी खासे वोट हैं। दुधवा नेशनल पार्क से जुड़े जंगल को पार करके जब हम इन गांवों में पहुंचे त वोटरों की लंबी कतारें दिखाई दीं। इन गांवों में विकास पहुंचा है और नए बनते पक्के घर यह बता रहे हैं कि इस जनजाति के लोगों की जिंदगी बदल रही है। मंगलपुर गांव निवासी रंजीता ने शिक्षक पात्रता परीक्षा दी है। वह बताती हैं, आसपास के कस्बों में रहकर मेरे जैसे कई अन्य लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं। पास में ही बैठे रामाधार राना छुट्टा पशुओं की समस्या को छोटे किसानों के लिए बड़ा मुद्दा मानते हैं और बताते हैं कि इस मुद्दे पर ही वोट भी डाले गए हैं। बिचपटा बूथ पर वोट डाल कर निकल रहे नागेंद्र बताते हैं, मेरे लिए तो कानून-व्यवस्था का मुद्दा बड़ा है। मेरा मानना है कि बाकी शिकायतें तो ठीक हैं, लेकिन सुरक्षा को प्रमुखता दिया जाना चाहिए।
स्थानीय समीकरणों ने भी बदले गणित
तिकुनिया गांव निघासन विधानसभा सीट में आता है। इस सीट पर कई गांवों में किसानों की नाराजगी दिखी। खास बात यह रही कि इस सीट के मतदाता विचार तो प्रमुखता से रखते रहे, लेकिन पहचान जाहिर करने से कतराते रहे। लखीमपुर सदर और धौरहरा सीट पर स्थानीय उम्मीदवारों के जातिगत समीकरण भी अन्य मुद्दों पर भारी पड़ते दिखाई दिए। खीरी शहर के धर्मसभा इंटर कॉलेज में मिले युवक मोहित कहते हैं, यहां स्थानीय समीकरणों के कारण चुनाव हर घंटे बदल रहा है। उन्होंने त्रिकोणीय मुकाबले में बाजी किसी के भी हाथ लगने की बात कही। पलिया सहित कुछ अन्य सीटों पर पिछले चुनावों के अच्छे खासे अंतर के कारण कुछ मतदाता अपने प्रत्याशी की जीत के प्रति आश्वस्त दिखाई दिए।
एससी मतदाता रहेंगे निणार्यक, मुस्लिम दिखे लामबंद
श्रीनगर सुरक्षित सीट पर एससी मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। गांव कुसमौरी में कुछ युवा चुनाव पर ही चर्चा करते दिखाई दिए। वे बताते हैं कि जिले की अन्य सीटों पर एससी मतदाता अच्छे खासे हैं। दो युवा नौकरियों में आरक्षण की बात कहते हैं तो पास में ही खड़े एक मध्यम आयु वर्ग के साथी ने अपनी परंपरागत पार्टी के साथ ही रहने की बात कही। इतना नहीं एक बुजुर्ग ने दोनों की बात काटते हुए कहा कि लोगों को मिल रहे राशन ने भी मतदाताओं को प्रभावित किया है। जिले की लगभग सभी सीटों पर मुस्लिम लामंबद दिखाई दिए।
शहरी गरीब इलाकों में राशन तो गांवों में छुट्टा पशु मुद्दा
पलिया कस्बे में घूंघट में वोट डालने जा रही महिलाएं पहले तो चुनाव के बारे में बात करने से इनकार करती हैं, लेकिन फिर कहती हैं कि निशुल्क बांटा जा रहा राशन काफी मददगार है। भीरा कस्बे में चौराहे पर बैठे मिले राजू मौर्य और विकास कुमार भी मानते हैं कि निशुल्क राशन ने मतदाताओं पर काफी प्रभाव डाला है, लेकिन वे यह भी जोड़ना नहीं भूलते कि छुट्टा पशुओं से फसल की रखवाली करना काफी मुशिकल हो रहा है। राजू तो इसे चुनाव में बड़ा मुद्दा मानते हैं, लेकिन विकास का कहना है कि परेशानी तो है, पर बातें दूसरी भी हैं।
तिकुनिया कांड की रही सबसे अधिक चर्चा
तिकुनिया कांड के कारण जिला खूब चर्चा में रहा। यही वजह रही कि देश के दूसरे हिस्सों से भी मीडिया का जमावड़ा रहा। निघासन विधानसभा क्षेत्र के मतदाता मनमीत ने माना कि इस घटना की वजह से किसान काफी नाराज हैं और पिछली बार के मुकाबले अब दूसरी ओर वोट करते दिखाई दे रहे हैं। खास बात तो यह रही कि केंद्रीय मंत्री टेनी के बेटे को जमानत मिलने की बात पर मतदाता ज्यादा नाराज दिखाई दिए। कई का कहना था कि चार्जशीट और जेल जाने के बाद सिस्टम पर भरोसा जमा था लेकिन इतनी जल्दी जमानत नहीं होनी चाहिए थी। लखीमपुर में मंत्री टेनी के आवास के आसपास के लोगों ने हालांकि इस पर ज्यादा बोलने से इनकार कर दिया।
विस्तार
चौथे चरण की कई सीटों पर मुद्दों के बजाय जाति-धर्म के समीकरण ज्यादा हावी दिखे। लखनऊ की शहरी व ग्रामीण सभी नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा और सपा सीधी लड़ाई में सामने दिखीं। पुराने लखनऊ से लेकर कॉलोनियों तक में मतदाता वोट करने निकले। पुराने लखनऊ के मुस्लिम इलाकों में तो बूथों पर शाम तक भीड़ रही। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत शहर के मुकाबले ज्यादा रहा।
मतदान में दिखे रुझान के आधार पर कहा जा सकता है कि लखनऊ की पश्चिम, बख्शी का तालाब (बीकेटी), मध्य और मोहनलालगंज सीटों पर कांटे की लड़ाई है। मोहनलालगंज व मलिहाबाद में बसपा भी ठीक लड़ी। उत्तर सीट पर सपा और भाजपा के बीच ही मुख्य मुकाबला रहा। सरोजनीनगर, कैंट व पूर्वी सीट पर भी सपा और भाजपा में मुकाबला है।
सोनिया के गढ़ में कहीं भाजपा-सपा तो कहीं चतुष्कोणीय मुकाबला
रायबरेली जिले की सदर, ऊंचाहार व हरचंदपुर विधानसभा सीटों पर भाजपा और सपा में सीधी टक्कर दिखी। सदर और हरचंदपुर में इस बार दलबदल का मुद्दा भी गूंजा, पर मतदान के दिन इसका असर कम ही दिखाई दिया। सदर से अदिति सिंह और हरचंदपुर सीट से राकेश सिंह वर्ष 2017 के चुुनाव में कांग्रेस से विधायक बने थे, लेकिन इस बार उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। यहां की सदर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. मनीष चौहान और हरचंदपुर से सपा से कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री सुरेंद्र विक्रम सिंह उर्फ पंजाबी सिंह ने विरोधी दलों को टक्कर दी। ऊंचाहार में पूर्व मंत्री डॉ. मनोज कुमार पांडेय ने इस बार हैट्रिक के लिए जोर लगाया, वहीं भाजपा के प्रत्याशी अमरपाल मौर्य ने भी पूरा दम लगाया। बछरावां विधानसभा सीट पर भाजपा-अपना दल गठबंधन के प्रत्याशी लक्ष्मीकांत रावत, सपा के श्याम सुंदर भारती, कांग्रेस प्रत्याशी सुशील पासी के बीच तगड़ा मुकाबला रहा। सरेनी में चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिला।
सीतापुर : ज्यादातर सीटों पर सीधा मुकाबला
सीतापुर की आठ सीटों पर भाजपा-सपा में सीधा मुकाबला दिखा, जबकि महमूदाबाद सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई है। यहां बसपा प्रत्याशी मीसम अंमार रिजवी भी मुकाबले में हैं। पिछले चुनाव में सात सीटें भाजपा को मिली थीं, जबकि एक-एक सीट पर सपा-बसपा के प्रत्याशी जीते थे।
उन्नाव : कई सीटों पर कांटे की टक्कर
उन्नाव की चार सीटों पर सपा और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। दो सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष के आसार हैं। मोहान, पुरवा और भगवंतनगर में सपा व भाजपा के बीच कांटे की लड़ाई नजर आई। बांगरमऊ में सपा, भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला देखने को मिल रहा है। सफीपुर में सपा, भाजपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। सबसे कड़ा मुकाबला सदर विधानसभा सीट पर नजर आ रहा है। यहां पर भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर है।
हरदोई : दो सीटों पर बसपा मुकाबले में
हरदोई की दो सीटों पर भाजपा का सीधा मुकाबला बसपा से दिखा। शेष सीटों पर भाजपा-सपा में लड़ाई रही। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में हरदोई जिले की आठ में से सात सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। संडीला में भाजपा व बसपा, तो बिलग्राम मल्लावां में भाजपा, बसपा व कांग्रेस लड़ाई में रहे। शाहाबाद में भाजपा व सपा प्रत्याशियों के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी अखिलेश पाठक के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिखा। शेष पांच सीटों सवायजपुर, हरदोई सदर, गोपामऊ, सांडी व बालामऊ में भाजपा और सपा मुख्य लड़ाई में रहे।
फतेहपुर : चार सीटों पर सपा-भाजपा में और दो पर त्रिकोणीय मुकाबला
फतेहपुर की चार सीटों पर भाजपा-सपा में सीधी टक्कर सामने आई। जहानाबाद विधानसभा सीट पर भाजपा, सपा व बसपा और हुसैनगंज सीट पर भाजपा, सपा व कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। फतेहपुर, खागा सुरक्षित व अयाहशाह सीट पर भाजपा और सपा का सीधा आमना-सामना रहा। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सदर सीट, हुसैनगंज, अयाहशाह व बिंदकी सीट पर भाजपा ने सपा को, जबकि खागा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस को शिकस्त दी थी। जहानाबाद विधानसभा सीट पर भाजपा गठबंधन के अपना दल (एस) ने सपा को पराजित किया था।
बांदा : कहीं भाजपा तो कहीं सपा दिखी मजबूत, बसपा भी अच्छा लड़ी
बांदा में छह बूथों पर ईवीएम व वीवीपैट में तकनीकी गड़बड़ियों की शिकायत पर कुछ देर मतदान बाधित रहा। बांदा, तिंदवारी व नरैनी सीटों पर राष्ट्रवाद के मुद्दे पर वोट पड़े। बबेरू में मतदाताओं का रुझान परिवर्तन की ओर दिखा।
खीरी-पीलीभीत : मतदाताओं में उत्साह, कई जगह सीधा मुकाबला
बरेली में लखीमपुर खीरी और पीलीभीत की कुल 12 सीटों पर हुए मतदान में 10 सीटों पर कमल और साइकिल में टक्कर दिखी। वहीं दो सीटों पर हाथी भी सधी चाल में चलता हुआ दिखाई दिया। इस चुनाव में भाजपा के सामने इन सभी सीटों पर दोबारा कमल खिलाने की चुनौती है। लखीमपुर खीरी में आठ विधानसभा सीटों में से सात पर भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर दिखी। वहीं, सदर पर बसपा ने सपा और भाजपा को भी अच्छी टक्कर दी। ऐसे में इस सीट का चुनाव जहां और रोमांचक हो गया है, वहीं मतदाता भी तिकुनिया हिंसा समेत अन्य मुद्दों पर काफी मुखर दिखे। पलिया, निघासन, गोला, श्रीनगर, धौरहरा, लखीमपुर, कस्ता और मोहम्मदी सीट पर किसी पार्टी के पक्ष में लहर न होने के बावजूद मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह दिखाई दिया।
पीलीभीत में कुल कुल चार सीटें हैं। इसमें पूरनपुर, बरखेड़ा और पीलीभीत सदर पर भाजपा और सपा में सीधी टक्कर है। बीसलपुर में बसपा ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। 2017 में चारों सीटें जीत कर जिले को गढ़ बना चुकी भाजपा को किसान आंदोलन और सिख मतदाताओं ने कड़ी चुनौती दी है। पीलीभीत सदर में भाजपा के संजय गंगवार और सपा के डॉ. शैलेंद्र गंगवार में सीधी टक्कर दिखी। अधिकतर मुस्लिम मतदाता सपा की ओर दिखे।
बीसलपुर में भाजपा के विवेक वर्मा और सपा की दिव्या गंगवार के बीच की लड़ाई को बसपा के अनीस अहमद उर्फ फूल बाबू ने त्रिकोणीय बना दिया। पूरनपुर में सिख बहुल बूथों पर साइकिल खूब चली। भाजपा से बगावत कर बसपा उम्मीदवार बने अशोक राजा ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया। बरखेड़ा में सपा के हेमराज वर्मा और भाजपा के स्वामी प्रवक्तानंद में सीधी टक्कर दिखी। यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार हरप्रीत सिंह चब्बा ने भी समीकरण बिगाड़े।
[ad_2]
Source link