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Verbal Battle: Students Who Fail In Neet Go Abroad, Attack On Union Minister Joshi, Ncp And Congress – जुबानी जंग : ‘नीट में फेल होने वाले विद्यार्थी जाते हैं विदेश’ बयान पर घिरे केंद्रीय मंत्री जोशी, एनसीपी और कांग्रेस का हमला
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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Wed, 02 Mar 2022 11:24 AM IST
सार
हालांकि केंद्रीय मंत्री ने अपने बयान को लेकर यह भी कहा था कि अभी इस मुद्दे पर बहस करने का सही वक्त नहीं है, लेकिन उससे पहले ही यह बयान चर्चाओं में आ चुका था।
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विस्तार
हालांकि केंद्रीय मंत्री ने अपने बयान को लेकर यह भी कहा था कि अभी इस मुद्दे पर बहस करने का सही वक्त नहीं है, लेकिन उससे पहले ही यह बयान चर्चाओं में आ चुका था।
भारतीय छात्रों का अपमान : सुरजेवाला
जोशी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का अपमान किया है।
गैर जिम्मेदाराना बयान : सुले
राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि कि यूक्रेन में फंसे छात्रों और उनके अभिभावकों दोनों के लिए हालात अच्छे नहीं हैं। हमारा ध्यान भारतीय यात्रियों को सुरक्षित निकालने पर होना चाहिए। यह सोचकर चिंता होती है कि ऐसे माहौल में भी हमारे कुछ मंत्री कठोर, असंवेदनशील और गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं।
छात्र नवीन की मौत का मखौल : रागिनी नायक
कांग्रेस नेता रागिनी नायक ने भी केंद्रीय मंत्री जोशी पर निशाना साधा। उन्होंने जोशी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। नायक ने कहा कि फेल होने वाले 90 फीसदी विद्यार्थी विदेश में पढ़ने जाते हैं, यह कहने से उनका क्या मतलब है? रागिनी बोलीं, ‘अगर आप किसी का दुख साझा नहीं कर सकते तो इस तरह के बयान तो ना दें। आप छात्र नवीन की मौत का मखौल उड़ा रहे हैं। इस बयान के लिए पीएम मोदी और जोशी को माफी मांगनी चाहिए।’
इसलिए विदेश जाते हैं मेडिकल के भारतीय छात्र
यूक्रेन जैसे देशों में भारतीयों के लिए मेडिकल की पढ़ाई करना सस्ता है। यूक्रेन व रूस समेत कई देशों में पांच साल में करीब 30 लाख रुपये खर्च करके मेडिकल की पढ़ाई पूरी की जा सकती है। वहीं भारत में इसका खर्च 70 लाख से एक करोड़ तक पहुंच जाता है। यदि सीटें कम हों तो दिक्कतें और ज्यादा बढ़ जाती हैं।इन देशों के पाठ्यक्रमों को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मान्यता दी है। इनकी भारत के साथ-साथ यूरोपियन काउंसिल और मेडिसिन, जनरल मेडिसिन काउंसिल ऑफ यूके की भी मान्यता है। इससे छात्रों के सामने अच्छे विकल्प खुल जाते हैं। विदेशों से एमबीबीएस कर के आने के बाद भारत में इन विद्यार्थियों को एक टेस्ट देना पड़ता है। हालांकि यह एक तरह से औपचारिक मात्र होता है।
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