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Students Stuck In Ukraine Till The War Started Due To 100% Attendance – Ukraine Crisis : 100 फीसदी उपस्थिति की बाध्यता के चलते युद्ध शुरू होने तक यूक्रेन में ही फंसे रहे छात्र

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अमर उजाला नेटवर्क, रुड़की
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sat, 05 Mar 2022 02:05 AM IST

सार

युद्ध की चेतावनी के बावजूद यूनिवर्सिटी के नियमों के चलते बना रहा असमंजस। 

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यूक्रेन में 100 फीसदी क्लास में उपस्थिति की बाध्यता ने भारतीय छात्रों को युद्ध शुरू होने तक बांधे रखा। एक तरफ रोजाना लगने वाले फाइन की फिक्र थी तो दूसरी तरफ युद्ध शुरू होने को लेकर मिल रहे संकेत और चेतावनी की। विश्वविद्यालयों में अनुपस्थित रहने पर 180 रिव्निया तक प्रतिदिन फाइन लगता है, जो भारतीय मुद्रा के हिसाब से 450 से 500 रुपये के बीच बैठता है। ऐसे में ऑफलाइन और ऑनलाइन क्लास के असमंजस के बीच जो चंद छात्र त्वरित निर्णय लेकर समय रहते निकल आए, उन्हें अपने निर्णय पर खुशी है, लेकिन जो छात्र उलझन में फंसे रहे, वे लंबे समय तक यूक्रेन के भयावह माहौल में उलझे रहे।

रूस ने यूक्रेन के खिलाफ 25 फरवरी को युद्ध की घोषणा कर दी थी, लेकिन गाहे बगाहे इस युद्ध के संकेत करीब एक हफ्ते पहले से पुख्ता होने लगे थे। वहीं, यूक्रेन के विश्वविद्यालयों और भारतीय एंबेसी की ओर से छात्रों को ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास को लेकर युद्ध शुरू होने तक स्पष्ट आदेश नहीं मिल सके। 

छात्रों के अनुसार, यूक्रेन में पढ़ने वाले भारत के 20 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं में असमंजस बना हुआ था। छात्र संकेतों के आधार पर यूक्रेन छोड़ने का फैसला विश्वविद्यालयों में 100 फीसदी उपस्थिति की बाध्यता के चलते नहीं ले पा रहे थे। यूक्रेन से लौटे पिरान कलियर के महमूदपुर निवासी शम्मी सिद्दीकी इस मामले में खुशकिस्मत रहे कि उन्होंने समय रहते निर्णय लिया और दोगुनी कीमत पर एयर टिकट बुक कराकर 24 फरवरी को ही अपने घर लौट आए।

अन्य छात्र उनकी तरह खुशकिस्मत नहीं थे, जिन्होंने बाद में काफी मुश्किलों का सामना कर भारत का सफर पूरा किया। शम्मी सिद्दीकी ने बताया कि 100 प्रतिशत क्लास की बाध्यता के चलते ज्यादातर छात्र असमंजस में थे। वहीं, रुड़की के आदर्श नगर निवासी शुभम चौहान विगत बृहस्पतिवार को घर लौटे हैं। उन्होंने बताया कि यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में एक दिन क्लास छोड़ने पर 180 रिव्निया तक फाइन लगता है, जो कि भारतीय मुद्रा के हिसाब से करीब 500 रुपये प्रतिदिन बैठता है। ऐसे में कोई भी छात्र एक भी दिन क्लास मिस नहीं करना चाहता। ज्यादातर छात्र इसी के चलते आखिरी समय तक विश्वविद्यालयों में रुके रहे।

घर वापसी पर छात्रों का हुआ स्वागत
यूक्रेन से दो छात्रों ने घर वापसी कर ली है। घर पहुंचने पर दोनों छात्रों का स्वागत हुआ। इस दौरान छात्रों ने सफर के दौरान आई मुश्किलों और अनुभवों को भी साझा किया। शुक्रवार को चौधरी चरण सिंह कॉलोनी निवासी आर्यन चौधरी घर लौटे। आदर्श नगर निवासी पारस सैनी भी घर लौट आए। आर्यन के पिता अजय चौधरी अपने बेटे को लेकर बेहद चिंतित थे। पारस के पिता महक सिंह सैनी और मां सीमा सैनी ने मिठाई बांटकर खुशी मनाई। कांग्रेस नेता सुभाष सैनी ने भी पारस के घर पहुंचकर उन्हें बधाई दी।

विस्तार

यूक्रेन में 100 फीसदी क्लास में उपस्थिति की बाध्यता ने भारतीय छात्रों को युद्ध शुरू होने तक बांधे रखा। एक तरफ रोजाना लगने वाले फाइन की फिक्र थी तो दूसरी तरफ युद्ध शुरू होने को लेकर मिल रहे संकेत और चेतावनी की। विश्वविद्यालयों में अनुपस्थित रहने पर 180 रिव्निया तक प्रतिदिन फाइन लगता है, जो भारतीय मुद्रा के हिसाब से 450 से 500 रुपये के बीच बैठता है। ऐसे में ऑफलाइन और ऑनलाइन क्लास के असमंजस के बीच जो चंद छात्र त्वरित निर्णय लेकर समय रहते निकल आए, उन्हें अपने निर्णय पर खुशी है, लेकिन जो छात्र उलझन में फंसे रहे, वे लंबे समय तक यूक्रेन के भयावह माहौल में उलझे रहे।

रूस ने यूक्रेन के खिलाफ 25 फरवरी को युद्ध की घोषणा कर दी थी, लेकिन गाहे बगाहे इस युद्ध के संकेत करीब एक हफ्ते पहले से पुख्ता होने लगे थे। वहीं, यूक्रेन के विश्वविद्यालयों और भारतीय एंबेसी की ओर से छात्रों को ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास को लेकर युद्ध शुरू होने तक स्पष्ट आदेश नहीं मिल सके। 

छात्रों के अनुसार, यूक्रेन में पढ़ने वाले भारत के 20 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं में असमंजस बना हुआ था। छात्र संकेतों के आधार पर यूक्रेन छोड़ने का फैसला विश्वविद्यालयों में 100 फीसदी उपस्थिति की बाध्यता के चलते नहीं ले पा रहे थे। यूक्रेन से लौटे पिरान कलियर के महमूदपुर निवासी शम्मी सिद्दीकी इस मामले में खुशकिस्मत रहे कि उन्होंने समय रहते निर्णय लिया और दोगुनी कीमत पर एयर टिकट बुक कराकर 24 फरवरी को ही अपने घर लौट आए।

अन्य छात्र उनकी तरह खुशकिस्मत नहीं थे, जिन्होंने बाद में काफी मुश्किलों का सामना कर भारत का सफर पूरा किया। शम्मी सिद्दीकी ने बताया कि 100 प्रतिशत क्लास की बाध्यता के चलते ज्यादातर छात्र असमंजस में थे। वहीं, रुड़की के आदर्श नगर निवासी शुभम चौहान विगत बृहस्पतिवार को घर लौटे हैं। उन्होंने बताया कि यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में एक दिन क्लास छोड़ने पर 180 रिव्निया तक फाइन लगता है, जो कि भारतीय मुद्रा के हिसाब से करीब 500 रुपये प्रतिदिन बैठता है। ऐसे में कोई भी छात्र एक भी दिन क्लास मिस नहीं करना चाहता। ज्यादातर छात्र इसी के चलते आखिरी समय तक विश्वविद्यालयों में रुके रहे।

घर वापसी पर छात्रों का हुआ स्वागत

यूक्रेन से दो छात्रों ने घर वापसी कर ली है। घर पहुंचने पर दोनों छात्रों का स्वागत हुआ। इस दौरान छात्रों ने सफर के दौरान आई मुश्किलों और अनुभवों को भी साझा किया। शुक्रवार को चौधरी चरण सिंह कॉलोनी निवासी आर्यन चौधरी घर लौटे। आदर्श नगर निवासी पारस सैनी भी घर लौट आए। आर्यन के पिता अजय चौधरी अपने बेटे को लेकर बेहद चिंतित थे। पारस के पिता महक सिंह सैनी और मां सीमा सैनी ने मिठाई बांटकर खुशी मनाई। कांग्रेस नेता सुभाष सैनी ने भी पारस के घर पहुंचकर उन्हें बधाई दी।

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