Hindi
Nawab Malik: Interesting Political Journey From Scrap Merchant To Ministerial Post, Close To Sanjay Gandhi And Sharad Pawar, Now In Ed Custody – नवाब मलिक: कबाड़ी से मंत्री पद तक रोचक है सियासी सफर, संजय गांधी और शरद पवार के रहे करीबी, अब कानूनी शिकंजे में
[ad_1]
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Thu, 24 Feb 2022 11:30 AM IST
सार
मलिक महाराष्ट्र में एनसीबी की कार्रवाई का कड़ा विरोध कर रहे थे। राकांपा के वरिष्ठ नेता की भाजपा से भी तनातनी चल रही थी। उनकी गिरफ्तारी के बाद भाजपा ने राज्य सरकार से उन्हें बर्खास्त करने की मांग की है।
ख़बर सुनें
विस्तार
वह मुंबई व महाराष्ट्र में एनसीबी की कार्रवाई का कड़ा विरोध कर रहे थे। राकांपा के वरिष्ठ नेता की भाजपा से भी तनातनी चल रही थी। उनकी गिरफ्तारी के बाद भाजपा ने राज्य सरकार से उन्हें बर्खास्त करने की मांग की है। नवाब मलिक कांग्रेस व सपा में रहने के बाद अब राकांपा से सियासी तौर पर जुड़े हैं। मलिक मूल रूप से यूपी के बलरामपुर जिला के उतरौला के दुसवा गांव के हैं। उनका पुश्तैनी व्यापार कबाड़े का है। मुंबई के डोंगरी में मलिक के परिवार का ठिकाना रहा।
सबसे पहले मलिक युवा कांग्रेस में शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने संजय गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के साथ काम किया। संजय गांधी के निधन के बाद मेनका गांधी ने ‘संजय विचार मंच’ की स्थापना की। यह मंच तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ काम करता था। मलिक इसका हिस्सा बन गए थे।
1984 में मलिक ने संजय विचार मंच की ओर से मुंबई उत्तर-पूर्व लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। वह दो दिग्गज नेताओं- कांग्रेस के गुरदास कामत और भाजपा के प्रमोद महाजन के खिलाफ मैदान में उतरे, लेकिन भारी अंतर से हारे। कुछ समय बाद संजय विचार मंच को भंग कर दिया गया। इसके बाद मलिक कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस में उन्हें कोई खास तवज्जो नहीं मिली।
1991 में मुंबई महानगर पालिका चुनाव के लिए कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने से नकार दिया था। इससे नाराज होकर वह समाजवादी पार्टी में चले गए थे। 1995 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उन्हें सपा का टिकट मिला, लेकिन शिवसेना नेता सूर्यकांत महाडिक से वह हार गए। इसके बाद भी उन्होंने सियासत से मुंह नहीं मोड़ा। आखिरकार 1996 के उपचुनाव में वह जीत गए और वह विधायक बन गए। इसके बाद 1999 के विधानसभा चुनाव में भी वे जीते। उन्हें राज्य मंत्री पद भी मिला।
महाराष्ट्र सपा में आंतरिक कलह के कारण मलिक ने सपा छोड़ कर 2001 में राकांपा का दामन थाम लिया था। राकांपा ने मंत्री पद दिया, लेकिन माहिम के जरीवाला चॉल के पुनर्विकास घोटाले के बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मलिक 2008 में एक बार फिर मंत्री बनाए गए।
दामाद को गिरफ्तार करने के बाद एनसीबी पर भड़के
पिछले साल एनसीबी ने नवाब मलिक के बड़ी बेटी नीलोफर के पति समीर खान को मादक पदार्थों के मामले में गिरफ्तार किया है। समीर खान को कार्डेलिया क्रूज ड्रग्स मामले में पकड़ा गया था। इसके बाद मलिक ने एनसीबी पर हमले शुरू कर दिए थे। मलिक को ईडी ने बुधवार को 1993 के बम धमाकों के आरोपी दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी के मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया है। कोर्ट ने मलिक को 3 मार्च तक ईडी की हिरासत में सौंपा है।
[ad_2]
Source link