भारत सरकार ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) के तहत रूस-यूक्रेन के जंग के मैदान से जान बचाकर स्वदेश लौटने वाले मेडिकल छात्रों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइसेंसिंग एक्ट में बड़े बदलाव करने का फैसला किया है, ताकि यूक्रेन से लौटे बच्चों का भविष्य खराब न हो और समय भी बेकार न जाए। केंद्र सरकार ने इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) और नीति आयोग (NITI Aayog) को एफएमजीएल (Foreign Medical Graduate Licentiate) एक्ट-2021 में राहत और मदद देने की संभावनाएं तलाशने को कहा है।
इसके साथ ही यह भी पता लगाना होगा कि यूक्रेन से लौटे विद्यार्थियों के लिए देश और विदेश के प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ने की क्या व्यवस्था की जा सकती है? सूत्रों के अनुसार, इसका समाधान खोजने के लिए जल्द ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) और नीति आयोग के अधिकारी एक बैठक कर विकल्पों पर चर्चा करेंगे और मानवीय आधार पर राहत देने के लिए जमीनी स्तर पर संभावनाएं तलाशेंगे।
क्या हैं एनएमसी के एफएमजीएल प्रावधान?
नेशनल मेडिकल कमीशन के एफएमजीएल एक्ट 2021 के प्रावधानों के अनुसार पूरे पाठ्यक्रम के दौरान पूरी पढ़ाई, प्रशिक्षण और इंटर्नशिप या क्लर्कशिप आदि सभी भारत के बाहर एक ही विदेशी संस्थान, विश्वविद्यालय या कॉलेज में किए जाने चाहिए। इसके साथ ही प्रावधानों में यह भी कहा गया है कि चिकित्सा प्रशिक्षण और इंटर्नशिप का कोई भी हिस्सा भारत में या उस देश जहां से प्राथमिक चिकित्सा योग्यता यानी ग्रेजुएट स्तर की पढ़ाई पूरी की गई है, के अलावा किसी अन्य देश में नहीं किया जा सकता है।
मेडिकल छात्रों को समायोजित करने का नियम नहीं
आधिकारिक सूत्र ने बताया कि वर्तमान में मेडिकल छात्रों को समायोजित करने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन के नियमों के तहत ऐसा कोई मानदंड और नियम नहीं हैं, जो विदेश में पढ़ रहे छात्रों को अकादमिक सत्र के बीच में भारतीय मेडिकल कॉलेजों या संस्थानों में समायोजित करने की अनुमित देता हो। हालांकि, ऐसी असाधारण परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मानवीय आधार पर इस मुद्दे की समीक्षा की जाएगी और सहानुभूतिपूर्वक राहत देने की संभावना तलाशी जाएगी।
समाधान तलाशने को करनी होगी माथापच्ची
यूक्रेन से लौट रहे और पूर्व में चीन से लौटे छात्रों के भविष्य को लेकर अधिकारियों को माथापच्ची करनी पड़ेगी, तब कहीं जाकर समाधान की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। एनएमसी के प्रावधानों में छूट की संभावना का पता लगाने या ऐसे छात्रों को निजी मेडिकल कॉलेजों में अपना पाठ्यक्रम पूरा करने या दूसरे देशों में कॉलेजों में स्थानांतरण की छूट देना भी आसान नहीं है। अधिकारियों के अनुसार, यूक्रेन में छह साल का एमबीबीएस कोर्स और दो साल का इंटर्नशिप प्रोग्राम है और यह भारत के निजी मेडिकल कॉलेजों की तुलना में काफी किफायती है।