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Russia Ukraine War Crude Oil Again Rise Became Costlier By Five Percent Will Have A Big Impact On India – रूस-यूक्रेन युद्ध का असर: कच्चे तेल के दाम में फिर लगी आग, पांच फीसदी महंगा हुआ, भारत की बढ़ेगी परेशानी

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बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Wed, 02 Mar 2022 11:08 AM IST

सार

Crude Oil Prices Increased By 5 Dollar: रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष बढ़ने के साथ ही कच्चे तेल के दाम में भी आग लग गई है। बुधवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत में पांच डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हुआ और यह अपने ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। इस जोरदार तेजी के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच चुकी है।
 

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रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष तेज हो चुका है और इसके साथ ही कच्चे तेल के दाम में भी आग लग गई है। बुधवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत में पांच डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हुआ और यह अपने ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। इस जोरदार तेजी के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच चुकी है। इसका भारत समेत दूसरे देशों पर बुरा असर होने वाला है।  

भारत को झुलसाएगी कच्चे तेल की आग
विशेषज्ञों की मानें तो अगर रूस और यूक्रेन के बीच जंग और आगे बढ़ती है तो कच्चे तेल का दाम और आगे बढ़ सकता है। इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर बुरा असर पड़ेगा और ये 10 से 15 रुपये तक महंगे हो सकते हैं। गौरतलब है कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के अनुरूप देश में खाने-पीने की चीजों पर महंगाई भी बढ़ेगी, क्योंकि माल ढुलाई का खर्च बढ़ जाएगा। ऐसे में भारत के सामने खुदरा महंगाई बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाएगा। यानी साफ शब्दों में कहें तो कच्चे तेल में लगी ये आग भारत को झुलसाने वाली है। 

आयात बिल 600 अरब डॉलर होने की संभावना 
मंगलवार को रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन में जारी संकट के चलते चालू वित्त वर्ष में देश का आयात बिल बढ़कर 600 अरब अमेरिकी डॉलर होने की संभावना है। इसका कारण यह है कि भारत कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रत्न और आभूषण, खाद्य तेल और उर्वरक के आयात पर पुरी तरह से निर्भर है, जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध का असर भारतीय मुद्रा पर पड़ रहा है जो लगातार गिर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, इन सब कारणों के चलते देश में महंगाई और चालू खाता घाटा बढ़ने की आशंका है। चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में आयात बिल 492.9 अरब अमेरिकी डॉलर था। 

कच्चे तेल-गैस का प्रमुख आयातक है भारत
दरअसल, भारत जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल और जरूरत का 50 फीसदी नैचुरल गैस आयात करता है। अगर इन दोनों की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में बढ़ती है तो जाहिर है भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। रूस का यूक्रेन पर आक्रमण के बाद इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल आसमान पर पहुंच गया है तो दूसरी ओर गैस के दाम भी बढ़ गए है। यही वजह है कि भारत का आयात बिल 600 अरब डॉलर पार पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। 

42 फीसदी परिवार घटाएंगे अपना खर्च
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में हो रहे इजाफे के कारण घरेलू बाजार में जल्द ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में बीते दिनों लोकलसर्किल की ओर से कराए गए एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 42 फीसदी परिवारों का कहना है कि वे पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक और बढ़ोतरी बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे और गैर-जरूरी सामान की खरीदारी बंद कर देंगे। सर्वे में शामिल 24 फीसदी लोगों ने कहा कि वे पहले ही गैर-जरूरी सामान की खरीदारी पर खर्च बंद कर चुके हैं।

विस्तार

रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष तेज हो चुका है और इसके साथ ही कच्चे तेल के दाम में भी आग लग गई है। बुधवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत में पांच डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हुआ और यह अपने ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। इस जोरदार तेजी के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच चुकी है। इसका भारत समेत दूसरे देशों पर बुरा असर होने वाला है।  

भारत को झुलसाएगी कच्चे तेल की आग

विशेषज्ञों की मानें तो अगर रूस और यूक्रेन के बीच जंग और आगे बढ़ती है तो कच्चे तेल का दाम और आगे बढ़ सकता है। इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर बुरा असर पड़ेगा और ये 10 से 15 रुपये तक महंगे हो सकते हैं। गौरतलब है कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के अनुरूप देश में खाने-पीने की चीजों पर महंगाई भी बढ़ेगी, क्योंकि माल ढुलाई का खर्च बढ़ जाएगा। ऐसे में भारत के सामने खुदरा महंगाई बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाएगा। यानी साफ शब्दों में कहें तो कच्चे तेल में लगी ये आग भारत को झुलसाने वाली है। 

आयात बिल 600 अरब डॉलर होने की संभावना 

मंगलवार को रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन में जारी संकट के चलते चालू वित्त वर्ष में देश का आयात बिल बढ़कर 600 अरब अमेरिकी डॉलर होने की संभावना है। इसका कारण यह है कि भारत कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रत्न और आभूषण, खाद्य तेल और उर्वरक के आयात पर पुरी तरह से निर्भर है, जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध का असर भारतीय मुद्रा पर पड़ रहा है जो लगातार गिर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, इन सब कारणों के चलते देश में महंगाई और चालू खाता घाटा बढ़ने की आशंका है। चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में आयात बिल 492.9 अरब अमेरिकी डॉलर था। 

कच्चे तेल-गैस का प्रमुख आयातक है भारत

दरअसल, भारत जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल और जरूरत का 50 फीसदी नैचुरल गैस आयात करता है। अगर इन दोनों की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में बढ़ती है तो जाहिर है भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। रूस का यूक्रेन पर आक्रमण के बाद इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल आसमान पर पहुंच गया है तो दूसरी ओर गैस के दाम भी बढ़ गए है। यही वजह है कि भारत का आयात बिल 600 अरब डॉलर पार पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। 

42 फीसदी परिवार घटाएंगे अपना खर्च

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में हो रहे इजाफे के कारण घरेलू बाजार में जल्द ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में बीते दिनों लोकलसर्किल की ओर से कराए गए एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 42 फीसदी परिवारों का कहना है कि वे पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक और बढ़ोतरी बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे और गैर-जरूरी सामान की खरीदारी बंद कर देंगे। सर्वे में शामिल 24 फीसदी लोगों ने कहा कि वे पहले ही गैर-जरूरी सामान की खरीदारी पर खर्च बंद कर चुके हैं।

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