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The Mandate Of Dharmadhuri Will Be Important, Not Only The State, It Can Give A New Direction To The Politics Of The Country – यूपी का रण : अहम होगा धर्मधुरी का जनादेश, प्रदेश ही नहीं, देश की सियासत को दे सकता है नई दिशा

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चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध नरेस।
जा पर बिपदा परत है, सो आवत यह देश।।

रहीम दास ने इसे रचा तो था मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के संघर्ष और अयोध्या से चित्रकूट तक की महिमा बताने के लिए, पर संयोग से 2022 की चुनावी सियासत पर यह सटीक बैठ रहा है। मौजूं सवाल यह है कि नरेंद्र मोदी के भाजपा की केंद्रीय राजनीति में आने से राममंदिर निर्माण और अयोध्या से चित्रकूट धाम तक फैली इस जमीन की बदली राजनीति का रंग पहले जैसा ही रहता है या फिर बदल जाता है। लगभग चार दशक से देश की सियासत एवं सियासी दलों को अपने इर्द-गिर्द नचाने वाली रामनगरी से शुरू होकर चित्रकूट धाम तक उनके राज्याभिषेक से वनवास तक के हर्ष-विषाद के लीला धाम की इस धरती के मतदाता इस बार क्या लीला दिखाते हैं, सबके जेहन में यह सवाल है। यह विपक्ष की विपदा हरती है या उसे यूं ही बरकरार रखती है। धर्म धुरी से श्रावस्ती और कौशांबी भी अलग नहीं हैं। 

ये सवाल यूं ही नहीं है। पांचवें चरण के साथ यूपी के 2022 के समर में लगभग तीन चौथाई सीटों पर प्रत्याशियों का भविष्य ईवीएम में बंद हो जाएगा। ऐसे में इस धरती का संग्राम आंकड़ों की बढ़त बनाने और हिसाब-किताब बराबर रखने की गणित पर आकर टिक गया है। इसलिए यह सवाल भी बेहद अहम हो गया है कि यहां का सियासी रंग इस बार कैसा रहेगा। क्योंकि, 2017 में इस जमीन की 61 सीटों में भाजपा ने 47 और अपना दल गठबंधन सहित 50 सीटें हासिल की थीं। जबकि 2012 में समाजवादी पार्टी की की साइकिल ने यहां की 41  सीटों पर रफ्तार भरकर लोगों की उम्मीदें बढ़ा दीं।

बदल रही अयोध्या ने बदली तस्वीर
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पांचवां चरण सिर्फ आंकड़ों के लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि सियासी सरोकारों व संदेशों के लिहाज से भी काफी मायने रखता है। राममंदिर निर्माण प्रारंभ हो चुका है। अयोध्या में राममंदिर निर्माण की आकांक्षा पूरी करने की दिशा में काम शुरू हो चुका है। इसलिए राममंदिर निर्माण को लेकर एक-दूसरे पर सियासी सवाल भी इस बार नहीं दिख रहे हैं। काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण ने हिंदुत्व की आकांक्षाओं को और पंख लगाए हैं। जिनसे चुनाव से पहले मथुरा की मुक्ति की आकांक्षाओं के सुर गूंजे हैं। ऐसे अयोध्या के मुकाम से चित्रकूट धाम तक होने जा रहे मतदान में मंदिर मुद्दा इस बार बदले अंदाज में गूंजा है। मंदिर कब बनेगा इन सवालों की जगह सपा आई तो मंदिर निर्माण रुकेगा का सवाल आया। तो सपा की सफाई नहीं रुकेगा, जैसी बातों से गरमाता रहा है। सपा से लेकर बसपा तक ने सरकार बनने पर भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के कामों में कोई बाधा नहीं आने देने का आश्वासन दिया है। अखिलेश यादव एवं प्रियंका गांधी तक ने खुद को हिंदू साबित करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।

दावों-प्रतिदावों का भी होगा इम्तिहान
केंद्र और प्रदेश सरकारें विकास के सहारे हिंदुत्व और सनातन संस्कृति को सहेजने के तमाम दावे करती हैं। कुछ इस जमीन पर तो कुछ प्रदेश के अन्य हिस्सों में। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, डिफेंस कॉरिडोर, हर घर नल से जल, चित्रकूट तीर्थ विकास परिषद जैसे कामों से भाजपा अपना आधार मजबूत मान रही है। फैजाबाद से अयोध्या एवं इलाहाबाद से प्रयागराज नाम करके, अयोध्या में दिवाली का आयोजन, कुंभ के आयोजन को उत्कृष्ट बनाकर, योगी सरकार ने पहले की और अपनी सरकार की प्राथमिकताओं में बदलाव का संदेश देने की कोशिश की है।

दूसरी और समाजवादी पार्टी महंगाई, कानून-व्यवस्था और रोजगार के मुद्दे पर सरकार को लगातार घेर रही है। उसका आरोप हैै कि भाजपा ने फीता काटने के अलावा कुछ नहीं किया है। विकास के कामों पर अपना दावा करते हुए सपा कहती है कि प्रदेश में भाजपा सरकार से जनता ऊब गई है और इस पर बदलाव होना तय है। कांग्रेस भी भाजपा सरकार को लड़कियों की सुरक्षा और सरकारी नौकरी के मुद्दे पर घेर रही है। शिक्षा के गढ़ प्रयागराज में रोजगार का मुद्दा भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।

योगी ने कहीं इसीलिए तो नहीं दिए ये संदेश
इस जमीन का सियासी संग्राम सत्तारूढ़ भाजपा के लिए कितना अहम है, इसका प्रमाण पांचवें चरण के संग्राम के प्रचार के अंतिम पड़ाव पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चित्रकूट दौरे से पहले किए गए ट्वीट भी हैं। उन्होंने लिखा है कि ‘प्रभु श्री राम और माता सीता की चरण रज से पावन हुई पुण्यधरा, भगवान कामतानाथ जी की कृपा भूमि, माता अनुसुइया जी की तपोस्थली चित्रकूट में आज मुझे आने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है, इस दिव्य धरा के लोगों से संवाद के विचार से मैं आनंदित हूं।’ इसके साथ ही सीएम योगी ने दूसरा ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा, ‘मां मंदाकिनी के आंचल में बसे जनपद चित्रकूट में जन्म लेना ही सौभाग्य की बात है, यह महान मुनियों व मनीषियों की साधना स्थली है। ग्रामोदय से राष्ट्रोदय की संकल्पना को साकार करने वाले राष्ट्रऋषि, भारत रत्न श्रद्धेय नानाजी देशमुख की यह कर्मस्थली है, ऐसी पावन धरा को कोटिश: नमन!’ यही नहीं सीएम योगी ने चित्रकूट के विकास के लिए भाजपा सरकार द्वारा लिए गए फैसलों और निर्माण के लिए भी कई ट्वीट किए।

किसकी नैया लगेगी पार
इस जमीन पर होने वाले मतदान के मद्देनजर यह देखना ज्यादा दिलचस्प हो गया है कि हिंदुत्व के सरोकारों से समीकरण सजाने वाले प्रतीकों को अपनी गोद में समेटे इस धरती पर राजनीति का रंग कैसा बिखरता है। प्रभु राम को गंगा पार कराने वाली केवट की यह धरती किसकी नैया पार लगाती है। बुंदेलखंड के रहने वाले आचार्य ज्ञानेश त्रिपाठी कहते हैं कि भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के दौरान उन्होंने सबसे ज्यादा 11 वर्ष 11 महीने और 11 दिन चित्रकूट में ही बिताए। ऐसे में अब हम सबकी उत्सुकता इस बात पर है कि भगवान राम को वनवास के दौरान सबसे ज्यादा वक्त अपने साथ रखकर उन्हें अपनत्व देने वाला यह इलाका इस बार किसको अपनापन देती है इन पंक्तियों की तरह-
वे मान्य महामति मानव थे, सब जाति लगी उनको कुल सी,
तुलसी दल में दल ही दल है, पर दूर रहे ‘दल’ से तुलसी।। 
बहरहाल….
जासु नाम सुमिरत एक बारा। उतरहिं नर भवसिंधु अपारा॥  का कथानक तैयार करने वाली इस धरती पर किसकी नैया पार लगेगी यह तो10 मार्च को पता चलेगा ।

जातिवादी दलों को नहीं मिलेगी कोई जगह
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य दावा करते हैं कि अयोध्या से लेकर चित्रकूट तक फैली इस जमीन पर जातिवादी दलों को कोई जगह नहीं मिलने वाली। इस जमीन के लोग जानते हैं कि एक तरफ  सनातन संस्कृति के सेवक हैं तो दूसरी तरफ  तुष्टीकरण व मुस्लिम वोट बैंक के पोषक। लोग जानते हैं कि सपा और कांग्रेस का हिंदुत्व सिर्फ  वोट लेने तक है। उसके बाद इनकी प्राथमिकता हिंदुत्व के धामों की जगह कब्रिस्तान हो जाएंगे, इसलिए लोग भाजपा के पक्ष में मतदान करेंगे।

पूरे प्रदेश में चल रही है सपा की लहर
विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि सपा पूर्ण बहुमत की सरकार बना रही है। पूरे प्रदेश में सपा की लहर चल रही है। हर जाति, धर्म के लोग सपा पर विश्वास जता रहे हैं। सपा बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार के विरोध, किसानों की अनदेखी, बढ़ते अपराध, स्वास्थ्य सुविधाओं की अनदेखी आदि के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है। जनहित के मुद्दे को लेकर सपा ने सदन से सड़क पर विरोध जताया है, जिसका नतीजा है कि जनता का भरोसा बढ़ा है। जनता एकजुट होकर सपा को वोट कर रही है।

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