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Nse Scam: Anand Subramanian Turned Out To Be The Mastermind, Fooled Chitra Ramakrishna By Pretending A Yogi Of Himalayas – एनएसई में घपले की कहानी: आनंद सुब्रमण्यण ही निकला मास्टरमाइंड, हिमालय का योगी बनकर चित्रा रामकृष्ण को तीन साल तक बनाता रहा बेवकूफ 

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कहानी पूरी फिल्मी है। एनएसई में घपलेबाजी और अनाम योगी के इशारे पर महिला अधिकारी की मनमानी वाली इस कहानी पर यकीन करना उतना ही मुश्किल है जितना किसी काल्पनिक कहानी पर। ऐसे पात्र और धोखाधड़ी फिल्मों और वेबसीरीज में ही नजर आते हैं। लेकिन ये कहानी बिल्कुल असली है और इसके पात्र भी। यहां एक शीर्ष अधिकारी ने धोखाधड़ी की ऐसी पटकथा लिख दी जिसने फिल्मों के सस्पेंस को भी मात कर दिया। जिसके साथ धोखा हुआ उसके पैरों तले तो जमीन ही खिसक गई होगी। आप भी इस नटवरलाल का कारमाना सुनकर हैरान रह जाएंगे। 

आनंद सुब्रमण्यण, चित्रा रामकृष्ण और हिमालय का अनाम गुरु
दरअसल, मामला एनएसई की सीईओ चित्रा रामकृष्ण, चीफ स्ट्रैटिजिक एडवाइजर आनंद सुब्रमण्यण और चित्रा के हिमालय के अनाम गुरु से जुड़ा है। इन तीनों के गड़बड़झाले ने एनएसई की साख को तो बट्टा लगाया ही लोगों के भरोसे को भी हिलाकर रख दिया। ये मामला दिलचस्प इसलिए है कि यहां पर जिस योगी का जिक्र हो रहा है वही कहानी का विलेन और सूत्रधार निकला। ये योगी वर्षों तक चित्रा को बेवकूफ बनाता रहा और उसे अपने मन-मुताबिक काम करवाता रहा। योगी ने अपने निर्देशों के जरिए सुब्रमण्यम की नियुक्ति करवाई, एक के बाद एक प्रमोशन दिलवाए और वेतन में बेहिसाब बढ़ोतरी करवाई। चित्रा रामकृष्ण इस योगी की अंधभक्ति में इस कदर लीन थी कि उसके हर निर्देश का आंख मूंदकर पालन करती रही। इसका सबसे बड़ा फायदा सुब्रमण्यम को मिला। 

सुब्रमण्यम ही निकला हिमालय का योगी 
सेबी ने मामले की जांच आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति में हुई गड़बड़ियों को लेकर ही शुरू की थी, जिसके बाद इतने बड़े मामले का खुलासा हुआ है। इसी दौरान एक हिमालयन योगी का भी नाम सामने आया जिसके इशारे पर चित्रा ने तमाम गड़बड़ियां की थीं। कहानी का सबसे बड़ा ट्विस्ट ये है कि ये पूरा कांड जिस योगी ने ही रचा था और वो सुब्रमण्यम ही निकला। जी हां, आनंद सुब्रमण्यम ही वो शख्स था जो इस कांड का रचियता था और खुद ही योगी बनकर खुद को ही फायदा पहुंचा रहा था। सीबीआई ने अपनी जांच में खुलासा किया है कि दरअसल सुब्रमण्यम ही वो अनाम योगी है जिस पर चित्रा आंख मूंदकर भरोसा करती थी और उसके हर आदेश का पालन बिना सोचे-समझे करती थी। योगी के आदेश पर चित्रा ने सुब्रमण्यम के लिए पहली भार एक खास पद भी सृजित कर दिया था। चित्रा पर आरोप हैं कि उन्होंने 2013 से 2016 के बीच पद पर रहते हुए कई ऐसे फैसले लिए, जिन्हें शेयर बाजार के हित से जुड़ा नहीं माना गया। इनमें एक फैसला था आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति का, जिनके लिए चित्रा ने एनएसई में अधिकारी स्तर का पद सृजित किया। इतना ही नहीं, चित्रा ने अपने कार्यकाल के दौरान हर बार आनंद सुब्रमण्यम को प्रमोशन दिया और करोड़ों की तनख्वाह भी पहुंचाई। 

तीन साल तक चित्रा रामकृष्ण रही एनएसई की सीईओ
चित्रा रामकृष्ण 2013 से लेकर 2016 तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की सीईओ और एमडी रहीं। वे 1990 में एनएसई की शुरुआत से ही इससे जुड़ी थीं। उन्हें 2009 में एनएसई का संयुक्त प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया था। 2013 में उन्हें सीईओ पद सौंप दिया गया। 2016 में उन्हें पद के गलत इस्तेमाल और एक घोटाले से नाम जुड़ने के बाद एनएसई से निकाल दिया गया। पूछताछ में सेबी ने चित्रा रामकृष्ण से एनएसई की गोपनीय जानकारियों को बाहर साझा करने पर सवाल पूछा, तो उन्होंने बताया कि rigyajursama नाम से बनी ईमेल आईडी एक सिद्धपुरुष योगी की है, जो हिमालय में वर्षों से विचरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ईमेल लिखने वाले योगी आध्यात्मिक शक्ति रखते हैं। पिछले 20 वर्षों से उन्हें रास्ता दिखा रहे हैं और वे अपनी इच्छा के अनुसार ही प्रकट होंगे।

योगी उर्फ आनंद सुब्रमण्यम ने जमकर उठाया फायदा 
आनंद सुब्रमण्यम एक अप्रैल, 2013 को एनएसई में चीफ स्ट्रैटिजिक एडवाइजर (सीएसई) के पद पर नियुक्त हुए थे। इसके बाद एक अप्रैल 2015 से लेकर 21 अक्तूबर 2016 तक एनएसई के ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (जीओओ) और एमडी-सीईओ चित्रा सुब्रमण्यम के सलाहकार के पद पर भी रहे। ये दोनों ही पद एनएसई में चित्रा सुब्रमण्यम की नियुक्ति से पहले नहीं थे। सेबी की जांच आनंद सुब्रमण्यम की भर्ती को लेकर ही शुरू हुई थी। यानी जांच की पहली कड़ी सुब्रमण्यम ही थे। वह एनएसई में शामिल होने से पहले बामर एंड लॉरी नाम की एक कंपनी में काम करते थे। यहां उनकी तनख्वाह 15 लाख रुपये सालाना थी। साथ ही पूंजी बाजार में उन्हें काम का कोई अनुभव नहीं था। आरोप है कि इस सबके बावजूद तत्कालीन सीईओ चित्रा रामकृष्ण ने उन्हें एनएसई में चीफ स्ट्रैटिजिक ऑफिसर (सीएसई) के पद पर भर्ती कर लिया। इतना ही नहीं, उन्हें 1.68 करोड़ रुपये का सैलरी पैकेज भी दिया गया। हफ्ते में उन्हें सिर्फ चार दिन ही काम करना होता था। 

मामला कैसे सेबी की निगाह में आया?
एनएसई में सुब्रमण्यम की भर्ती सीधे चित्रा रामकृष्ण ने की थी। आरोप है कि इसके लिए स्टॉक एक्सचेंज के एचआर डिपार्टमेंट से भी चर्चा नहीं की गई। इसके अलावा एनएसई में भर्ती के लिए कोई विज्ञापन या नोटिस भी जारी नहीं हुआ था, न ही इस पद के लिए कोई और नाम सामने आए। सुब्रमण्यम की भर्ती सीधे रामकृष्ण से इंटरव्यू के बाद हो गई थी। हालांकि, इस इंटरव्यू की कोई भी जानकारी सुब्रमण्यम की फाइल में नहीं मिली। 

सेबी के सामने ऐसे आई हिमालय के रहस्यमयी योगी की कहानी
जब सेबी ने चित्रा रामकृष्ण से एनएसई की गोपनीय जानकारियों को बाहर साझा करने पर सवाल पूछा, तो उन्होंने बताया कि rigyajursama नाम से बनी ईमेल आईडी एक सिद्धपुरुष/योगी की है, जो कि हिमालय में वर्षों से विचरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ईमेल लिखने वाले योगी आध्यात्मिक शक्ति रखते हैं। पिछले 20 वर्षों से उन्हें रास्ता दिखा रहे हैं और वे अपनी इच्छा के अनुसार ही प्रकट होंगे। सेबी ने इस मामले में जो आदेश दिया है, उसमें कहा गया कि चित्रा रामकृष्ण इस योगी से काफी प्रभावित थीं। इसी योगी ने ही चित्रा को ईमेल लिखे और उन्हें सुब्रमण्यम की भर्ती से लेकर उन्हें दी जाने वाली तनख्वाह तक के बारे में निर्देश दिए। मजेदार बात यह है कि ये ईमेल चित्रा रामकृष्ण के साथ सुब्रमण्यम को भी भेजे जाते थे। इतना ही नहीं, इसी रहस्यमयी योगी ने रामकृष्ण को सुब्रमण्यम और बाकी वरिष्ठ अफसरों के प्रमोशन को लेकर बार-बार सलाहें दीं।

योगी बनकर सुब्रमण्यम करता था चित्रा को मेल 
कंसल्टेंसी फर्म अर्न्स्ट एंड यंग (E&Y) की ओर से किए गए फॉरेंसिक ऑडिट में सामने आया है कि आनंद सुब्रमण्यम खुद इस मेल आईडी से योगी के तौर पर रामकृष्ण को ईमेल करता था। अपने इसी हथकंडे से सुब्रमण्यम ने चित्रा रामकृष्ण के हर फैसले को प्रभावित किया। 27 नवंबर 2018 को सेबी को भेजे गए एक पत्र में एनएसई ने कहा था कि उसके कानूनी सलाहकारों ने इस मामले में मनोवैज्ञानिकों से भी चर्चा की थी। मनोवैज्ञानिकों ने बताया था कि आनंद सुब्रमण्यम ने नई पहचान बनाकर रामकृष्ण को प्रभावित किया और अपने हिसाब से एनएसई के फैसले करवाए। जहां सुब्रमण्यम से रामकृष्ण हर मामले में सलाह लेती थीं, वहीं फैसलों के लिए वे पूरी तरह योगी पर निर्भर थीं। 

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