ग्लोबल फायर पॉवर के मुताबिक, रूस के पास 30 लाख से ज्यादा जवान हैं, जिनमें से 10 लाख सक्रिय जवान हैं। जबकि यूक्रेन के पास 11.55 लाख जवान हैं जिनमें से करीब ढाई लाख सक्रिय हैं।
रूस ने यूक्रेन के दो प्रांतों को स्वतंत्र घोषित करके संकट को और गहरा कर दिया है। जंग के आसार नजर आने लगे हैं। रूस के इस कदम पर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। इस मुद्दे पर दुनिया की दो महाशक्तियां, रूस और अमेरिका, आमने-सामने आ गई हैं। अमेरिका के बाद ब्रिटेन और जापान समेत कई देशों ने रूस पर आर्थिक पाबंदियां लगा दी हैं।
इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आक्रामक भाषा के साथ रूसी-यूक्रेन सीमा अपने सैनिकों की तैनाती करके दुनिया की धड़कनें बढ़ा रहे हैं क्योंकि रूसी सेना यूक्रेन की सेना की तुलना में काफी मजबूत और अधिक सक्षम है। ऐसे में इस बात को समझना जरूरी है कि रूस और यूक्रेन की सामरिक और कूटनीतिक ताकत कितनी है?
रूस की कुछ ऐसी है स्थिति
रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया है, यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में अलगाववादी युद्ध को हवा दी है और अब इस क्षेत्र के डोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया है। इससे इन दोनों प्रांतों के जरिए यूक्रेन की घेराबंदी की रूस की राह आसान हो गई है। रूस, दोनों प्रांतों की रक्षा के लिए उनके मुख्य रक्षा सहयोगी के तौर पर यूक्रेन के खिलाफ खड़ा हो गया है।
यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई की वर्तमान प्रासंगिकता और ऐतिहासिक मिसाल दोनों हैं। शीत युद्ध के दौरान, ब्लैक सी (काला सागर) में सोवियत संघ प्रमुख शक्ति बन गया था। हालांकि, साम्राज्य के पतन के बाद, रूस ने इस क्षेत्र में अपना अधिकांश क्षेत्र खो दिया। पूर्व सोवियत राज्य धीरे-धीरे पश्चिम के करीब आने लगे। यूक्रेन के पश्चिमी देशों के करीब जाने से अमेरिका के साथ रूस के संबंध खराब होने लगे हैं। रूस के खिलाफ अमेरिका और नाटो की सेना खड़ी हो गई है।
क्यों हिचका जर्मनी
हालांकि अमेरिका का खास मित्र और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी ने अपने यहां बने हथियार और गोलाबारूद यूक्रेन भेजने से मना कर दिया है। बर्लिन स्थित यूरोपीयन काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस में रिसर्च डायरेक्टर जेरेमी शेपिरो के एक बयान के मुताबिक यूरोप पूरी तरह से रूस के खिलाफ नहीं है और उसे लेकर मतभेद मामूली है।
वहीं वॉशिंगटन के जर्मन मार्शल फंड में राजनीतिक विश्लेषक और जर्मन इतिहासकार लियाना फिक्स ने एक बयान में कहा कि जर्मनी का फैसला काफी हद तक रूस से मिलने वाली गैस पर उसकी निर्भरता से जुड़ा है। जर्मनी तक गैस पहुंचाने के लिए रूस और जर्मनी नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन बिछा रहे हैं। बाल्टिक सागर से होकर गुजरने वाली 1225 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन को बनने में पांच साल का वक्त लगा है।
पश्चिम की ओर यूक्रेन का झुकाव
यूक्रेन के पश्चिम में यूरोप है और पूर्व में रूस। 1991 में सोवियत संघ से अलग होने के बाद से ही इस देश का झुकाव पश्चिम की तरफ रहा है। रूस को लगता है कि पश्चिम यूरोप की तरफ झुकाव यूक्रेन उसके सुरक्षा और सामरिक हितों के लिए खतरा है। रूस को लगता है कि यूक्रेन का पश्चिम के पाले में जाना उसके लिए ठीक नही होगा। यही कारण है कि यूक्रेन पश्चिम और रूस की खींचतान के बीच फंसा हुआ है। दूसरी तरफ रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो में शामिल हो। यही वजह है कि वह यूक्रेन पर हमले के लिए तैयार बैठा है।
नाटो ने यूक्रेन का साथ दिया तो?
जिस तरह से यूक्रेन नॉटो के करीब है और नाटो के कई देश यूक्रेन से लगी सीमा पर अपनी सेना भेज रहे हैं। उससे ऐसा लगता है कि यदि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और यदि नाटो ने उसका साथ दिया तो यह रूस पर भारी पड़ सकता है। नाटो संगठन में 30 देश हैं। संगठन के नियम के अनुसार अगर कोई देश सदस्य देशों पर हमला करता है तो उसे पूरे संगठन पर हमला माना जाएगा। इस आधार पर सभी देश उसके साथ होंगे। हालांकि यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं है, लेकिन नाटो चाहे तो वह यूक्रेन का साथ दे सकता है।
ब्रिटेन-पोलैंड से नजदीकी बढ़ा रहा यूक्रेन
दूसरी तरफ यूक्रेन रूसी हमले के मद्देनजर ब्रिटेन और पोलैंड के साथ तीन-तरफा सहयोग को मजबूत करने के लिए भी काम कर रहा है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है, ‘मुझे उम्मीद है कि निकट भविष्य में हम आधिकारिक तौर पर यूक्रेन-पोलैंड-यूके सहयोग के एक नए क्षेत्रीय प्रारूप को लॉन्च करने में सक्षम होंगे। रूसी आक्रमण के संदर्भ में, हमें क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सहयोग पर एक त्रिपक्षीय दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना चाहिए।’ ब्रिटेन, यूक्रेन को टैंक रोधी हथियार और बख्तरबंद गाड़ियां भी मुहैया करा रहा है।
नाटो के और करीब आ रहा यूक्रेन
ब्रिटेन और पोलैंड के इस सहयोग से यूक्रेन नाटो के और करीब आ रहा है। पोलैंड ने कहा है कि वह यूक्रेन को गैस और तोपखाना गोला बारूद, मोर्टार, पोर्टेबल वायु रक्षा प्रणाली, निगरानी ड्रोन और हथियारों की आपूर्ति के साथ-साथ मानवीय और आर्थिक सहायता भी देगा। यूक्रेन के पड़ोसी देशों में नाटो देशों ने सैनिक, हथियार और सैन्य वाहन पहुंचाने शुरू कर दिए हैं। नाटो सदस्य देश रोमानिया की सीमा यूक्रेन से लगती है। रोमानिया 2004 से ही इसका सदस्य है। यहां अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों की सेनाएं मौजूद हैं।
दोनों देशों में कौन है ज्यादा ताकतवर
अगर यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध होता है तो सैन्य क्षमता के आधार पर रूस यूक्रेन पर भारी दिखता है। ग्लोबल फॉयर पॉवर की रिपोर्ट के अनुसार रूस जहां रक्षा पर खर्च करने में तीसरा सबसे बड़ा देश है। वहीं यूक्रेन 20 वें नंबर है। इसी तरह हथियारों और दूसरे सैन्य संसाधनों में रूस, यूक्रेन से बहुत आगे है। बीते आठ सालों में रूस ने अपनी सैन्य ताकत बहुत अधिक बढ़ाई है। रूस के बाद दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना है।
ग्लोबल फायर पॉवर के मुताबिक, रूस के पास 30 लाख से ज्यादा जवान हैं, जिनमें से 10 लाख सक्रिय जवान हैं। जबकि यूक्रेन के पास 11.55 लाख जवान हैं जिनमें से करीब ढाई लाख सक्रिय हैं। रूसी नौसेना की बात करें तो रूस के पास 15 विध्वंसक, 70 पनडुब्बियों, 11 युद्धपोतों और लगभग 50 माइन युद्धपोत हैं। वहीं यूक्रेन के पास ऐसा कोई विध्वंसक या पनडुब्बी नहीं है। इसके अलावा केवल एक युद्धपोत और एक माइन युद्धपोत है।
- रूस के पास जहां 1500 से ज्यादा लड़ाकू विमान हैं तो यूक्रेन के पास महज 67 लड़ाकू विमान ही हैं।
- रूस के पास 12000 से अधिक टैंक हैं जबकि यूक्रेन के पास केवल 2500 टैंक हैं।
- रूस 30 हजार बख्तरबंद वाहन रखता है। वहीं यूक्रेन के पास 12 हजार ही ऐसे वाहन हैं।
- रूस के पास 12000 स्व-चालित तोपें हैं। यूक्रेन की बात करें तो उसके पास 1000 से कुछ ज्यादा हैं।
- 500 से अधिक हमले वाले हेलीकॉप्टर रूस के पास हैं। जबकि यूक्रेन के पास ऐसे केवल 34 हेलीकॉप्टर हैं।