One Million Years Old Largest Human Lineage Database Created, Millions Of Genome Sequences Can Be Combined, Study Published In Science General – अध्ययन : एक लाख साल पुरानी सबसे बड़ी मानव वंशावली बनाई, लाखों जीनोम सीक्वेंस को जोड़ा जा सकेगा – News Box India
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One Million Years Old Largest Human Lineage Database Created, Millions Of Genome Sequences Can Be Combined, Study Published In Science General – अध्ययन : एक लाख साल पुरानी सबसे बड़ी मानव वंशावली बनाई, लाखों जीनोम सीक्वेंस को जोड़ा जा सकेगा

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एजेंसी, लंदन।
Published by: योगेश साहू
Updated Sat, 26 Feb 2022 07:59 AM IST

सार

ऑक्सफोर्ड विवि के अनुवांशिक विज्ञानी यान वोंग ने बताया, इस वंशावली की मदद से मानव शरीर में होने वाले अनुवांशिक बदलावों का इतिहास जाना जा सकेगा। जैसे-जैसे आधुनिक और प्राचीन डीएनए सैंपल की जीनोम सीक्वेंस की गुणवत्ता में सुधार आता जाएगा, हम एक ऐसा नक्शा तैयार करने में सफल होंगे जिससे आज मनुष्यों में होने वाले अनुवांशिक बदलावों के बारे में पता लगाया जा सकेगा।

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एक लाख साल पुरानी वंशावली बनाने में मिली सफलता के बाद यह पता किया जा सकेगा कि हमारे पूर्वज कब और कहां रहते थे। साइंस जनरल में छपे एक अध्ययन के अनुसार इसकी मदद से अनुवांशिक बीमारियों की पहचान के साथ ही मेडिकल रिसर्च में काफी मदद मिलेगी। 

अब तक इस तरह की वंशावली को बनाने में सबसे बड़ी समस्या अलग-अलग मिले जीनोम सीक्वेंस के डाटाबेस को इकट्ठा कर इसे संभालने के लिए गणितीय विधि को विकसित करने में आती थी। ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विवि के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित इस नई विधि से आसानी से कई जगहों से मिले डाटाबेस को इकट्ठा करने के साथ-साथ लाखों जीनोम सीक्वेंस को जोड़ा जा सकेगा। 

ऑक्सफोर्ड विवि के अनुवांशिक विज्ञानी यान वोंग ने बताया, इस वंशावली की मदद से मानव शरीर में होने वाले अनुवांशिक बदलावों का इतिहास जाना जा सकेगा। जैसे-जैसे आधुनिक और प्राचीन डीएनए सैंपल की जीनोम सीक्वेंस की गुणवत्ता में सुधार आता जाएगा, हम एक ऐसा नक्शा तैयार करने में सफल होंगे जिससे आज मनुष्यों में होने वाले अनुवांशिक बदलावों के बारे में पता लगाया जा सकेगा। इससे अनुवांशिक बदलावों को समझने के लिए गणितीय संकलन के जरिए ये पता करने में आसानी हो सकेगी कि हमारे पूर्वज कहां रहे होंगे।

अगली पीढ़ी के डीएनए सीक्वेंसिंग के लिए नींव साबित होगा
अब यह भी पता करने में आसानी होगी कि कैसे एक व्यक्ति के अनुवांशिक लक्षण दूसरे से मेल खाते हैं। यह अध्ययन अगली पीढ़ी की डीएनए सीक्वेंसिंग की नींव साबित होगा। 

विस्तार

एक लाख साल पुरानी वंशावली बनाने में मिली सफलता के बाद यह पता किया जा सकेगा कि हमारे पूर्वज कब और कहां रहते थे। साइंस जनरल में छपे एक अध्ययन के अनुसार इसकी मदद से अनुवांशिक बीमारियों की पहचान के साथ ही मेडिकल रिसर्च में काफी मदद मिलेगी। 

अब तक इस तरह की वंशावली को बनाने में सबसे बड़ी समस्या अलग-अलग मिले जीनोम सीक्वेंस के डाटाबेस को इकट्ठा कर इसे संभालने के लिए गणितीय विधि को विकसित करने में आती थी। ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विवि के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित इस नई विधि से आसानी से कई जगहों से मिले डाटाबेस को इकट्ठा करने के साथ-साथ लाखों जीनोम सीक्वेंस को जोड़ा जा सकेगा। 

ऑक्सफोर्ड विवि के अनुवांशिक विज्ञानी यान वोंग ने बताया, इस वंशावली की मदद से मानव शरीर में होने वाले अनुवांशिक बदलावों का इतिहास जाना जा सकेगा। जैसे-जैसे आधुनिक और प्राचीन डीएनए सैंपल की जीनोम सीक्वेंस की गुणवत्ता में सुधार आता जाएगा, हम एक ऐसा नक्शा तैयार करने में सफल होंगे जिससे आज मनुष्यों में होने वाले अनुवांशिक बदलावों के बारे में पता लगाया जा सकेगा। इससे अनुवांशिक बदलावों को समझने के लिए गणितीय संकलन के जरिए ये पता करने में आसानी हो सकेगी कि हमारे पूर्वज कहां रहे होंगे।

अगली पीढ़ी के डीएनए सीक्वेंसिंग के लिए नींव साबित होगा

अब यह भी पता करने में आसानी होगी कि कैसे एक व्यक्ति के अनुवांशिक लक्षण दूसरे से मेल खाते हैं। यह अध्ययन अगली पीढ़ी की डीएनए सीक्वेंसिंग की नींव साबित होगा। 

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