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सार
सबसे आधुनिक वायु सेना और तोपखाने वाली रूसी सेना ने भी अभी तक कीव पर उस क्षमता के साथ हमला नहीं बोला है, जिसके लिए वह जानी जाती है। युद्ध के दौरान रूसी सैनिकों द्वारा उत्पन्न की जा रहीं परिस्थितियां कुछ ऐसा ही इशारा कर रही हैं कि पुतिन की रणनीति कुछ और ही है।
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को एक सप्ताह से ज्यादा समय हो चुका है। कीव पर नियंत्रण की जंग आगे बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि, दुनिया की सबसे ताकतवर और सबसे बड़ी सेनाओं में से एक रूसी सेना को यूक्रेन पर कब्जा करने के लिए इतना समय क्यों लग रहा है? क्या सच में यूक्रेन के सैनिक रूस को कड़ा प्रतिरोध दे रहे हैं?
हालांकि, सबसे आधुनिक वायु सेना और तोपखाने वाली रूसी सेना ने भी अभी तक कीव पर उस क्षमता के साथ हमला नहीं बोला है, जिसके लिए वह जानी जाती है। युद्ध के दौरान रूसी सैनिकों द्वारा उत्पन्न की जा रहीं परिस्थितियां कुछ ऐसा ही इशारा कर रही हैं कि, पुतिन की रणनीति कुछ और ही है। वह धीरे-धीरे यूक्रेन के एक लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा बड़े क्षेत्र को अपने कब्जे में ले चुके हैं।
चेचन युद्ध की याद दिला रहे पुतिन
पुतिन जिस रणनीति से आगे बढ़ रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि वह यूक्रेन को उन संसाधनों से वंचित कर देना चाहते हैं, जो यूक्रेनी सैनिकों के युद्ध लड़ने के लिए आवश्यक हैं। शायद यही कारण है कि,रूसी सैनिक यूक्रेन के ऐसे शहरों पर हमले तेज कर रहे हैं, जो प्रमुख ऊर्जा उत्पादक हैं। पुतिन की यह रणनीति 2000 में चेचन युद्ध की याद दिलाती है कि, कैसे उन्होंने घेराबंदी कर एक बड़ी जंग को जीता था।
काला सागर से यूक्रेन को तोड़ रही रूसी सेना
रूसी सेना उत्तरी व दक्षिणी यूक्रेन में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। उसकी रणनीति काला सागर से यूक्रेन के संपर्क को पूरी तरह तोड़ देने की है। कालासागर के समीप स्थिति खेरसन शहर पर रूसी सैनिक पहले ही कब्जा कर चुके हैं। अब एक और शहर जपोरिजिया परमाणु संयंत्र पर भी हमला कर दिया गया है। इसके अलावा काला सागर से जुड़े हुए उत्तरी शहर ओडेसा पर भी रूसी सेना तेज हमले कर रही है।
ऊर्जा उत्पादन वाले शहरों पर कब्जा कर रहा रूस
ओडेसा के बाद रूसी सेना ने मारियोपोल को भी अपने नियंत्रण में लेना शुरू कर दिया है। यहां के बंदरशाह शहरों पर लड़ाई तेज है। इन दोनों शहरों में यूक्रेन का एक चौथाई बिजली उत्पादन होता है। इससे पहले खुद रूसी सेना की ओर से पुष्टि की गई थी कि खेरसन शहर का सरकारी मुख्यालय अब उसके नियंत्रण में है।
खारकीव भी लगभग नियंत्रण में
रूस ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव को भी लगभग नियंत्रण में ले लिया है। यहां पर रूस ने अपने एयरट्रूपर्स को उतारा था। इसके बाद से खारकीव में हमले तेज हैं। सूत्रों के मुताबिक, रूसी सेना खारकीव को चारों ओर से घेरे हुए है और यह शहर भी उसके नियंत्रण में आ चुका है।
सात दिनों में 20 फीसदी हिस्सा कब्जे में
रिपोर्ट्स की मानें तो, रूस की सेना पिछले सात दिनों में यूक्रेन के 20 फीसदी क्षेत्र को अपने कब्जे में ले चुकी है। यूक्रेन का लगभग एक लाख वर्ग किलोमीटर से ऊपर का क्षेत्र रूस के नियंत्रण में है।
कीव से 19 मील दूर रूसी सेना
मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस की सेना कीव को चारों ओर से घेर रही है। अब रूसी सेना के बख्तरबंद वाहन व सैनिक कीव से करीब 19 मील की दूरी पर हैं। पिछले दिनों कीव के बाहर 64 किलोमीटर लंबा रूसी काफिला भी देखा गया था। इसकी सैटेलाइट तस्वीरें जारी हुई थीं।
क्या है चेचन रणनीति
1991 में जब सोवियत संघ टूटा तो चेचन अलग देश बन गया। हालांकि, इस छोटे से देश पर रूस की नजर हमेशा रही। चेचन रूस से घिरा हुआ है और इसका कुछ हिस्सा सर्बिया से भी मिलता है। रूस ने 1994 में चेचन पर हमला कर दिया। हालांकि, यह हमला सफल नहीं हुआ। इसके बाद 1999 में चेचन में रूस के शीर्ष राजदूत गेनादी श्पिगुन की हत्या कर दी गई। यहीं से चेचन के खिलाफ दूसरे युद्ध की शुरुआत हुई। चेचेन को चारों तरफ से घेरते हुए रूस ने 2000 में उस पर पूरी तरह से हमला कर दिया।
विस्तार
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को एक सप्ताह से ज्यादा समय हो चुका है। कीव पर नियंत्रण की जंग आगे बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि, दुनिया की सबसे ताकतवर और सबसे बड़ी सेनाओं में से एक रूसी सेना को यूक्रेन पर कब्जा करने के लिए इतना समय क्यों लग रहा है? क्या सच में यूक्रेन के सैनिक रूस को कड़ा प्रतिरोध दे रहे हैं?
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