खानदानी निष्ठा, शातिर दिमाग है राष्ट्रपति पुतिन की ताकत का असली खजाना वहीं मजाक व मसखरी के दम पर रील से रियल लाइफ में राष्ट्रपति बने जेलेंस्की
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
पुतिन के बारे में दुनिया उतना ही जानती है, जितना वह खुद बताना चाहते हैं। लॉ ग्रेजुएट और खुफिया एजेंसी में शामिल होने से लेकर उनके रूस में सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने की यात्रा यकीनन दिलचस्प है…
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करीब 70 वर्ष के हैं। पुतिन को देखकर कोई भी उनकी उम्र का सही अंदाजा नहीं लगा सकता। उम्र ही नहीं, पुतिन की पूरी जिंदगी रहस्यमयी लगती है। जैसे-जैसे पुतिन आगे बढ़ते गए, उनको चुनौती देने वाले यकायक पटल से गायब होते गए। पुतिन की ताकत का असली खजाना उनकी खानदानी निष्ठा और शातिर दिमाग को माना जाता है।
लेनिन-स्टालिन के खानसामे थे दादा
7 अक्तूबर 1952 को लेनिनग्राद (मौजूदा सेंट पीटर्सबर्ग) में जन्मे व्लादिमीर पुतिन के दादा स्पिरिदोन पुतिन पहले लेनिन और बाद में स्टालिन के खानसामे रह चुके हैं। पिता दूसरे विश्व युद्ध में सैनिक थे। दादा-पिता की निष्ठा के चलते ही पुतिन खुद को सोवियत संघ के निर्माताओं के वफादार के तौर पर साबित कर पाते हैं।
येल्तसिन पर चला पुतिन का जादू
1999 में पुतिन को रूस की सुरक्षा परिषद का प्रमुख बनाया गया। राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन पर उनका ऐसा जादू चला कि अगस्त में ही उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया गया। दिसंबर 1999 में येल्तसिन एक घोटाले में फंसे, तो पुतिन कार्यवाहक राष्ट्रपति बन गए।
पुतिन सोवियत संघ के पुराने वैभव को हासिल करने की धुन में लेनिन और स्टालिन के रास्ते पर चल रहे हैं, जहां या तो लोग उनके समर्थक हैं, या फिर दुश्मन। पुतिन ने 2036 तक इस रास्ते पर चलने और रूस की सत्ता पर काबिज रहने का रास्ता साफ कर रखा है।
केजीबी में सहायक से लेकर क्रेमलिन में अहम जिम्मेदारी
1975 : राज्य सुरक्षा समिति (केजीबी) के मुख्य निदेशक के सहायक बने। इसके बाद पुतिन को रेड बैनर इंस्टीट्यूट भेजा गया, जहां उन्होंने जर्मन व अंग्रेजी सीखी।
1985 : पुतिन को पूर्वी जर्मनी में काउंटर इंटेलिजेंस के लिए भेजा गया।
1990 : लेनिनग्राद स्टेट यूनिवर्सिटी में उन्हें अंतरराष्ट्रीय मामलों का डीन बनाया गया।
1991 : अनातोली सोबचक के कार्यालय से जुड़े। सोबचक लेनिनग्राद के मेयर बने।
1997 : सोबचक ने पुतिन को क्रेमलिन में बोरिस येल्तसिन का उप प्रशासन प्रमुख बनाया।
राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को उस यूक्रेनी राष्ट्रपति के तौर पर पहचाना जाएगा, जो रूस से सीधे और अकेले टकराया था। इसके अलावा, उन्हें दुनिया के संभवतः एकमात्र शख्स के तौर पर भी पहचान मिलेगी, जो मसखरी के दम पर रील से रियल लाइफ में यूक्रेन का राष्ट्रपति बना।
यहूदी माता-पिता, मंगोलिया में परवरिश
25 जनवरी, 1978 को जन्मे जेलेंस्की के माता-पिता यहूदी थे। जन्म के कुछ समय बाद ही जेलेंस्की का परिवार मंगोलिया के एर्डेनेट में बस गया। बड़े होकर जेलेंस्की वापस यूक्रेन पहुंचे और 1995 में कानून में स्नातक किया, लेकिन कॅरिअर कॉमेडी में बनाया। जेलेंस्की यूक्रेनी और रूसी दोनों भाषाओं पर पकड़ रखते हैं।
लोकप्रिय कलाकार, अनुभवहीन नेता
जेलेंस्की यूक्रेनी टेलीविजन के सबसे सफल कलाकारों में शुमार है। 2019 में राष्ट्रपति बनने के बाद यूक्रेन के संविधान में संशोधन कर नाटो और यूरोपीय संघ का सदस्य बनाने की नीति का एलान किया। नाटो की सदस्यता के लिए पूरी ताकत झाेंक दी।
जेलेंस्की का मानना था कि यूक्रेन को रूस से बचाने का यही एक तरीका है। लेकिन, मित्रता समझौते का उल्लंघन कर उन्होंने रूस को हमले के लिए आमंत्रित कर दिया।
मजाक-मजाक में बन गए राष्ट्रपति
जेलेंस्की कभी यूक्रेनी टेलीविजन के एक चर्चित शो, सर्वेंट ऑफ द पीपल में यूक्रेन के राष्ट्रपति का किरदार निभाते थे। कॉमेडी शो की पटकथा के मुताबिक जेलेंस्की एक लाचार स्कूली शिक्षक थे, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकप्रियता पाकर राष्ट्रपति बन गया।
चुनाव में 70 फीसदी से ज्यादा मतों से विरोधी काे हराया
2003 में अपनी प्रोडक्शन कंपनी बनाई और 1+1 चैनल के लिए सर्वेंट ऑफ द पीपल शो बनाया। विवादास्पद अरबपति मालिक इहोर कोलोमोइस्की ने शो में पैसा लगाया था। बाद में जेलेंस्की के चुनाव का सारा खर्च भी उठाया।
राष्ट्रपति पद के प्रचार के दौरान गंभीर मुद्दों पर चर्चा करने के बजाय जेलेंस्की सोशल मीडिया पर कॉमेडी वीडियो पोस्ट करते रहे और 70% से ज्यादा मतों से पेट्रो पोरोशेंको को हराया।
विस्तार
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
पुतिन के बारे में दुनिया उतना ही जानती है, जितना वह खुद बताना चाहते हैं। लॉ ग्रेजुएट और खुफिया एजेंसी में शामिल होने से लेकर उनके रूस में सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने की यात्रा यकीनन दिलचस्प है…
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करीब 70 वर्ष के हैं। पुतिन को देखकर कोई भी उनकी उम्र का सही अंदाजा नहीं लगा सकता। उम्र ही नहीं, पुतिन की पूरी जिंदगी रहस्यमयी लगती है। जैसे-जैसे पुतिन आगे बढ़ते गए, उनको चुनौती देने वाले यकायक पटल से गायब होते गए। पुतिन की ताकत का असली खजाना उनकी खानदानी निष्ठा और शातिर दिमाग को माना जाता है।
लेनिन-स्टालिन के खानसामे थे दादा
7 अक्तूबर 1952 को लेनिनग्राद (मौजूदा सेंट पीटर्सबर्ग) में जन्मे व्लादिमीर पुतिन के दादा स्पिरिदोन पुतिन पहले लेनिन और बाद में स्टालिन के खानसामे रह चुके हैं। पिता दूसरे विश्व युद्ध में सैनिक थे। दादा-पिता की निष्ठा के चलते ही पुतिन खुद को सोवियत संघ के निर्माताओं के वफादार के तौर पर साबित कर पाते हैं।
येल्तसिन पर चला पुतिन का जादू
1999 में पुतिन को रूस की सुरक्षा परिषद का प्रमुख बनाया गया। राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन पर उनका ऐसा जादू चला कि अगस्त में ही उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया गया। दिसंबर 1999 में येल्तसिन एक घोटाले में फंसे, तो पुतिन कार्यवाहक राष्ट्रपति बन गए।
पुतिन सोवियत संघ के पुराने वैभव को हासिल करने की धुन में लेनिन और स्टालिन के रास्ते पर चल रहे हैं, जहां या तो लोग उनके समर्थक हैं, या फिर दुश्मन। पुतिन ने 2036 तक इस रास्ते पर चलने और रूस की सत्ता पर काबिज रहने का रास्ता साफ कर रखा है।
केजीबी में सहायक से लेकर क्रेमलिन में अहम जिम्मेदारी
1975 : राज्य सुरक्षा समिति (केजीबी) के मुख्य निदेशक के सहायक बने। इसके बाद पुतिन को रेड बैनर इंस्टीट्यूट भेजा गया, जहां उन्होंने जर्मन व अंग्रेजी सीखी।
1985 : पुतिन को पूर्वी जर्मनी में काउंटर इंटेलिजेंस के लिए भेजा गया।
1990 : लेनिनग्राद स्टेट यूनिवर्सिटी में उन्हें अंतरराष्ट्रीय मामलों का डीन बनाया गया।
1991 : अनातोली सोबचक के कार्यालय से जुड़े। सोबचक लेनिनग्राद के मेयर बने।
1997 : सोबचक ने पुतिन को क्रेमलिन में बोरिस येल्तसिन का उप प्रशासन प्रमुख बनाया।
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