Connect with us

Hindi

Russia Ukraine News Update: Rahul Gandhi Asked Government Plan For Operation Ganga, And Asked How Many Students Have Evacuated To India So Far And How Many Are Still Stuck – Russia Ukraine News: लाखों भारतीय कुवैत में फंसे थे, तब सद्दाम ने दिया था रास्ता, यूक्रेन में ‘सीजफायर’ के लिए दबाव में नहीं हैं ‘पुतिन’!

Published

on

[ad_1]

सार

साल 1990 में जब कुवैत पर हमला हुआ तो वहां करीब पौने दो लाख भारतीय फंसे हुए थे। तत्कालीन पीएम वीपी सिंह ने विदेश मंत्री इंद्रकुमार गुजराल को इराक भेजा था। राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने गुजराल को गले से लगा लिया था। कुवैत में फंसे पौने दो लाख भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के लिए अगस्त 1990 में ऑपरेशन शुरू कर दिया गया…

ख़बर सुनें

रूस-यूक्रेन लड़ाई के बीच फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार के सामने कई सवाल उठा दिए हैं। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से पूछा, अभी तक कितने छात्र भारत लौट आए हैं, कितने अब भी फंसे हैं और आगे के लिए सरकार का प्लान क्या है। पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा है, भारत सरकार को यूक्रेन के मामले में रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर दबाव बनाना चाहिए था। भारत सरकार को रूस से कहना चाहिए कि आप सैन्य कार्रवाई को रोकिए। भारतीयों को निकालने के लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार करें। खाड़ी युद्ध में जब लाखों भारतीय, कुवैत में फंसे थे, तब इराकी राष्ट्रपति ‘सद्दाम हुसैन’ ने भारतीयों को कुवैत से अम्मान तक लाने में मदद की थी। उन्होंने बगदाद से बसों की व्यवस्था की थी। लगभग साठ दिन में 1.70 लाख भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया था।

खतरा उठा कर बॉर्डर तक पहुंच रहे हैं छात्र

पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था, सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। कीव में भारतीय दूतावास अब बंद हो चुका है। ऐसे में वहां से अब कोई मदद नहीं मिल सकती। भारतीय छात्र खतरा मोल लेकर किसी तरह बॉर्डर तक पहुंच रहे हैं। भारत सरकार को यहां पर पुतिन को दबाव में लेना चाहिए था। वे दो दिन के लिए सीजफायर करा सकते थे। वहां पर तो दोनों देश, यानी रूस और यूक्रेन के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं। अगर केंद्र सरकार रूसी राष्ट्रपति पर दबाव डालती तो बात बन सकती थी। भारत सरकार, रूस को कह सकती थी कि आप सैन्य कार्रवाई को रोकिए। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मानवता के आधार पर भी कुछ समय के लिए सीजफायर किया जा सकता है।

शुक्रवार को रूस के नेशनल सेंटर फॉर स्टेट डिफेंस कंट्रोल ने एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए 130 बसें चलाई जाएंगी। इस बसों की मदद से यूक्रेन के ‘खारकीव और सुमी’ में फंसे भारतीय छात्रों को बाहर निकाला जाएगा। हालांकि अभी तक भारत सरकार की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। राहुल गांधी के बयान पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा, उनके पिता राजीव गांधी 1971 की जंग के वक्त एयर इंडिया में पायलट थे। उस वक्त वे छुट्टी पर चले गए थे। इसी तरह 1977 में जब तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी चुनाव हार गई थीं, तो गांधी परिवार इटली के दूतावास में दुबक गया था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यूक्रेन में फंसे 17,000 भारतीयों को अभी तक वहां से निकाला जा चुका है। लगभग तीन हजार बाकी बचे लोगों को भी सुरक्षित स्वदेश लाने के प्रयास जारी हैं।

सद्दाम हुसैन ने गुजराल को लगाया था गले

साल 1990 में जब कुवैत पर हमला हुआ तो वहां करीब पौने दो लाख भारतीय फंसे हुए थे। तत्कालीन पीएम वीपी सिंह ने विदेश मंत्री इंद्रकुमार गुजराल को इराक भेजा था। राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने गुजराल को गले से लगा लिया था। यहीं से भारत की जीत शुरू हो गई। कुवैत में फंसे भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के लिए अगस्त 1990 में ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। जो ग्रीन कॉरिडोर तैयार हुआ, वह कुवैत से इराक के रास्ते जॉर्डन बॉर्डर तक पहुंचता था। लेबनान के युद्धग्रस्त क्षेत्रों के भीतर जाकर भारतीयों को बाहर निकाला गया था। हालांकि अब यूक्रेन में ऐसा कोई देश जो लड़ाई में शामिल नहीं है, अंदर नहीं जा सका है। वजह, लड़ाई में रूस और नाटो आमने-सामने है। ये बात अलग है कि नाटो की सेनाएं यूक्रेन में नहीं हैं। अभी जो भारतीय मुसीबत में फंसे हैं, उन्हें निकालने के लिए सीजफायर होना जरूरी है

विस्तार

रूस-यूक्रेन लड़ाई के बीच फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार के सामने कई सवाल उठा दिए हैं। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से पूछा, अभी तक कितने छात्र भारत लौट आए हैं, कितने अब भी फंसे हैं और आगे के लिए सरकार का प्लान क्या है। पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा है, भारत सरकार को यूक्रेन के मामले में रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर दबाव बनाना चाहिए था। भारत सरकार को रूस से कहना चाहिए कि आप सैन्य कार्रवाई को रोकिए। भारतीयों को निकालने के लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार करें। खाड़ी युद्ध में जब लाखों भारतीय, कुवैत में फंसे थे, तब इराकी राष्ट्रपति ‘सद्दाम हुसैन’ ने भारतीयों को कुवैत से अम्मान तक लाने में मदद की थी। उन्होंने बगदाद से बसों की व्यवस्था की थी। लगभग साठ दिन में 1.70 लाख भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया था।

खतरा उठा कर बॉर्डर तक पहुंच रहे हैं छात्र

पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था, सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। कीव में भारतीय दूतावास अब बंद हो चुका है। ऐसे में वहां से अब कोई मदद नहीं मिल सकती। भारतीय छात्र खतरा मोल लेकर किसी तरह बॉर्डर तक पहुंच रहे हैं। भारत सरकार को यहां पर पुतिन को दबाव में लेना चाहिए था। वे दो दिन के लिए सीजफायर करा सकते थे। वहां पर तो दोनों देश, यानी रूस और यूक्रेन के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं। अगर केंद्र सरकार रूसी राष्ट्रपति पर दबाव डालती तो बात बन सकती थी। भारत सरकार, रूस को कह सकती थी कि आप सैन्य कार्रवाई को रोकिए। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मानवता के आधार पर भी कुछ समय के लिए सीजफायर किया जा सकता है।

शुक्रवार को रूस के नेशनल सेंटर फॉर स्टेट डिफेंस कंट्रोल ने एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए 130 बसें चलाई जाएंगी। इस बसों की मदद से यूक्रेन के ‘खारकीव और सुमी’ में फंसे भारतीय छात्रों को बाहर निकाला जाएगा। हालांकि अभी तक भारत सरकार की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। राहुल गांधी के बयान पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा, उनके पिता राजीव गांधी 1971 की जंग के वक्त एयर इंडिया में पायलट थे। उस वक्त वे छुट्टी पर चले गए थे। इसी तरह 1977 में जब तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी चुनाव हार गई थीं, तो गांधी परिवार इटली के दूतावास में दुबक गया था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यूक्रेन में फंसे 17,000 भारतीयों को अभी तक वहां से निकाला जा चुका है। लगभग तीन हजार बाकी बचे लोगों को भी सुरक्षित स्वदेश लाने के प्रयास जारी हैं।

सद्दाम हुसैन ने गुजराल को लगाया था गले

साल 1990 में जब कुवैत पर हमला हुआ तो वहां करीब पौने दो लाख भारतीय फंसे हुए थे। तत्कालीन पीएम वीपी सिंह ने विदेश मंत्री इंद्रकुमार गुजराल को इराक भेजा था। राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने गुजराल को गले से लगा लिया था। यहीं से भारत की जीत शुरू हो गई। कुवैत में फंसे भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के लिए अगस्त 1990 में ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। जो ग्रीन कॉरिडोर तैयार हुआ, वह कुवैत से इराक के रास्ते जॉर्डन बॉर्डर तक पहुंचता था। लेबनान के युद्धग्रस्त क्षेत्रों के भीतर जाकर भारतीयों को बाहर निकाला गया था। हालांकि अब यूक्रेन में ऐसा कोई देश जो लड़ाई में शामिल नहीं है, अंदर नहीं जा सका है। वजह, लड़ाई में रूस और नाटो आमने-सामने है। ये बात अलग है कि नाटो की सेनाएं यूक्रेन में नहीं हैं। अभी जो भारतीय मुसीबत में फंसे हैं, उन्हें निकालने के लिए सीजफायर होना जरूरी है

[ad_2]

Source link

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Categories