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Up Election 5th Phase Voting: Voters Of Amethi Once Again Looking Towards Gandhi Family Instead Of Smriti Irani, People Wants To Revive The Relationship – उत्तर प्रदेश चुनाव: अमेठी में फिर दिखेगी राहुल गांधी बनाम स्मृति ईरानी की टक्कर, क्या गांधी परिवार बचा सकेगा अपनी साख?

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सार

भाजपा नेता स्मृति ईरानी एक बार फिर अमेठी में वही गलती करने लगी हैं जिससे कभी स्थानीय जनता गांधी परिवार से नाराज हुआ करती थी। लोगों का आरोप है कि गांधी परिवार अपनी व्यस्तता के कारण यहां के लोगों को कभी समय नहीं देता था और अपने मातहतों के माध्यम से कार्य कराता था। ऐसे में लोगों का गांधी परिवार से सीधा संपर्क नहीं हो पाता था…

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लखनऊ से लगभग 135 किलोमीटर दूर स्थित अमेठी की पहचान यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महसूस की गई तो उसका एकमात्र कारण इसका गांधी परिवार से संबंध होना ही रहा है। गांधी परिवार की इस पारंपरिक सीट पर संजय गांधी, राजीव, सोनिया और राहुल गांधी तक सबको जीत मिलती रही है। ऐसे में यह सीट गांधी परिवार के लिए अजेय दुर्ग के रूप में देखी जाती थी। यही कारण था कि जब पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को उनकी पारंपरिक सीट पर मात दी तो यह अंतरराष्ट्रीय खबर बन गई।

इसके पूर्व हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में ही भाजपा ने अमेठी की चार में से तीन विधानसभा सीटें जीतकर यहां से गांधी परिवार की कमजोर हो रही पकड़ की तरफ इशारा कर दिया था। लेकिन शायद मामला इतना बिगड़ चुका था कि 2017 से 2019 के बीच गांधी परिवार उसे संभाल नहीं पाया और 2019 में उसे हार का सामना करना पड़ा।

हालांकि, स्थानीय लोग मानते हैं कि अब अमेठी की जनता एक बार फिर गांधी परिवार की ओर देख रही है। उन्हें लगता है कि गांधी परिवार से जुड़ा होने के बाद इस क्षेत्र की एक अलग पहचान हुआ करती थी, जो 2019 में राहुल गांधी की हार के बाद कमजोर पड़ गई थी। लोगों को लगता है कि अब उस संबंध को पुनर्जीवित करना चाहिए।

इसके पीछे केवल यह हृदयस्पर्शी संबंध ही एकमात्र कारण नहीं है। बल्कि माना जाता है कि भाजपा नेता स्मृति ईरानी एक बार फिर अमेठी में वही गलती करने लगी हैं जिससे कभी स्थानीय जनता गांधी परिवार से नाराज हुआ करती थी। लोगों का आरोप है कि गांधी परिवार अपनी व्यस्तता के कारण यहां के लोगों को कभी समय नहीं देता था और अपने मातहतों के माध्यम से कार्य कराता था। ऐसे में लोगों का गांधी परिवार से सीधा संपर्क नहीं हो पाता था।

अब स्मृति ईरानी के बारे में भी लोगों का कहना है कि अमेठी लोकसभा क्षेत्र में उनका सारा कार्य एक विशेष व्यापारी के कहने पर किया जा रहा है। क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है, जबकि कुछ  विशेष लोग ईरानी के करीबी बनकर यहां पर पार्टी चला रहे हैं। यदि भाजपा इस कमी को समय रहते दूर नहीं करती है तो आने वाले चुनाव में उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

स्मृति ईरानी इस क्षेत्र में लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रही हैं। भाजपा प्रत्याशियों के प्रचार में भी उन्होंने सीधा मैदान पर उतरकर कमान संभाली है और एक-एक प्रत्याशी के लिए प्रचार किया है। वहीं, राहुल गांधी भी शुक्रवार से अमेठी में अपना चुनाव प्रचार शुरू कर रहे हैं। ऐसे में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि इस विधानसभा चुनाव में कितनी सीटें भाजपा या कांग्रेस को मिलती हैं। लोकसभा चुनाव न होने के बाद भी यहां दोनों नेताओं के बीच आभासी कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।   

पांचवें चरण में मतदान

यूपी विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में 11 जिलों की 60 सीटों के लिए रविवार 27 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। इसमें अमेठी लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा सीटें अमेठी, तिलोई, जगदीशपुर और गौरीगंज भी शामिल हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा इनमें से तीन सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की हार के बाद यहां के समीकरण काफी बदल गए हैं। बदली परिस्थितियों में यहां कांग्रेस एक बार फिर मजबूत हो सकती है।

अमेठी (विधानसभा क्षेत्र संख्या 186)- अमेठी जिले की इस प्रतिष्ठित सीट पर कांग्रेस, सपा और भाजपा को जीत मिलती रही है। लेकिन गांधी परिवार के इस गढ़ में पिछले चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी गरिमा सिंह को जीत हासिल हुई थी। वे स्थानीय राजपरिवार से हैं, इसलिए उन्हें यहां विशेष लोकप्रियता हासिल है। लेकिन स्थानीय जनता की शिकायत रही है कि वे कभी लोगों से नहीं मिलती हैं और उनका सारा कामकाज पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं के माध्यम से चलाया जाता है। इस चुनाव में भाजपा को गरिमा सिंह की इस छवि का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, भाजपा ने इस चुनाव में संजय सिंह को यहां से मैदान में उतारा है। इससे विरोध के स्वर कमजोर पड़े हैं।  

संजय सिंह को कांग्रेस उम्मीदवार आशीष शुक्ला से कड़ी टक्कर मिल रही है। स्थानीय स्तर पर आशीष शुक्ला को बेहद साफ-सुथरी छवि का लोकप्रिय नेता माना जाता है। गांधी परिवार से उनकी करीबी भी यहां आकर्षण का केंद्र है। राहुल गांधी ने उनके पक्ष में चुनाव प्रचार कर एक बार फिर कांग्रेस की उम्मीदें मजबूत कर दी हैं।

सपा को प्रजापति का सहारा

भाजपा को कड़ी टक्कर देने वाली समाजवादी पार्टी ने इस चुनाव में अमेठी से गायत्री प्रसाद प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति को टिकट थमाया है। गायत्री प्रसाद प्रजापति सपा की तरफ से पिछले चुनाव में भी उम्मीदवार घोषित हुए थे, लेकिन उन्हें गरिमा सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। गायत्री प्रसाद प्रजापति पिछले दिनों एक दुष्कर्म के मामले के कारण बहुत चर्चा में रहे थे। सपा को उनकी इस छवि का नुकसान उठाना पड़ सकता है। अमेठी के 3.47 लाख मतदाता इनके भाग्य का फैसला करेंगे।

तिलोई (विधानसभा क्षेत्र संख्या 178)

इस विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3.50 लाख वोटर हैं। भाजपा के मयंकेश्वरशरण सिंह ने पिछली बार इस सीट से चुनाव जीता था। उन्हें 49 फीसदी से ज्यादा लोकप्रिय वोट मिले थे। पार्टी ने उन्हें इस चुनाव में भी यहां से टिकट थमाया है। पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. मुहम्मद मुस्लिम को भारी अंतर से हराया था। मयंकेश्वर शरण सिंह इसके पहले समाजवादी पार्टी में रहते हुए भी इस सीट पर 2007 में जीत हासिल कर चुके हैं। माना जा सकता है कि पार्टी के वोटरों के अलावा उनके अपने प्रभाव वाले मतदाता भी हैं जो उन्हें मजबूती प्रदान करते हैं।  

जगदीशपुर (सुरक्षित) (विधानसभा क्षेत्र संख्या 184)

इस विधानसभा क्षेत्र में 3.72 लाख मतदाता हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर परंपरागत रूप से कांग्रेस सदैव मजबूत रही है, हालांकि, पिछले चुनाव में भाजपा की लहर में यहां से उसके प्रत्याशी सुरेश पासी ने जीत हासिल की थी। वे योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री भी बने।  

गौरीगंज (विधानसभा क्षेत्र संख्या 185)-

अमेठी जिले की इस प्रतिष्ठित सीट पर कभी सपा, कभी कांग्रेस तो कभी बसपा को जीत मिलती रही है। पिछले चुनाव में सपा प्रत्याशी राकेश प्रताप सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी। वे इसके पूर्व यानी 2012 के चुनाव में भी विजयी रहे थे।

विस्तार

लखनऊ से लगभग 135 किलोमीटर दूर स्थित अमेठी की पहचान यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महसूस की गई तो उसका एकमात्र कारण इसका गांधी परिवार से संबंध होना ही रहा है। गांधी परिवार की इस पारंपरिक सीट पर संजय गांधी, राजीव, सोनिया और राहुल गांधी तक सबको जीत मिलती रही है। ऐसे में यह सीट गांधी परिवार के लिए अजेय दुर्ग के रूप में देखी जाती थी। यही कारण था कि जब पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को उनकी पारंपरिक सीट पर मात दी तो यह अंतरराष्ट्रीय खबर बन गई।

इसके पूर्व हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में ही भाजपा ने अमेठी की चार में से तीन विधानसभा सीटें जीतकर यहां से गांधी परिवार की कमजोर हो रही पकड़ की तरफ इशारा कर दिया था। लेकिन शायद मामला इतना बिगड़ चुका था कि 2017 से 2019 के बीच गांधी परिवार उसे संभाल नहीं पाया और 2019 में उसे हार का सामना करना पड़ा।

हालांकि, स्थानीय लोग मानते हैं कि अब अमेठी की जनता एक बार फिर गांधी परिवार की ओर देख रही है। उन्हें लगता है कि गांधी परिवार से जुड़ा होने के बाद इस क्षेत्र की एक अलग पहचान हुआ करती थी, जो 2019 में राहुल गांधी की हार के बाद कमजोर पड़ गई थी। लोगों को लगता है कि अब उस संबंध को पुनर्जीवित करना चाहिए।

इसके पीछे केवल यह हृदयस्पर्शी संबंध ही एकमात्र कारण नहीं है। बल्कि माना जाता है कि भाजपा नेता स्मृति ईरानी एक बार फिर अमेठी में वही गलती करने लगी हैं जिससे कभी स्थानीय जनता गांधी परिवार से नाराज हुआ करती थी। लोगों का आरोप है कि गांधी परिवार अपनी व्यस्तता के कारण यहां के लोगों को कभी समय नहीं देता था और अपने मातहतों के माध्यम से कार्य कराता था। ऐसे में लोगों का गांधी परिवार से सीधा संपर्क नहीं हो पाता था।

अब स्मृति ईरानी के बारे में भी लोगों का कहना है कि अमेठी लोकसभा क्षेत्र में उनका सारा कार्य एक विशेष व्यापारी के कहने पर किया जा रहा है। क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है, जबकि कुछ  विशेष लोग ईरानी के करीबी बनकर यहां पर पार्टी चला रहे हैं। यदि भाजपा इस कमी को समय रहते दूर नहीं करती है तो आने वाले चुनाव में उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

स्मृति ईरानी इस क्षेत्र में लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रही हैं। भाजपा प्रत्याशियों के प्रचार में भी उन्होंने सीधा मैदान पर उतरकर कमान संभाली है और एक-एक प्रत्याशी के लिए प्रचार किया है। वहीं, राहुल गांधी भी शुक्रवार से अमेठी में अपना चुनाव प्रचार शुरू कर रहे हैं। ऐसे में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि इस विधानसभा चुनाव में कितनी सीटें भाजपा या कांग्रेस को मिलती हैं। लोकसभा चुनाव न होने के बाद भी यहां दोनों नेताओं के बीच आभासी कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।   

पांचवें चरण में मतदान

यूपी विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में 11 जिलों की 60 सीटों के लिए रविवार 27 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। इसमें अमेठी लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा सीटें अमेठी, तिलोई, जगदीशपुर और गौरीगंज भी शामिल हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा इनमें से तीन सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की हार के बाद यहां के समीकरण काफी बदल गए हैं। बदली परिस्थितियों में यहां कांग्रेस एक बार फिर मजबूत हो सकती है।

अमेठी (विधानसभा क्षेत्र संख्या 186)- अमेठी जिले की इस प्रतिष्ठित सीट पर कांग्रेस, सपा और भाजपा को जीत मिलती रही है। लेकिन गांधी परिवार के इस गढ़ में पिछले चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी गरिमा सिंह को जीत हासिल हुई थी। वे स्थानीय राजपरिवार से हैं, इसलिए उन्हें यहां विशेष लोकप्रियता हासिल है। लेकिन स्थानीय जनता की शिकायत रही है कि वे कभी लोगों से नहीं मिलती हैं और उनका सारा कामकाज पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं के माध्यम से चलाया जाता है। इस चुनाव में भाजपा को गरिमा सिंह की इस छवि का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, भाजपा ने इस चुनाव में संजय सिंह को यहां से मैदान में उतारा है। इससे विरोध के स्वर कमजोर पड़े हैं।  

संजय सिंह को कांग्रेस उम्मीदवार आशीष शुक्ला से कड़ी टक्कर मिल रही है। स्थानीय स्तर पर आशीष शुक्ला को बेहद साफ-सुथरी छवि का लोकप्रिय नेता माना जाता है। गांधी परिवार से उनकी करीबी भी यहां आकर्षण का केंद्र है। राहुल गांधी ने उनके पक्ष में चुनाव प्रचार कर एक बार फिर कांग्रेस की उम्मीदें मजबूत कर दी हैं।

सपा को प्रजापति का सहारा

भाजपा को कड़ी टक्कर देने वाली समाजवादी पार्टी ने इस चुनाव में अमेठी से गायत्री प्रसाद प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति को टिकट थमाया है। गायत्री प्रसाद प्रजापति सपा की तरफ से पिछले चुनाव में भी उम्मीदवार घोषित हुए थे, लेकिन उन्हें गरिमा सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। गायत्री प्रसाद प्रजापति पिछले दिनों एक दुष्कर्म के मामले के कारण बहुत चर्चा में रहे थे। सपा को उनकी इस छवि का नुकसान उठाना पड़ सकता है। अमेठी के 3.47 लाख मतदाता इनके भाग्य का फैसला करेंगे।

तिलोई (विधानसभा क्षेत्र संख्या 178)

इस विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3.50 लाख वोटर हैं। भाजपा के मयंकेश्वरशरण सिंह ने पिछली बार इस सीट से चुनाव जीता था। उन्हें 49 फीसदी से ज्यादा लोकप्रिय वोट मिले थे। पार्टी ने उन्हें इस चुनाव में भी यहां से टिकट थमाया है। पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. मुहम्मद मुस्लिम को भारी अंतर से हराया था। मयंकेश्वर शरण सिंह इसके पहले समाजवादी पार्टी में रहते हुए भी इस सीट पर 2007 में जीत हासिल कर चुके हैं। माना जा सकता है कि पार्टी के वोटरों के अलावा उनके अपने प्रभाव वाले मतदाता भी हैं जो उन्हें मजबूती प्रदान करते हैं।  

जगदीशपुर (सुरक्षित) (विधानसभा क्षेत्र संख्या 184)

इस विधानसभा क्षेत्र में 3.72 लाख मतदाता हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर परंपरागत रूप से कांग्रेस सदैव मजबूत रही है, हालांकि, पिछले चुनाव में भाजपा की लहर में यहां से उसके प्रत्याशी सुरेश पासी ने जीत हासिल की थी। वे योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री भी बने।  

गौरीगंज (विधानसभा क्षेत्र संख्या 185)-

अमेठी जिले की इस प्रतिष्ठित सीट पर कभी सपा, कभी कांग्रेस तो कभी बसपा को जीत मिलती रही है। पिछले चुनाव में सपा प्रत्याशी राकेश प्रताप सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी। वे इसके पूर्व यानी 2012 के चुनाव में भी विजयी रहे थे।

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