Russia-Ukraine War Will Increase Inflation In India: रूस और युक्रेन के बीच छिड़ी जंग का असर पहले दिन से ही दिखने लगा है। रूसी राष्ट्रपति ने जैसे ही युक्रेन में सैन्य कार्रवाई का एलान किया। भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजार बुरी तरह टूट गए। सोने की कीमत में एकाएक बड़ा उछाल आया और क्रूड ऑयल का दाम 100 डॉलर को पार कर गया। ऐसे में युद्ध आगे बढ़ा तो पहले से महंगाई का दंश झेल रहे भारत और महंगाई की एक और मार पड़नी तय है।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण पहले से ही दुनियाभर के बाजारों में उथल-पुथल मची हुई थी, लेकिन गुरुवार को रूसी हमले के बाद तो जैसे हाहाकार मच गया। शेयर बाजार धड़ाम हो गया और कच्चे तेल के भाव आसमान पर जा पहुंचे। रूस-यूक्रेन भले ही भारत से हजारों मील दूर हों, लेकिन दोनों देशों के बीच ये युद्ध सीधे तौर पर भारतीयों की जेब पर असर डालेगा। यानी देशवासियों को महंगाई की मार के लिए तैयार रहना होगा।
निवेशकों के 13 लाख करोड़ डूबे
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के एलान के बाद रूसी सैनिकों ने गुरुवार को यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई की शुरुआत कर दी। हमले के पहले ही दिन वैश्विक बाजारों के साथ ही भारतीय शेयर बाजार धड़ाम हो गया, सोने का दाम 51 हजार के पार होगा और क्रूड ऑयल 104 डॉलर प्रति बैरल पर आकर आठ साल का आंकड़ा पार कर गया। वहीं रुपये में डॉलर के मुकाबले 102 पैसे की भारी गिरावट आई। निवेशकों में इस युद्ध को लेकर इस कदर भय व्याप्त हुआ कि जोरदार बिकवाली के चलते सेंसेक्स ने इस साल की अब तक की सबसे बड़ी और इतिहास की चौथी बड़ी गिरावट देख ली। बीएसई का यह 30 शेयरों वाला सूचकांत 2702 अंक टूट गया, इसके साथ ही निफ्टी में भी 815 अंकों की जोरदार गिरावट आई। इसके चलते एक ही दिन में निवेशकों के 13.5 लाख करोड़ रुपये डूब गए। वहीं रूसी अरबपतियों पर भी यूक्रेन से युद्ध का बुरा असर पड़ा। एक दिन में ही रूसी अरबपतियों को तीन लाख करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा।
रुपये में कमजोर की होगा असर
गौरतलब है कि भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स के लिए दूसरे देशों से आयात पर निर्भर है। अधिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। युद्ध के हालातों में अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो देश में आयात महंगा हो जाएगा। विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ेगी और आपको ज्यादा खर्च करना होगा। साथ ही बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है और डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी, इसके असर से हर जरूरत की चीज पर महंगाई की और मार पड़ेगी।
भारत का रूस-यूक्रेन के साथ व्यापार
भारत का यूक्रेन और रूस के साथ व्यापार अच्छे-खासे स्तर पर है। ऐसे में दोनों देशों के बीच जारी युद्ध अगर लंबा होता है तो भारत में इसके प्रभाव कुछ जरूरी चीजों पर महंगाई के रूप में देखने को मिल सकते हैं। बता दें कि भारत यूक्रेन से खाने के तेल से लेकर खाद और न्यूक्लियर रिएक्टर जैसी चीजों की खरीदारी करता है। युद्ध होता है तो दोनों देशों के बीच व्यापार नहीं होगा और भारत के लिए परेशानी बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध के हालात में भारत को निर्यात का नुकसान होगा, वहीं जिन चीजों को भारत यूक्रेन से खरीदता है उन पर प्रतिबंध लगने से महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल का भाव बढ़ने से आयात का खर्चा बढ़ेगा और घरेलू स्तर पर महंगाई का दबाव बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा।
खाने का तेल-खाद के दाम बढ़ेंगे
अगर दो देशों के बीच यूद्ध होता है तो इसका बड़ा असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है और पहले से ही महंगाई से परेशान भारत के लिए तो ये दोहरी मार से कम नहीं होगा। बता दें कि देश में खाने के तेल का बड़े पैमाने पर यूक्रेन से आयात करता है। जी हां, यूक्रेन सूरजमुखी के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत की बात करें तो यहां पिछले कुछ समय से खाने के तेल के दाम पहले से ही आसमान पर है और युद्ध के चलते सप्लाई रुकी तो इसकी कीमतों में और आग लगनी संभव है। इसके अलावा रूस भारत को खाद देता है और युद्ध के हालातों के बीच इसके आयात में भी रुकावट आ सकती है। देश में पहले से ही यूरिया संकट है तो हालात और खराब होंगे, इस समस्या का सीधा असर किसानों पर पड़ेगा।
ऑटोमोबाइल सेक्टर होगा प्रभावित
आपको बता दें कि देश का ऑटोमोबाइल सेक्टर सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में रूस और यूक्रेन की बीच जारी जंग का प्रभाव इस क्षेत्र पर पड़ना तय है। दरअसल, यूक्रेन ऑटोमोबाइल सेक्टर को प्रभावित करने वाला होगा। इसका कारण ये है कि यूक्रेन सेमीकंडक्टर की खास धातु पेलेडियम और नियोन का उत्पादन करता है। जंग के हालात में इन धातुओं का उत्पादन प्रभावित होगा और सेमीकंडक्टर की कमी का ये संकट और भी अधिक बढ़ जाएगा।
खुदरा महंगाई में और होगा इजाफा
गौरतबल है देश में खुदरा महंगाई पहले से ही उच्च स्तर पर बनी हुई है। ऐसे में क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी इसमें और इजाफा करने वाली साबित होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी हाल ही में कहा है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें एक बड़ी चुनौती होने वाली है। दरअसल, कच्चा तेल महंगा हुआ्, तो देश में पेट्रोल-डीजल और गैस पर पड़ने वाला है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से माल ढुलाई पर खर्च बढ़ेगा और सब्जी-फल समेत रोजमर्रा के सामनों पर महंगाई बढ़ेगी जो कि आपकी जेब पर सीधा असर डालेगी।
क्रूड ऑयल में तेजी का प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, युद्ध आगे बढ़ता है तो क्रूड ऑयल के दाम 120 से 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं। यहां आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर का इजाफा होता है तो देश में पेट्रोल-डीजल का दाम 50 से 60 पैसे बढ़ जाता है। ऐसे में उत्पादन कम होने और सप्लाई में रुकावट के चलते इसके दाम में तेजी आना तय है और उम्मीद है कि कच्च तेल 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10 से 15 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिल सकती है।
तेल-गैस सप्लाई में रुकावट संभव
गौरतलब है कि रूस नेचुरल गैस का सबसे बड़ा सप्लायर है जो वैश्विक मांग का लगभग 10 फीसदी उत्पादन करता है। दोनों देशों के बीच युद्ध के कारण जाहिर है कि नेचुरल गैस की सप्लाई पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और ईंधन की कीमतों में आग लग जाएगी। बता दें कि यूरोप की निर्भरता रूस पर अधिक है। यूरोप में 40 फीसदी से ज्यादा गैस रूस से ही आती है। इसका सीधा असर आम आदमी पर होगा। इसके अलावा रूस विश्व का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल उत्पादक है। यूरोप के देश 20 फीसदी से ज्यादा तेल रूस से ही लेते हैं। इसके अलावा, ग्लोबल उत्पादन में विश्व का 10 फीसदी कॉपर और 10 फीसदी एल्युमीनियम रूस बनाता है।
इन चीजों के बढ़ेगी महंगाई
- पेट्रोल डीजल
- सीएनजी रसोई गैस
- सब्जी फल
- खाने का तेल
- खाद
- मोबाइल
- लैपटॉप
- गैस
नोमुरा की रिपोर्ट में सामने आई बड़ी बात
जापानी फाइनेंशियल कंपनी नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष से महंगाई का दबाव बढ़ेगा और एशिया में सबसे ज्यादा भारत को इसका नुकसान झेलना होगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि फूड और ऑयल प्राइस बढ़ने से एशियाई देशों पर प्रतिकूल असर होगा। नोमुरा ने कहा कि एशिया में भारत, थाइलैंड और फिलिपीन की अर्थव्यवस्था पर इसका सबसे बुरा असर देखने को मिलेगा। नोमुरा के अनुसार, भारत कच्चे तेल का आयात बहुत ज्यादा करता है। ऐसे में कीमत बढ़ने से ट्रेड डेफिसिट बढ़ेगा। नोमुरा का अनुमान है कि कच्चे तेल में 10 फीसदी के उछाल से जीडीपी ग्रोथ रेट में 0.20 प्वाइंट्स की गिरावट आ सकती है।
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रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण पहले से ही दुनियाभर के बाजारों में उथल-पुथल मची हुई थी, लेकिन गुरुवार को रूसी हमले के बाद तो जैसे हाहाकार मच गया। शेयर बाजार धड़ाम हो गया और कच्चे तेल के भाव आसमान पर जा पहुंचे। रूस-यूक्रेन भले ही भारत से हजारों मील दूर हों, लेकिन दोनों देशों के बीच ये युद्ध सीधे तौर पर भारतीयों की जेब पर असर डालेगा। यानी देशवासियों को महंगाई की मार के लिए तैयार रहना होगा।
निवेशकों के 13 लाख करोड़ डूबे
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के एलान के बाद रूसी सैनिकों ने गुरुवार को यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई की शुरुआत कर दी। हमले के पहले ही दिन वैश्विक बाजारों के साथ ही भारतीय शेयर बाजार धड़ाम हो गया, सोने का दाम 51 हजार के पार होगा और क्रूड ऑयल 104 डॉलर प्रति बैरल पर आकर आठ साल का आंकड़ा पार कर गया। वहीं रुपये में डॉलर के मुकाबले 102 पैसे की भारी गिरावट आई। निवेशकों में इस युद्ध को लेकर इस कदर भय व्याप्त हुआ कि जोरदार बिकवाली के चलते सेंसेक्स ने इस साल की अब तक की सबसे बड़ी और इतिहास की चौथी बड़ी गिरावट देख ली। बीएसई का यह 30 शेयरों वाला सूचकांत 2702 अंक टूट गया, इसके साथ ही निफ्टी में भी 815 अंकों की जोरदार गिरावट आई। इसके चलते एक ही दिन में निवेशकों के 13.5 लाख करोड़ रुपये डूब गए। वहीं रूसी अरबपतियों पर भी यूक्रेन से युद्ध का बुरा असर पड़ा। एक दिन में ही रूसी अरबपतियों को तीन लाख करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा।
रुपये में कमजोर की होगा असर
गौरतलब है कि भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स के लिए दूसरे देशों से आयात पर निर्भर है। अधिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। युद्ध के हालातों में अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो देश में आयात महंगा हो जाएगा। विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ेगी और आपको ज्यादा खर्च करना होगा। साथ ही बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है और डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी, इसके असर से हर जरूरत की चीज पर महंगाई की और मार पड़ेगी।
भारत का रूस-यूक्रेन के साथ व्यापार
भारत का यूक्रेन और रूस के साथ व्यापार अच्छे-खासे स्तर पर है। ऐसे में दोनों देशों के बीच जारी युद्ध अगर लंबा होता है तो भारत में इसके प्रभाव कुछ जरूरी चीजों पर महंगाई के रूप में देखने को मिल सकते हैं। बता दें कि भारत यूक्रेन से खाने के तेल से लेकर खाद और न्यूक्लियर रिएक्टर जैसी चीजों की खरीदारी करता है। युद्ध होता है तो दोनों देशों के बीच व्यापार नहीं होगा और भारत के लिए परेशानी बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध के हालात में भारत को निर्यात का नुकसान होगा, वहीं जिन चीजों को भारत यूक्रेन से खरीदता है उन पर प्रतिबंध लगने से महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल का भाव बढ़ने से आयात का खर्चा बढ़ेगा और घरेलू स्तर पर महंगाई का दबाव बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा।
खाने का तेल-खाद के दाम बढ़ेंगे
अगर दो देशों के बीच यूद्ध होता है तो इसका बड़ा असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है और पहले से ही महंगाई से परेशान भारत के लिए तो ये दोहरी मार से कम नहीं होगा। बता दें कि देश में खाने के तेल का बड़े पैमाने पर यूक्रेन से आयात करता है। जी हां, यूक्रेन सूरजमुखी के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत की बात करें तो यहां पिछले कुछ समय से खाने के तेल के दाम पहले से ही आसमान पर है और युद्ध के चलते सप्लाई रुकी तो इसकी कीमतों में और आग लगनी संभव है। इसके अलावा रूस भारत को खाद देता है और युद्ध के हालातों के बीच इसके आयात में भी रुकावट आ सकती है। देश में पहले से ही यूरिया संकट है तो हालात और खराब होंगे, इस समस्या का सीधा असर किसानों पर पड़ेगा।
ऑटोमोबाइल सेक्टर होगा प्रभावित
आपको बता दें कि देश का ऑटोमोबाइल सेक्टर सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में रूस और यूक्रेन की बीच जारी जंग का प्रभाव इस क्षेत्र पर पड़ना तय है। दरअसल, यूक्रेन ऑटोमोबाइल सेक्टर को प्रभावित करने वाला होगा। इसका कारण ये है कि यूक्रेन सेमीकंडक्टर की खास धातु पेलेडियम और नियोन का उत्पादन करता है। जंग के हालात में इन धातुओं का उत्पादन प्रभावित होगा और सेमीकंडक्टर की कमी का ये संकट और भी अधिक बढ़ जाएगा।
खुदरा महंगाई में और होगा इजाफा
गौरतबल है देश में खुदरा महंगाई पहले से ही उच्च स्तर पर बनी हुई है। ऐसे में क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी इसमें और इजाफा करने वाली साबित होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी हाल ही में कहा है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें एक बड़ी चुनौती होने वाली है। दरअसल, कच्चा तेल महंगा हुआ्, तो देश में पेट्रोल-डीजल और गैस पर पड़ने वाला है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से माल ढुलाई पर खर्च बढ़ेगा और सब्जी-फल समेत रोजमर्रा के सामनों पर महंगाई बढ़ेगी जो कि आपकी जेब पर सीधा असर डालेगी।
क्रूड ऑयल में तेजी का प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, युद्ध आगे बढ़ता है तो क्रूड ऑयल के दाम 120 से 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं। यहां आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर का इजाफा होता है तो देश में पेट्रोल-डीजल का दाम 50 से 60 पैसे बढ़ जाता है। ऐसे में उत्पादन कम होने और सप्लाई में रुकावट के चलते इसके दाम में तेजी आना तय है और उम्मीद है कि कच्च तेल 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10 से 15 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिल सकती है।
तेल-गैस सप्लाई में रुकावट संभव
गौरतलब है कि रूस नेचुरल गैस का सबसे बड़ा सप्लायर है जो वैश्विक मांग का लगभग 10 फीसदी उत्पादन करता है। दोनों देशों के बीच युद्ध के कारण जाहिर है कि नेचुरल गैस की सप्लाई पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और ईंधन की कीमतों में आग लग जाएगी। बता दें कि यूरोप की निर्भरता रूस पर अधिक है। यूरोप में 40 फीसदी से ज्यादा गैस रूस से ही आती है। इसका सीधा असर आम आदमी पर होगा। इसके अलावा रूस विश्व का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल उत्पादक है। यूरोप के देश 20 फीसदी से ज्यादा तेल रूस से ही लेते हैं। इसके अलावा, ग्लोबल उत्पादन में विश्व का 10 फीसदी कॉपर और 10 फीसदी एल्युमीनियम रूस बनाता है।
इन चीजों के बढ़ेगी महंगाई
- पेट्रोल डीजल
- सीएनजी रसोई गैस
- सब्जी फल
- खाने का तेल
- खाद
- मोबाइल
- लैपटॉप
- गैस
नोमुरा की रिपोर्ट में सामने आई बड़ी बात
जापानी फाइनेंशियल कंपनी नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष से महंगाई का दबाव बढ़ेगा और एशिया में सबसे ज्यादा भारत को इसका नुकसान झेलना होगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि फूड और ऑयल प्राइस बढ़ने से एशियाई देशों पर प्रतिकूल असर होगा। नोमुरा ने कहा कि एशिया में भारत, थाइलैंड और फिलिपीन की अर्थव्यवस्था पर इसका सबसे बुरा असर देखने को मिलेगा। नोमुरा के अनुसार, भारत कच्चे तेल का आयात बहुत ज्यादा करता है। ऐसे में कीमत बढ़ने से ट्रेड डेफिसिट बढ़ेगा। नोमुरा का अनुमान है कि कच्चे तेल में 10 फीसदी के उछाल से जीडीपी ग्रोथ रेट में 0.20 प्वाइंट्स की गिरावट आ सकती है।